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Man Singh Negi

Fantasy Inspirational

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Man Singh Negi

Fantasy Inspirational

fast food

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कभी-कभी मशहूर हुआ करती थी मां के हाथ की प्यार से बनी गोल-गोल फूली फूली मुलायम मुलायम रोटियां। 


मुझे आज भी याद है वह बचपन के दिन जब रसोई में ही पंगत मार कर खाना खाने के लिए पूरा परिवार बैठता था। 


जहां मां अपने हाथों से गरमा गरम रोटियां खिलाती थी। 


कहते हैं संसार परिवर्तनशील है। ऐसा नहीं है कि आज मां के हाथ की रोटियां का स्वाद बदल गया हो । 


ऐसा भी नहीं है मां अपने परिवार को घर में आने वाले अतिथि को प्यार से परोंसी गई नरम नरम फूली फूली रोटियां ना खिलाती हो।


आज भी जब तक बच्चे छोटे हैं। तब तक प्यार से लाड से मां के हाथों की नरम नरम रोटियां खाते है।


तभी बीच में ही मेरी बात को काटते हुए पुष्पा ने कहा अब तो घर-घर का आलम यह है। 


मां के हाथ से बना भोजन भी 18 साल से ऊपर के बच्चे घर के खाने के एवज में फास्ट फूड खाना पसंद करते हैं।


निलेश ने कहा हां यह बात एकदम सत्य की कसौटी पर खड़ी उतरती है। 


निलेश ने कहा जब मैंने फास्ट फूड के रूप में मोमोज को अपना व्यापार के रूप में चुना था।


तब मुझे भी अंदाजा नहीं था कलयुग के लोग कलयुग के बच्चे कलयुग की बच्चिया मोमोज को इतना महत्व देते हैं। 


वह मां के हाथ के बने भोजन का भी तिरस्कार कर सकते है।


पुष्पा ने कहा निलेश आपकी बात सोलह आने सच है।


मैं घर पर रात में कितनी मेहनत से भोजन तैयार करती हूं। परंतु बच्चे बिन बताए ऑनलाइन के माध्यम से घर में फास्ट फूड मंगवा लेते हैं।


जो यह साबित करता है आजकल के समय में मां के हाथ से बने अमृत भोजन को खाने से बेहतर फास्ट फूड को महत्व दिया जा रहा है।


यहां पर सिर्फ बच्चे ही नहीं है इसमें परिवार का हर उम्र का सदस्य सम्मिलित है।


निलेश ने कहा फास्ट फूड के जो आंकड़े हैं। 


वह हर किसी को चौंका देने वाले हैं। 


बावजूद इसके लोगों की पहली पसंद फास्ट फूड ही है। 


निलेश ने कहा हर साल देश में 22000 करोड रुपए के मोमोज आसानी से बिक जाते हैं।


जिसमें दिल्ली जैसे शहर में हर महीने एक घर से 10 प्लेट मोमोस खाए जाते हैं। 


निलेश यही नहीं रुका निलेश ने कहा हर दिन लोग 7 करोड़ का मंचूरियन चिकन फ्राइड खा जाते हैं।


30 करोड लोग हर दिन चाऊमीन खाते हैं। 


इसके पश्चात भी वह यह कहने से नहीं हिचकते। 


आजकल छोटे-छोटे बच्चों को हार्ट अटैक आ जाता है।


पहले हार्ट अटैक को अमीर लोगों की विशेष बीमारी के रूप में देखा जाता था।


परंतु आज के फास्ट फूड रूपी युग में हार्ट अटैक कभी भी किसी को भी किसी भी पल आ रहा है। 


जैसे 8 साल की बच्ची गुजरात में स्कूल की सीढ़ियां चढ़ते वक्त हार्ट अटैक की शिकार हो गई।


जैसे घोड़ी पर चढ़ते ही दूल्हा रूपी खुशियां हार्ट अटैक रूपी मातम में बदल गई। 


हद तब हो जाती है जब लोग खुशियों में शामिल हो जाते हैं। परंतु हार्ट अटैक की वजह से वह खुशियां अपनों से दूर ले जाती है। 


जहां से वापस आना संभव ही नहीं असंभव है। 


यह फास्ट फूड की ही दें है। जहां आए दिन फास्ट फूड के कारण अनेकों बीमारियों का जन्म हो रहा है। जहां आए दिन फास्ट फूड के कारण अनेक बीमारियों का हर पल हर साल जन्म हो रहा है।


फास्ट फूड अनेक बीमारियों का जन्मदाता है। इस बात को विशेष तौर पर भारतीय भूलता चला जा रहा है।


आज सही मायनों में कहे फास्ट फूड नहीं लोगों के शरीर में बेड कोलेस्ट्रॉल को बड़े पैमाने में बढ़ा दिया है।


जिसके कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। 


जिसके कारण शरीर में 63 खराब कोशिकाओं को बेड कोलेस्ट्रॉल के माध्यम से ब्लॉकेज के रूप में तैयार किया जाता है। 


जिसके कारण हार्ट अटैक की संभावनाएं 70 से 75% बढ़ जाती है।


पुष्पा ने कहा फास्ट फूड के कारण ही आजकल लोगों में मोटापा बढ़ता चला जा रहा है। 


निलेश ने पूछा मोटापा बढ़ने से और कितने प्रकार की बीमारियों का व्यक्ति शिकार हो सकता है। 


पुष्पा ने कहा भारतीय यह समझ पाने में असमर्थ है। 


मोटापा कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है। 


हार्ट अटैक इसमें से मुख्य रूप से जाना जाता है।


मोटापा होने से यह नहीं कहा जा सकता कि व्यक्ति स्वस्थ है। उसमें डायबिटीज की मात्रा भी हो सकती है। 


एक शोध के अनुसार कैंसर जैसी बीमारी का भी जन्मदाता मोटापा ही है।


मैंने कहा पुष्पा और नीलेश आपने फास्ट फूड के बारे में जो जानकारियां दी है। 


उससे समाज भारतीय समाज अवश्य जागरूक होगा।


आपके इस जागरूकता अभियान में लोगों को अलग ही सोचने की एक दिशा अवश्य प्राप्त होगी। 


भारतीय समाज को यह जानने का अवसर मिलेगा फास्ट फूड के कारण हमारे शरीर में किस प्रकार बेड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। 


किस प्रकार बेड कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में पाइप रूपी धमनियों के इर्द-गिर्द चिपक कर खून को सुचारू रूप से प्रवाह में बाधा उत्पन्न करता है।


जिससे शरीर में रुकावट होनी शुरू हो जाती है।


इसे एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं।


हम पाइप से पानी दे रहे हैं लेकिन जब हम पाइप के मुंह को थोड़ा दबाते हैं। तो पानी प्रेशर के साथ निकलता है। 


जबकि शरीर में हम इस प्रकार की प्रक्रिया को नहीं कर सकते।


जब जब खून का प्रवाह बेड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के कारण कम होता है।


तब तब शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती है। 


नसों के रुकावट की वजह से नसों में जगह-जगह स्पीड ब्रेकर होने के कारण नसों में जगह-जगह वसा रूपी तेलिए रूपी bad cholesterol से जहां नसों में रुकावट या ब्लॉकेज होने शुरू हो जाते हैं।


तब सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है।


बैड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ जाने से किडनी पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है।


बेड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ जाने से हाथ पैरों में सुन्नपन आना शुरू हो जाता है।


बेड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से शरीर थका थका महसूस करने लगता है।


मैं भारतीय समाज को यह कहना चाहता हूं।


अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए फास्ट फूड का सेवन आज से ही बंद कर दे।


मैं भारतीय समाज को यह कहना चाहता हूं।


क्यों वह अपनी गाढ़ी कमाई को दूसरों पर यूं बर्बाद करना चाहता हो। 


मैं भारतीय समाज को पुष्पा और नीलेश के जागरूक रूपी अभियान को हवा देते हुए यह कहना चाहता हूं।


अपनी गाढ़ी कमाई के पैसों को फास्ट फूड से जन्मी बीमारियों पर खर्चा ना करके। 


अपनी गाढ़ी कमाई को संपत्तियों को बढ़ाने में लगाए।


मैं फूड सप्लीमेंट की जानकारी रखते हुए यह कहना चाहता हूं। 


आप सभी जो जो फास्ट फूड के दीवाने हैं। 


वह फास्ट फूड को आज से ही अलविदा कहना शुरू कर दे


मैं जानता हूं भारतीय समाज होने के नाते में आप आप वह काम करना पसंद नहीं करते।


जो आसान होते हैं जैसे सुबह-सुबह घूमने जाना सेहत के लिए वरदान है।


जैसे अधिक से अधिक पैदल चलना सेहत के लिए वरदान है। 


जैसे ताली बजाना स्वास्थ्य को बेहतर रखने में वरदान साबित हुआ है। 


जैसे लंबी-लंबी सांसो को लेना बेहतर स्वास्थ्य के लिए रामबाण औषधि है।


परंतु इन आसान कार्यों को करने में आप मै आप सक्षम नहीं है। 


हालांकि मैं दिल से चाहता हूं भारतीय समाज फास्ट फूड को सिरे से नकार दे। 


यदि भारतीय समाज फास्ट फूड को अपने जीवन से निकालने में असमर्थ है। 


तो मैं फूड सप्लीमेंट का जानकार डॉक्टर मानसिंह नेगी आपसे अनुरोध करता हूं।


वेस्टीज का फूड सप्लीमेंट फ्लेक्स ऑयल लेना शुरू कर दे। 


खाना खाने के पश्चात दिन में तीन बार। 


यदि आप मेरी बात को स्वीकार कर लेते हैं तो आप यकीन मानिए जीवन में आप कभी भी बीमार नहीं पड़ेंगे।


आप वेस्टीज के फ्लेक्स ऑयल को दवा की रूप में ना लेकर एक टॉनिक के रूप में एक ड्राई फ्रूट के रूप में प्रतिदिन ता उम्र ले सकते हैं। 


तब आप यकीन मानिए आपका गाढ़ी कमाई का बड़ा पैसा सुरक्षित हो जाएगा।


जहां वेस्टीज कहता है health is wellth। 


उम्मीद है आप सब पुष्पा और नीलेश के फास्ट फूड छोड़ने वाले अभियान को समझते हुए वेस्टीज के फ्लेक्स ऑयल का इस्तेमाल आम के आम गुठलियों के दाम के रूप में अवश्य करेंगे। 


निलेश ने कहा आम के आम गुठलियों के दम से आपका क्या मतलब है।


मैंने कहा फ्लेक्स ऑयल खाने से फ्लेक्स ऑयल के प्रतिदिन सेवन करने से शरीर में ना तो बीमारियां वास कर सकती है।


बीमारीया शरीर में वास ही नहीं अपितु शरीर को छू भी नहीं सकती।


जब कोई बीमारी शरीर को छू नहीं पाएगी तब आपकी अपनी गाढ़ी कमाई की बचत होगी।


जो पैसा बचत रूपी जमा पूंजी होगी। 


वह आपके बहुत से कार्यों में सहायक होगी। 


हुई ना आम के आम गुठलियों के दाम वाली बात। 


यदि आप वेस्टीज के फ्लेक्स ऑयल का इस्तेमाल करते हैं। 


तो ना जाने आप अपने आपको आने वाली कितनी बीमारियों के चक्रवात से सुरक्षित रख सकते है। 


इतिश्री


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