manpreet kaur

Horror

4.5  

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काया

काया

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असम जैसी जगह उन लोगों के लिए ठीक है जिनको भूत -प्रेत में दिलचस्पी हो। असम को भारत का काला जादू की राजधानी का खिताब भी मिला है।ऐसा कहा जाता है की, बहुत पहले दूर -दूर से लोग यहाँ काला जादू सिखने आते थे। असम में यह भी माना जाता है,की अगर किसीने काला जादू और मंत्र शक्ति मैं महारथ हासिल कर्ली, तो वो इंसान को जानवर में बदल सकता है।


असम में नागांव (Nagaon) नाम का एक छोटा सा गांव है। इस गाओं में काले जादू की कोई सीमा नहीं। यहाँ जानवरों और पंछियों की बलि दी जाती है। सबसे जयादा हर अमावस की रात में, शाम 6 से ९ बजे के बीच पंछियों की बलि दी जाती है। रातको तो जैसे इन् मरे हुए पंछियों की बारिश होती है। बहादुर से बहादुर इंसान भी यह दृश्य देखकर डर जाये।वैज्ञानिक भी कभी इन चीज़ों का पता नहीं लगा पाए।


यह वारदात कुछ १० साल पहले की है। नागांव में अपने परिवार के साथ काया नामक लड़की रहती थी। वो १६ साल की स्कूल पड़ने वाली युवती, जिसके बचपन से ही आकर्षित रूप की चर्चा गांवभर में थी। गांव के कई मर्द, काया की सुंदरता को देख मोहित हो जाते। उसका जवान हुस्न, नीली आँखें और गोरा रंग देखकर, मर्दों की बुरी नज़र अक्सर उसपर रहती।


एक दिन जब काया स्कूल से घर को लौट रही थी, तब गाँव के ४ आदमियों ने उसे अगवा कर लिया। अक्सर काया के आने-जाने का समय उनको पता होता। वो ४ आदमी काया को एक छोटे से घर में ले गए और वहां ४ दिनों तक लगातार उसका रेप किया। ४ दिनों तक उन चारों ने काया को बहुत नोचा और उसपर अत्याचार भी किये। पांचवे दिन, तड़पते हुए काया ने दम तोड़ दिया। उन ४ आदमियों ने काया की लाश को उसी घर में जला दिया और उस घर को बंद कर दिया। गाँव में किसीको पता भी नहीं चला इस दुर्घटना का । काया की लाश जलकर राख हो गयी।


अगले दिन, काया की आत्मा एक भयानक रूप लेकर अपने कातिलों से बदला लेने गाँव में आकर, अपने उन ४ कातिलों को मार डालती है। इतने पर भी काया की आत्मा नहीं रूकती। वो गांववालों को भी अपनी मौत का ज़िम्मेदार समझती थी, क्यूंकि गाँव में किसीने भी उसके गुमशुदा होने पर कुछ नहीं किया। आधी रातको जैसे जोरसे रोना और हसना, बम्बू की लकड़ियों का कट कर गिरना, पायल की आवाज़ और घरों की छतों पर पत्थर फेकना, यह सब काया की आत्मा का आतंक था।


गांववालों ने तांत्रिक को बुलाया और तांत्रिक ने उसी घर में जहाँ काया की मौत हुई थी, वहां जाकर मंत्र-तंत्र फुके और काया की आत्मा को वश में किया। तांत्रिक ने एक अभिमंत्रित कील उस घर की एक दिवार पर ठोक दिया, जिससे काया की आत्मा उस घर में कैद हो गयी। तांत्रिक ने गांव में सबको इस शापित घर से दूर रहने की चेतावनी दी। काफी सालों तक काया के आतंक से गाँव मुक्त रहा।


फिर एक दिन, दो सैनिक फैसल और किशन, अपनी आर्मी की ट्रेनिंग ख़तम करके अपने घर वापस जा रहे थे रास्ते में नागांव से गुजरते हुए उनकी जीप अचानक उसी शापित घर के बहार बदकिस्मती से बंद पड़ जाती है। फैसल ने किशन से कहा “रात बहुत हो चुकी है और दूर -दूर तक कोई गांववाला नहीं दिखाई दे रहा।” किशन ने जवाब दिया “हाँ यार फैसल, इतनी रात को कौन हमारी मदत करने आएगा?” वो दोनों बात कर ही रहे थे की एक बुढ्ढा आदमी हाथ में लाठी लेकर उनके सामने से गुजर रहा था। वो अपनी ही धुन्न में चला जा रहा था। किशन ने उस बूढ़े आदमी को रोका और कहा “अरे चाचा, यहाँ कोई कार मैकेनिक मिलेगा?” बूढ़े की नज़र उस घर पर पड़ती है और डरते हुए बोला “यहाँ से जाओ जल्दी, इस घर के सामने मत खड़े रहो।" यह कह कर बूढ़ा तेज़ी से चलने लगा। फैसल और किशन यह देख हैरान हुएकिशन ने कहा “अरे इनको क्या हो गया? मैकेनिक का तो बताया नहीं और ऐसे ही चले गए।”


फैसल की नज़र उस शापित घर पर पड़ती है और बोला “चल यार किशन, आज की रात इसी घर में गुजारते हैं और कल सुबह जल्दी निकल जायेंगे।” किशन मान जाता है और दोनों उस शापित घर में चले जाते हैं। वो दोनों सेना के सिपाही थे, तोह ऐसी बंद जगहों से कहाँ डरने वाले थे। जो देश की रक्षा करते हैं उन्हें ऐसी जगह से कोई फरक नहीं पड़ता। उनका मोबाइल नेटवर्क ना चलने से वो दोनों अपने घरवालों को खबर नहीं दे सके।फैसल अपना सामान का बैग गलती से उसी कील पर टांग देता है। जो तांत्रिक ने सालों पहले घर के अंदर ठोका था। बैग का वजन भारी था तो कील और फैसल का बैग दोनों ही ज़मीन पे गिर जाते हैं। फैसल इसको नज़र अंदाज़ कर, कील को एक तरफ फेकता है और अपना भारी बैग एक जगह रख देता है।


दोनों सो गए और एक घंटे बाद, एक लड़की की ज़ोर से रोने की आवाज़ें आने लगी। किशन की नींद खुली और उसने देखा की एक लड़की बहुत डरावने भूतिया रूप में उसके सामने खड़ी थी। फैसल की गलती से काया की आत्मा आज़ाद हो गयी और अब वो किशन के सामने कड़ी थी। काया ने गुस्से से बोला “चले जाओ, वार्ना तुम भी मरोगे।” किशन, एक आर्मी सैनिक होने के नाते, नहीं डरा। काया की आत्मा ने सोते हुए फैसल को हवा में ऊपर उठा लिया और कहा “तेरे दोस्त को मार डालूंगी, चले जाओ तुम दोनों।” काया ने फैसल को निचे ज़मीन पर पटक दिया और फैसल की नींद खुली। फैसल को सर पर चोट लग गयी और उसने भी काया की आत्मा को देखा और बोला “किशन, चल यहाँ से भाग चलें। वो बूढ़ा आदमी भी इस घर की तरफ इशारा कर, चले जाने को बोल रहा था, पर हमने ही उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया।”


किशन और फैसल अपना सामान लिए उस शापित घर को छोड़कर भागने लगते हैं। रास्ते में उन्हें एक गाँव दिखा और वहां स्तिथ एक शिव मंदिर भी। किशन ने कहा “फैसल, आज रात इस मंदिर के बहार गुजार लेते हैं। एहि एक सुरक्षित जगह है।” फैसल किशन की बात मान गया और दोनों वहीँ मंदिर के बाहर आसरा लेते हैं।


कुछ देर बाद, एक सिद्ध साधु वहां से गुजरे और उनकी नज़र किशन और फैसल पर पड़ी। साधु ने उन दोनों को तस्सल्ली देते हुए कहा “हम्म, यह एक सुरक्षित जगह है। उस लड़की की आत्मा से तुम्हारी रक्षा होगी।” किशन और फैसल आश्चर्य चकित होकर खड़े हुए और किशन ने कहा “साधु महाराज, आपको कैसे पता हमारी हालत के बारे में?” साधु ने हसकर जवाब दिया “इस गाँव के हर कोने से में वाकिफ हूँ। तुम दोनों की यह दुर्दशा की और क्या वजह हो सकती है?”


किशन और फैसल अनजान थे की कुछ दिन पहले ही एक सिद्ध साधु नागांव के शिव मंदिर में आए। काले जादू से पीड़ित लोगों की मदत और अपनी सिद्धियों से वो अतृप्त आत्मा को मुक्ति दिलाते थे। इसलिए उन दोनों की हालत साधु देखते ही पहचान गए ।किशन और फैसल ने अपने साथ हुई भूतिया घटना के बारे में साधु को सब बताया। साधु ने सब सुनकर कहा “हम्म, तुम दोनों इस नागांव के भूतिया किस्सों से अनजान हो। तुम्हारा भूत -प्रेतों से कभी सामना नहीं हुआ इसलिए उस घर में चले गए। तुम दोनों अभी मेरे साथ उस घर में चलो, क्यूंकि ऐसी आत्माएं इतनी आसानी से पीछा नहीं छ्चोड़तीं।”


फैसल, किशन और साधु उस घर में जाते हैं। घर के अंदर जाते ही, साधु की नज़र ज़मीन पे गिरे उस कील पर गयी। उस कील को हाथ में लेकर, साधु ने अपने दिव्या दृष्टि से, कील और उस आत्मा का रहस्य पता लगाया। फैसल ने कहा “अरे, यह तोह वही कील है जिसपर मैंने अपने भारी बैग टांगा था और वजन के कारण ही कील और बैग ज़मीन पर गिर गए।” साधु ने कहा “ एहि तो गलत हुआ और वो आत्मा आज़ाद हो गयी। इस कील ने उसे इस घर में बाँध रखा था। यह एक शापित घर है और इस शापित घर में कैद आत्मा का नाम है काया।”


 साधु ने उस शापित घर और काया की दर्दनाक कहानी किशन और फैसल को सुनाई। किशन और फैसल सुनकर बहुत दुखी हुए। किशन ने साधु से पूछा “तो अब क्या किया जाये साधु महाराज?” साधु ने जवाब दिया “एक उपाय है।" फैसल ने कहा “आप जो कहो साधु महाराज, अब तोह हम भी उस लड़की की आत्मा को मुक्ति दिलाना चाहते हैं।” साधु ने कहा “जब किसी इंसान के मरने के बाद, अगर उसके अंतिम विधि या श्राद्ध के पुरे नियम ना किये हों तोह उसकी आत्मा भटकती है और यह तो नाबालिक लड़की की आत्मा है। इससे पहले की काया आतंक मचाये, उसके शरीर की रख और हाड़ियाँ इसी घर में है, उसे ढूंढो और इस खाली कलश में डाल्दो और यह गंगा जल भी उसकी रख पर छिटककर बंद कर देना।” साधु ने खाली कलश किशन को दिया और गंगाजलवाला कलश फैसल को।


किशन और फैसल अपने मोबाइल की टोर्च लाइट चालू कर, काया की रख ढूंढ़ने लगे और दूसरी तरफ काया की आत्मा गाँव में फिर से तबाही शुरू कर देती है। कुछ देर बाद उन दोनों को एक कोने में काया की रख और हड्डियां मिली। किशन ने काया की रख को खाली कलश में डाल दिया और फैसल ने उसपर गंगाजल छिड़क दिया। इस काम को करते-करते पूरी रात निकल गयी और दिन भी चड़ गया। दोनों उस कलश को साधु के पास ले गए। साधु ने कहा “अब हमें इन अस्थियों को जल में विसर्जित करना होगा। तभी काया की आत्मा को मुक्ति मिलेगी।” साधु, किशन और फैसल, गाँव के शिव मंदिर में काया की आत्मा शांति के लिए हवन करते हैं, फिर मंदिर के पीछे की नदी में काया की अस्थि विसर्जन कर देते हैं।


काया की आत्मा उस वक़्त अपने इंसानी रूप में आकर किशन और फैसल से कहती है “आप दोनों का बहुत धन्यवाद, दुनिया में मेरी जैसी बहुत लड़कियां हैं, जिनको इन्साफ नहीं मिलता और सालों तक भटकती हैं।” यह कहकर काया की आत्मा गायब हो जाती है इस प्रकार काया की आत्मा हमेशा के लिए मुक्त हो जाती है।


 



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