STORYMIRROR

Manpreet Kaur

Horror Thriller

3  

Manpreet Kaur

Horror Thriller

गुहार

गुहार

7 mins
222

                                                   

सत्यप्रकाश रात को सोने से डर रहा था। अकेले होने के कारण, उसने अपने पूरे घर के खिड़की-दरवाजे बंद कर दिए। उसकी पत्नी एक हफ्ते के लिए बाहर गयी थी। सत्यप्रकाश ने अपने कानों में रुई डाली और अपना फ़ोन साइलेंट कर दिया क्यूंकि ज़रा सी आहट से भी वह कांप जाता। घबराते हुए सोचने लगा की, वही आवाज़ आज भी उसे ना डराए। 

रूस और यूक्रेन युद्ध की खबरों से पूरी दुनिया में भय और आतंक छाया है। कई भारतीय छात्र और नागरिक उस युद्ध के हमलों में मारे गए और कई आज भी यूक्रेन के खेरसॉन शहर में फसे हुए हैं। भारत से कुछ न्यूज़ रिपोर्टरों और जर्नलिस्ट्स के ग्रुप, यूक्रेन के खेरसॉन शहर में पहुंचे, वहां के भारतीय लोगों की दुर्दशा और हमलों में घायल लोगों की न्यूज़ कवरेज बनाने। 

एक न्यूज़ रिपोर्टर ललित, उन इलाकों पर पहुंचा जहाँ भारतीय नागरिकों की मौत हुई थी और जो मदत ना मिलने पर फसें रहे। घटना स्थलों में चारों तरफ दर्दनाक नज़ारा था। धुआँ, आग का झुलसना और मृत लाशों का ढेर पड़ा होना। कभी वहां एम्बुलेंस आती तोह कभी पुलिस। खेरसॉन शहर के हर इलाकों में एक छोटे से हेल्प और मेडिकल सेंटर्स खुलवाए गए। हमलों से पीड़ित लोगों को खाना और दवा भी दिए जाते। ललित उन दर्दनाक घटनाओं का आँखों देखा हाल अपने कैमरे में रिकॉर्ड करवा रहा था। 

भारत वापस आकर ललित, न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में अपने कैमरा मैन के साथ एडिटिंग करने बैठा। एडिटिंग के दौरान ललित ने उस वीडियो को ज्यादा कवर किया, जिसमे ५ भारतीय छात्रों के शव थे। ललित को अपने न्यूज़ चैनल की टीआरपी बढ़ानी थी। 

जब यह न्यूज़ टीवी पर ऑन-एयर हुई तोह न्यूज़ कवरेज के बीच में ही एक वीडियो बार-बार प्ले हो रहा था, जिसमे एक विकास नाम का लड़का अपने बाकी चार दोस्तों के साथ, भारतीय दूतावास से मदद की गुहार लगा रहा था। यह वीडियो हर 10 मिनिट में अपने आप ही बीच-बीच में प्ले होता रहा। ललित ने अपने कैमरा मैन से पूछा "यह लड़का तोह वही है, जिन ५ लाशों वाली फुटेज हमने ऑन-एयर की है। इसका ऐसा वीडियो तोह हमारे किसी भी लिंक या रिकॉर्डिंग्स में नहीं मिला। हमने सब छान मारा था।” ललित ने न्यूज़ चैनल के हेड से बात की और तब उसे पता चला की विकास का वीडियो डिलीट कर दिया था, दूतावास के अधिकारी सत्यप्रकाश ने न्यूज़ चैनल वालों को विकास के वीडियो पर असमर्थता दिखाई।

ललित ने न्यूज़ चैनल के हेड से कहा "सर, आपने यह कैसे होने दिया? हमें शर्म आनी चाहिए की हमसे उन ५ छात्रों को कोई मदत नहीं मिली और उनका ही फुटेज हमने ऑन-एयर कर दिया। अगर उनकी जगह आपके या मेरे घरवाले होते तो भी क्या आप यह होने देते? कहीं इसकी आपलोगों को कोई भारी कीमत ना चुकानी पड़े" धमकाते हुए न्यूज़ चैनल के हेड शुक्ला सर ने जवाब दिया "तुम मुझे मत सिखाओ, वार्ना तुम्हारी नौकरी जाएगी। विकास के वीडियो को भूल जाओ। अपने काम पर ध्यान दो।" ललित हारकर चुप हो जाता है और अपने काम पर लग जाता है। 

एक दिन दूतावास के अधिकारी सत्यप्रकाश का शुक्ला को फ़ोन आया, जिसमें सत्यप्रकाश कह रहा था "जब मैंने तुमसे विकास का वीडियो डिलीट करने को कहा, तो यह ऑन-एयर कैसे हुआ? अपने कर्मचारियों पे तुम्हारा कोई दबाव नहीं है क्या?" शुक्ला घबराते हुए बोला "सॉरी सर, अबसे मैं ध्यान रखूँगा।" यह कहके सत्यप्रकाश फ़ोन रखदेता है और अपने ऑफिस के कर्मचारियों से बात करता है "उस लड़के विकास के वीडियो ने तो हमारी बदनामी करदी। सुबह से कई फ़ोन, लेटर्स और इमेल्स हमें कोस रहे हैं। अब तो सरकारी शिकायतें भी आने लगी हैं। हमें कुछ भी करके इस मामले को ठंडा करना होगा।"

उसी रात सत्यप्रकाश अपने काम से लौटकर घर में आराम कर रहा था। वो अपने कमरे में अकेला बैठा शराब पि रहा था। अचानक उसका फ़ोन बजा और सामने एक लड़का रोती आवाज़ में बोला "हमारी मदद करो, हम १५ दिनों से इस कमरे में कैद हैं।" सुनकर सत्यप्रकाश नशे में बोला "क्यों दिमाग ख़राब कर रहे हो? यह कोई रेस्क्यू टीम सेंटर नहीं है समझे?।"

यह कहकर सत्यप्रकाश ने फ़ोन रख दिया और सोने चला गया। अचानक रात के ३ बजे उसका फ़ोन फिर बजा और वही आवाज़ " हमारी मदत करो, हम १५ दिनों से इस कमरे में कैद हैं।" इस बार वो थोड़ा डर गया और बोला "कौन है फ़ोन पर? कौन बोल रहा है? सामने से डरावनी आवाज़ में जवाब आया "विकास।" यह सुनते ही सत्यप्रकाश के हाथ से फ़ोन छूटकर गिर गया। फिर टेलीफोन बजा, सत्यप्रकाश ने टेलीफोन उठाया तो फिर वही डरावनी आवाज़। उसने टेलीफोन भी ज़मीन पर ज़ोर से पटक दिया और इसे अपना भ्रम समझा क्यूंकि सोने से पहले उसने बहुत शराब पी थी।

अगली रात सत्यप्रकाश कामसे बहुत थक गया था और थकान से उसकी आँख लग गयी। रातके १ बजे उसका फ़ोन बजा, सत्यप्रकाश ने फ़ोन उठाया तो फिर से वही डरावनी आवाज़। और इस बार तो वो आवाज़ इतनी ज़ोर की थी की कमरे में हवाएं तेज़ चलने लगी और खिड़की दरवाजे भी ज़ोर से बजने लगे। टेलीफोन भी जो पिछली रात उसने पटका था, वो भी बिलकुल सही हालत में था। यह मंज़र देख अब सत्यप्रकाश को डर लगने लगा था। वो अगले दिन, अपने ऑफिस में भी काम में मन नहीं लगा पाया। उसने घर लौटने से पहले, अपना फ़ोन और सिमकार्ड नया लिया और सुकुनसे घर पहुँच कर सो गया।

मगर इस बार सत्यप्रकाश का डर यकीन में बदल गया, क्यूंकि रात को १ बजे उसके नए फ़ोन पर फिर से वही डरावनी आवाज़ का कॉल आया और आवाज़ विकास की ही थी। वो परेशान हो गया और बोला "यह फ़ोन और सिमकार्ड मैंने थोड़ी देर पहले ही ख़रीदा, फिर आज भी वही कॉल कैसे आया? यह मेरे साथ क्या हो रहा है?" 

सत्यप्रकाश ने अपना फ़ोन साइलेंट कर दिया और सो गया। अचानक रात के ३ बजे, फिरसे उसका फ़ोन बजा। सत्यप्रकाश इसबार बहुत डर गया था की, फ़ोन साइलेंट होने पर भी कैसे बज रहा है। फ़ोन उठाने पर वापस वही विकास की आवाज़ थी। इस बार वो आवाज़ इतनी भयानक थी की सत्यप्रकाश के कानोंसे खून निकलने लगा और जो रुई उसने कानों में ठूस राखी थी वो भी बाहर निकल गयी। कमरे के दरवाजे ज़ोर-ज़ोर से बजने लगे और खिड़की का कांच भी टूट गया। सत्यप्रकाश डर से कांपने लगा और देखते ही देखते विकास का वीडियो उसके फ़ोन पर प्ले होने लगा और इतना ही नहीं वो वीडियो कमरे में रखे हुए टीवी स्क्रीन पर भी अपने आप ही चलने लगा। 

टीवी पर इसबार सत्यप्रकाश ने विकास का वीडियो देखा जिसमें विकास गुहार लगा रहा था की "हम यूक्रेन के खेरसॉन शहर में ५ भारतीय मेडिकल छात्र फंसे है। हम पिछले 15 दिनों से भारतीय दूतावास से मदद की गुहार लगा रहे है, लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है। भारतीय दूतावास के कर्मचारी फोन पर ही उन्हें  बॉर्डर तक आने को कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। जबकि वो लोग बॉर्डर तक कैसे आये इसके लिये कोई सहयोग नहीं कर रहे हैं। यूक्रेन से हजारों भारतीयों के वापस लौटने के बाद भी हम पांचो छात्र यूक्रेन में ही फंसे हैं और अब रूस के अधीन है। हमारे घरवालों तक भी यह सन्देश इस वीडियो के द्वारा पहुंचा दो।” वीडियो में विकास के साथ बाकी के ४ छात्र भी दिखे। 

वीडियो के दौरान अचानक टीवी स्क्रीन ब्लैक आउट हो गया और फिर सिर्फ विकास ही वीडियो में था। विकास ने भयानक आवाज़ में कहा "हेलो सर, कैसे हो? हमारी मदत नहीं करोगे?" और देखते-देखते विकास का चेहरा डरावना हो गया। पूरा चेहरा जला हुआ और आंखें बड़ी और लाल। विकास, ज़ोर-ज़ोर से लगातार भयानक आवाज़ों में छिलने लगा "आओ सर मदद करो।" उसके साथ के बाकी के ४ छात्र भी उसी भयानक रूप में एक-एक करके विकास के साथ जुड़ते गए और चिल्लाते रहे। कमरे के चारों तरफ खौफनाक आवाज़ें गूंज रही थी। सत्यप्रकाश डर कर चिल्लाने लगा "बचाओ! बचाओ!!" विकास अपने भयंकर स्वर में बोला "अब तुम चिल्लाओ, मदद की गुहार लगाओ, कोई नहीं आएगा. जैसे तुमने मदद नहीं की थी. अब तुम्हें पता चलेगा और दुनिया भी जागृत होगी।"  

और अचानक टीवी स्क्रीन का कांच टूटकर सत्यप्रकाश को लग के सीधा उसके शरीर के आर-पार हो गए। उसका फ़ोन जो हाथ में पकड़ा हुआ था, वोभी अचानक ब्लास्ट हो गया। सत्यप्रकाश ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया। 

अगली सुबह वही न्यूज़ रिपोर्टर ललित, सत्यप्रकाश के घर पहुंचकर उसकी मौत की न्यूज़ कवरेज कर रहा था। सत्यप्रकाश की मौत की वजह फ़ोन ब्लास्ट होना बताया गया क्यूंकि कमरे में बाकी सारा सामान, खिड़की और दरवाजे सब व्यवस्थित दिख रहे थे और पिछली रात की असल भुतिया दुर्घटना का किसी को पता नहीं चला।

न्यूज़ रिपोर्टर ललित और न्यूज़ चैनल के हेड शुक्ला सर, सत्यप्रकाश की मौत के फुटेज की एडिटिंग कर रहे थे। ललित ने शुक्ला सर को कहा "देखा सर, सत्यप्रकाशजी को सचाई छुपाने और अपनी गैरज़िम्मेदारी की कीमत चुकानी पड़ी। इन सब में आपने भी तो एक एहम किरदार निभाया है, तो देखिये कहीं अगला नंबर आपका ना हो।" शुक्ला सर थोड़े से हैरान हुए और पूछा "क्या मतलब है तुम्हारा? मैंने क्या किया है?" इस पर ललित ने कहा "कुछ नहीं सर, कई बार हम कुछ काम नहीं करके भी एक बहुत बड़ी अनहोनी को दावत देते हैं।" शुक्ला सर ने फिर से चिढ़कर पूछा "तुम कहना क्या चाहते हो?" ललित ने हलकी सी मुस्कान से कहा "मेरी उस दिन की चेतावनी को याद रखें और अपना ख्याल रखें।" शुक्ला सर का इस बात पर कोई जवाब नहीं था और वो सोच में पड़ गए।

ठीक दो दिन बाद, शुक्ला सर को रात को के १ बजे फ़ोन बजा। उन्होंने फ़ोन उठाया तो कोई रोती हुई आवाज़ में बोला "हमारी मदद करो। हमें यहाँ से बाहर निकालो।" शुक्ला सर ने पूछा, “कौन? कौन बोल रहा है?” तो सामने से आवाज़ आयी, "विकास"

 

 

 

 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror