कागज के फूल
कागज के फूल


कुछ दिनों से पापा की तबियत ठीक नही थी। कल कोई पापा से मिलने के लिए बहुत सूंदर फूलों का बूके भी लेकर आये थे।
माँ ने उनके बुके को बड़ी नफासत से कोने में रखे एक सुंदर flower pot में रख दिये।दूसरे कोने में कागज़ के खूबसूरत फूल रखे थे।पूरा घर रजनीगंधा के फूलों से महकने लगा था।बातचीत के बाद मेहमान चले गए लेकिन घर महकता रहा।
आज शाम को सफाई करने के दौरान कामवाली ने माँ को पूछा कि बुके पुराने होकर खराब हो गए है,क्या इन्हें फेंक दूँ? माँ ने तुरंत हामी भर दी।कल तक महकने वाले रजनीगंधा के फूलों को बड़ी ही ख़ामोशी से
फेंक दिया गया।
अचानक मेरा ध्यान घर में ड्राइंग रूम में दूसरे कोने के फ्लावर पॉट में रखे हुए उन कागज़ के खूबसूरत फूलों की तरफ गया।मुझे लगा कि रजनीगंधा के फूलों के होते हुए इन कागज़ के फूलों की तरफ किसी का ध्यान नही जा रहा था।क्योंकि वे तो बिना महक के युहीं कोने में रखे होते थे।
लेकिन रजनीगंधा के फूलों को फेंके जाने के फौरन बाद ही वे कागज़ के फूल मंद मंद मुस्कराते नजर आने लगे है ....
अस्सल जिंदगी में भी तो कुछ ऐसा ही होता रहता है....
हकीक़त में हम भी तो हर चमकतीं हुयीं चीजों के पीछे भागते रहते है,नही?