काॅलेज का पहला दिन
काॅलेज का पहला दिन
कॉलेज का पहला दिन। रोमांच-उत्साह से भरा होता है। आजादी मिलने की खुशी रहती है। स्कूल के बोरिंग रूटीन से मुक्ति मिल जाती है। पहली क्लास नौ बजे से थी। पर पिया 8:00 बजे ही पहुँच गई। ‘थोड़ा कॉलेज भी तो देख लूँ। कैसा है? फिर तो क्लास करना ही है।’ पिया ने खुद से कहा और पूरा कॉलेज अकेले देखने चल पड़ी।
तभी किसी ने पीछे से आवाज दी, “सुनिए! फर्स्ट ईयर की क्लासेस कब से है ?"
पिया ने मुड़कर देखा एक लंबा सुंदर व्यक्तित्व वाला लड़का उसके सामने खड़ा उससे कुछ पूछ रहा था। वह हड़बड़ा गई।
"हाँ, हाँ मैं भी फर्स्ट ईयर से हूँ।"
"अच्छा! तब तो बहुत बढ़िया है। क्या हम दोस्त बन सकते हैं?"
अचानक इस सवाल से पिया घबरा सी गई।
”अरे! डरिए मत मैं आपको खाऊँगा नहीं। मेरा नाम नीरज है और आपका..?"
"मैं पिया...। चलिए फिर क्लास में चले।"
फिर नीरज और पिया दोनों रोज मिलने लगे। साथ में क्लास करते, कैंटीन जाते। कॉलेज में बस सारा वक्त साथ बिताते। फोन पर भी बातें होने लगी। ऐसा लगता मानो एक दिन बात ना हो तो कैसे दिन कटेगा।
”पिया! मैं कल बाहर जा रहा हूँ। सारे नोटस रखना मेरे लिए।"
"ठीक है। तुम चिन्ता मत करो।"
दो दिन बीतते बीतते पिया को एहसास होने लगा कि वह कुछ मिस कर रही है। शायद नीरज और उसकी बातों को। उसे मन नहीं लगता।लगता जैसे क्लासेस खत्म हो और घर भागे। जहाँ संडे को भी कॉलेज बंद होने का अफसोस होता था, अभी लग रहा था कि क्यों कॉलेज खुले हैं। फोन पर ठीक से बात भी नहीं हो पाती। बस हाल-चाल हो पाता।
पिया को ऐसा लगने लगा था कि शायद हमारी दोस्ती आगे बढ़ गई है। और वह नीरज से प्यार करने लगी है।"सब कुछ तो वही है, बस वह नहीं है। जैसे ही नीरज आएगा उसे सब कुछ बता दूँगी। क्या उसे भी ऐसा लगता है?" और पिया खुद से ही शरमा गई।

