जज़्बात का जादू:सदा महकता फूल
जज़्बात का जादू:सदा महकता फूल


वो मुझसे रूठी थी, हम दोनो खामोश थे।निग़ाहों ने बातें की, पलकों से इशारा हुआ,मैं उसके पास गया।उसकी मासूम आँखों से बहते मोती बस मेरा ही नाम ले रही थी।फिर क्या जज़्बात का जादू मुझपर यूँ चला,मैंने अपने सिसकते लबों से बहते उस प्यार को चुरा लिया।वो मेरे बाहों में फिर आ गई।मेरी खामोशी ने मेरे रूठे रब को मना लिया।
कहते हैं,अक्सर शब्दों की माला मुरझा जाया करती है, पर दिल मे उगे जज़्बात के फूल कभी अपना महक नहीं छोड़ती,वो हमेशा अपनी खुशबू बिखेरती है।