खौफ़नाक रेगिस्तान में एक ख़्वाब
खौफ़नाक रेगिस्तान में एक ख़्वाब
मेरे हालात रेगिस्तान में रेंगते उस लाचार बिच्छू की है जिसे खालीपन के जंजीर ने जकड़ रखा है और ख़ूनी रेत हर पल उससे उसके सपनों की बलि मांग रहा है। ज़हरीली हवा उसका गला घोंटने को प्यासी है,
पर इन सब के बावजूद उसके ख़्वाबों का मंज़र गगन में तैरते बादलों की ऊँचाई छूने को ब्याकुल है,
क्योंकि ख़्वाबों के सहारे वो जीता है और ख़्वाबों की हकीकत ही उसके जीने की वजूद है।।
कहने को तो वो एक कलाकार है,पर उसके कला का वो रंगमंच जहाँ वो अपने कला से लोगों को मंत्रमुग्ध करता उसके कोई आसार नजर नहीं आ रहे।
दूरियों का दस्तूर बस बढ़ता ही जा रहा है।
कभी कभी तो यूँ लगता है की वो किसी ऐसे रेगिस्तान में खड़ा है, जहाँ दूर दूर तक न तो कोई छाँव ही है ना ही किसी परिंदे के पैरों के निशान,
अगर कुछ है तो बस कभी न ख़त्म होने वाला वो खौफ़नाक रेगिस्तान जिसकी झुलसाती गर्मी और जहरीली हवा उसके साँसों को इस प्रकार जकड़ रही है, मानो बस कुछ और पलों की धूप बची हो, फिर तो उसे मृत्युरूपी अंधकार के गोद में सदा के लिए अधूरे ख़्वाबों भरी नींद सोना ही है।।
अब ना तो फासलों का कारवाँ ही कम हो रहा न हीं ख़्वाबों के पंख उड़ान भरने से बाज आ रहे,
ज़िंदगी थम सी गई है,
इसलिए वो भी रूक सा गया है।।
पर थके हारे उन आँखों में अब भी एक उम्मीद पल रही है, कि फिर से जब बारिश होगी,बूँदों की ईंधन से उसके ख़्वाबों को फिर से पंख मिलेगा,
और इस दफ़ा उससे लंबी उड़ान शायद ही कोई और भरेगा,
हर ओर हरियाली छाएगी,
घोंसले फिर से बनेगें,
पंछियों का फिर से राज होगा, उसकी चहचहाहट कोलाहल बनकर फिर से गूंजेंगी,
सन्नाटों का सर्वनाश होगा,
और उस ख़ौफ़नाक रेगिस्तान में खुशियों की लहर हवा बनकर फिर से गोते लगाएगी।
खुशियों को धूमधाम से मनाया जाएगा,
रंगमंच फिर से दुल्हन की भांति सजेगी और सभी उस कलाकार के मंच-आगमन का चिखचीखकर जयजयकार करेगी।
फ़िर मधुर-मधुर संगीत से खुशियों कि महफ़िल का समां बंधेगा, सभी उस कलाकार के गायकी से मंत्रमुग्ध होकर, सुर में सुर मिलाकर खूब झूमेंगे,
वो वक़्त उस कलाकार के कला को वास्तविक न्याय देगी, उसके सच्चे ख़्वाबों की जीत होगी और उसका संगीत सदा के लिए अमर हो जाएगा। वो पल बेहद ख़ूबसूरत होगा और वह उस सुनहरे पल का ख़ुशनसीब सम्राट होगा।।