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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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जन्नत

जन्नत

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वाह ! भैय्या, आप सभी अच्छे रिक्शा चालक होने के साथ-साथ अच्छे पर्यटक गाइड भी हैं, क्या बढ़िया सैर कराई है इन वादियों की, दो दिन से हम यहां अनजान से घूम रहे थे, लेकिन एक घंटे के अंदर ही आपने इस जगह का हमसे पूर्ण परिचय करा दिया है "। -रश्मि ने कहा, जिसका परिवार, उसकी मित्र कविता के परिवार के साथ यरकाड घूमने आया है। जब सभी घूमने के लिए ऑटो ले रहे थे, तो रश्मि ने देखा, कि रिक्शेवाले निराशमन से खड़े पर्यटकों को देख रहे हैं, तभी रश्मि ने निर्णय लिया, "हम सभी इस शहर को रिक्शे में घूमेंगे"।

 तुरंत ही दोनों परिवार चार रिक्शों में घूमने निकल गए। रिक्शे वालों के चेहरे की खुशी दोनों परिवारों की यात्रा को सुखद बना रही थी। रिक्शा चालक का एक-एक जगह को, रिक्शा चलाते-चलाते बारीकी से समझाना, वहां से जुड़े किस्से -कहानियां बताना, यात्रा को रोचक बनाने के साथ-साथ, सामान्य ज्ञान भी बढ़ा रहा था। अब पैसे देने की बारी थी, रिक्शाचालक ने घंटे के हिसाब से ₹300 होते हैं कहा, लेकिन रश्मि ने कहा हमारी यात्रा को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाने के लिए आप 300 के नहीं बल्कि पूरे ₹1000 के अधिकारी हैं, पहले चारों रिक्शा चालक एक-एक हजार रुपया लेने से झिझके, लेकिन समझाने पर सहर्ष स्वीकार किया।


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