जन्मों का रिश्ता (भाग 1 )
जन्मों का रिश्ता (भाग 1 )
चुपचाप बस उसकी आवाज़ सुनने लगा। उसकी मिश्री सी मीठी आवाज़,बूँद -बूँद रिसकर रक्त में समाने लगी। मेरे मौन की वजह से फोन कब का कट चुका था। मैं फोन अब भी कान में लगाये हुए था। पंडित जी मंदिर बंद करने आये उनकी आवाज़ से तन्द्रा टूटी।
क्रमशः