जन्मदिन
जन्मदिन
जन्मदिन, उस जन्म देने वाली माँ को नमन किये बिना अधूरा है। उसका शुकराना, उसकी देने की प्रव्रती, उसकी स्तुति के बिना अधूरा है।
वैसे तो यह जीवन ही उसे समर्पित कर दें तो भी कम है, पर इससे उस माँ को आनंद नहीं मिलेगा, क्योंकि उसने जो दिया है हमें, कुछ पाने के लिए नहीं किया वो।
हम अपना जीवन सही अर्थ में सार्थक कर उसे गौरवान्वित करें, बस इतनी सी कोशिश मानो उसकी उस पीड़ा का फल होगा, जो उसने सही हमें जन्म देते वक्त।
माँ, बहुत कुछ करती है अपने बच्चों के लिए जाने या अनजाने, पर हमेशा बच्चों का हित उससे अच्छा कोई और नहीं जान सकता।
माँ उसे अपने जीवन में जो अच्छा मिला, उसे तो वह बच्चों में बाटती है और बहुत प्यार से बाटती है, पर जो तकलीफ उसे अपने जीवन में मिली वो उसे इस कदर छुपाती है, मानो संसार में उस बात का अस्तित्व ही ना हो। वह हमेशा अपने बच्चों के लिए बेहतर ही जाती है। जो उसे नहीं मिला और बच्चों को मिल रहा है, अच्छा है, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। मानो उसका ही सपना सच हो गया हो।
हो सकता है पिता बच्चों के द्वारा अपने अधूरे सपने पूरे करना चाहे, पर माँ तो बच्चों के सपने पूरे करना ही अपना स्वप्न मानती है। वैसे मेरे पिता ऐसे कतई ना थे। वह तो परायो के भी सपने पूरा करने में विश्वास रखते थे। जीवन के हर मोड़ पर, निर्णय लेने की और उसके परिणाम का सामना करने की हिम्मत उन्हीं के अंश का असर है मुझ में।
तो ऐसी ही बहुत प्यारी, भोली भाली और अपार प्यार से भरा दिल लिए हुयी माँ ने मुझे जन्म दिया। मैंने उनका सम्मान बढ़ाया या नहीं, पता नहीं पर, मेरा मान आसमान से ऊंचा किया ऐसी माँ ने जब मुझे जन्म दिया।
शत शत नमन उन माता पिता को, जिसका अंश होने का एहसास ही जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन कर जाता है और जीवन को सार्थक बनाने में सहायक होता है। अपने माँ पिता जैसी बनना तो शायद मुश्किल है, उनकी परछाई बन सकूं यही जीवन का लक्ष्य है। दादाश्याम।
