आठवाँ अजूबा
आठवाँ अजूबा
मैं हूँ आरजु, मेरे घर आज पार्टी है। किस खुशी मे ? आज मेरे सबसे प्यारे दोस्त अमोल और काव्या की शादी की पचीसवी सालगिरह हैं। हम दोनो एक ही बिल्डिंग मे रहते है और काम भी साथ ही करते है। वो अपने परिवार के साथ आने वाला है उसका बेटा आरव तो यहॉ नहीं है। हम कुछ जानने वालो को भी बुला रहे हैं।
अमोल की बेटी जानवी वो मेरी अपनी बेटी जैसी है। वो अपने घर कम और मेरे पास ज्यादा पली है। मै उसे जानु और वो मुझे अमु कहती हैं। जानवी मेरी मदत कर रही थी तैयारी करने मे। सभी के निमंत्रन भी उसी ने तैयार किये।
पार्टी देख अमोल और काव्या को बहुत खुशी हुई। पार्टी मे सबको मजा आया पर पार्टी खत्म होते होते जानवी थोड़ी उदास लगी, मैंने पुछा तो कुछ बताया नही, बस बोली आज वो मेरे पास ही रुकेगी।
रात को जब हम सोने लगे, जानवी आयी और मुझसे बोली अमु मुझे आपसे कुछ पुछना है, आप बुरा तो नहीं मनोंगे? मैने कहा जानु तुम मुझसे कुछ भी पुछ सकती हो। वो अपना सर मेरी गोद मे रख कर लेट गयी और बोली आज पार्टी मे आप ने मेरी दादी दादा नाना नानी और बहुत सारे करिबी लोगो को बुलाया पर आप की तरफ से कोई नहीं था। आपसे कभी कुछ नहीं सुना किसी के बारे मे। आपको जो अकेलापन महसूस होता है वो मैंने पहले भी कई बार आपकी आंखो मे देखा है। क्या आपका कोई नहीं है? पापा और ममी आपका बहुत ध्यान रखते है और मैं भी हु आपकी आपनी ही, पर क्या आप अपने बारे मे कुछ बतायेंगी मुझे?
जानवी की बाते सुन मुझे थोडी परेशानी तो हुई पर ये भी समझती थी की अब जानवी सब समझने लगी थी तो उसके इन प्रश्नो का उत्तर भी मिलना ही चाहिये।
जानु आज ये कैसे सवाल कर रही हो तुम, क्या तुमसे किसी ने कुछ कहा है। जानवी चुप थी, मेरे जोर देने पर उसने बताया की पडोस की आंटी आपस मे बात कर रही थी की आप पापा के बहुत करिब है और पापा आप का इतना ध्यान क्यूँ रखते है?
मैने उससे कहा तुम्हारे पापा और मै एक साथ कॉलेज मे पढते थे। मै अपने ममी पापा और भाई के साथ रहती थी। एक दिन मेरे पापा की सड़क हादसे मे मौत हो गयी। ममी की तो जैसे दुनिया ही लुट गयी थी। पापा का बिजनेस भाई देखने लगा था। उसने धोके से सब खुद के नाम कर लिया। वो तो अच्छा था पापा ने एक और घर लेके रखा था ममी के नाम जो शायद भाई को पता ही नहीं था। मै और मॉ उस छोटे घर मे रहने चले गये। कुछ हि समय मे मेरा कॉलेज खत्म हो गया और मैं काम करने लगी। इन दिनो अमोल ने मुझे बहुत मदत की घर संभालने मे और मेरी ममा का भी वो बहुत ध्यान रखते थे।
कुछ ही दिनो मे तुम्हारे पापा कि शादि थी। शादी गॉव मे थी सो मै जा नहीं पायी। जब वो वापस आये तो हम सब मिले। अमोल ने पार्टी दी उसकी शादी की। फिर कुछ दिनो मे मॉ ने मेरी भी शादी तय कर दी। मै तैयार नहीं थी क्युकी मुझे शादी के बाद विदेश जाना पड रहा था, पर मॉ ने मुझे मना लिया। जब अमोल को पता चला वो मिला मुझसे और मुझे समझाने लगा की वो ममी से मिलता रहेगा।
मेरी शादी के बाद, एक साल मे मैं वापस आ गयी, क्युकी उस शादी ने मुझे बहुत तकलिफ दी। मेरे वापस आने के बाद जब काव्या और अमोल मेरे घर आये मिलने अमोल को बहुत दुख हुआ मुझे यू देख कर। मेरी ममा भी ये सह नहीं पायी और जल्द ही उनकी भी मृत्यूँ हो गयी। मै बिल्कुल अकेली हो गयी थी फिर अमोल के कहने पर मैंने काम करना शुरु किया। अमोल मेरा बहुत ध्यान रखने लगा। एक बार मैंने अमोल से पुछा की तुम मेरा यूँ कब तक साथ दोगे, उसने कहा मेरे जितेजी तुम्हे मै कभी कोई तकलिफ नहीं होने दूंगा। अच्छा है मतलब मै जल्द मरुंगी कम से कम तुमसे पहले। वो बोला नही। मै बोलती अच्छा तो तुम्हारे जाने के बाद तकलिफ हो मुझे तो चलेगा तुम्हे। तो जाउंगी तो पहले मै ही। वो हसता बस।
एक बार मैं परेशान थी तो अमोल मुझे गले लगा कर सांतवना दे रहा था और तभी काव्या ने हमे देख लिया। अमोल को मेरी बहुत फिक्र होती थी, मुझे ज्यादा उदास देख उसे बहुत तकलिफ होती थी। काव्या उससे नाराज भी होती एक बार तो वो आरव को लेकर मायके चली गयी।
काव्या और अमोल एक दुसरे से बहुत प्यार करते थे। मुझे बुरा लगता कही मै उनके बीच तो नहीं आ गयी थी। मैंने अमोल से कहा भी की मै काव्या से जा कर बात कर लेती हु पर वो बोला नहीं वो अपनी पत्नी को खुद ही मना लेगा।
काव्या ने मुझे बताया था जो बाते अमोल और उसके बीच हुई जब अमोल उसे मनाने गया था। काव्या ने उससे कहा कि जब आपने शादी मुझसे की है तो आपका दिल भी मेरा ही होना चाहिये पर आप तो आरजु आरजु करते रहते हो। अमोल ने उससे कहा की काव्या तुम हो मेरा दिल और हमारा बच्चा इस दिल की धडकन है। काव्या को कैसे विशवास आता वो बोली फिर आपकी आरजु कहा जायेगी? अमोल बोला आरजु मेरी सांसें है। जितना दिल और दिल की धडकने जरुरी है उतनी ही सांसें। आरजु और मेरा रिश्ता ऐसा है जिसे दुनिया मे कोई नाम नहीं दिया जा सकता। वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त है, और हर रिश्ते की तरह इसमे मे भी प्यार है। दुनिया वाले उसे गलत समझे मुझे परवाह नही, पर काव्या तुम। तुमने कभी भी देखा है की मैंने तुम्हे अनदेखा किया हो या तुमसे कोई बात छुपाई हो। क्या तुम मुझे जिंदा लाश बने जिता देख सकती हो? काव्या ने अमोल से पुछा क्या आरजु भी आपके लिये ऐसा ही मेह्सुस करती है। अमोल बोला, मेरे लिये ये मायने नहीं रखता कि वो मेरे बारे मे क्या सोचती है, ना ही मेरी उससे ऐसी कोई उम्मीद है आज मै उसका साथ दे रहा हु मेरे लिये इससे बडकर कुछ नहीं है। मैंने उसकी शादी के बारे मे पुछने की कोशिश की थी और उस वक़्त जो मैने उसकी आंखो मे दर्द देखा है वो मै फिर कभी नहीं देखना चाहता इसलिये तुम भी कभी उससे ये नहीं पुछोगी।
हॉ अगर आरजु अपनी शादी से खुश होती या फिर वो फिर से शादी कर लेती तो मुझे उसकी इतनी केयर नहीं करनी पडती, पर अब मै उसे यूँ अकेले नहीं रहने दे सकता, और ना हि मै उसे दुसरी शादी करने पर मजबुर कर सकता हु। उसके साथ जो पहली शादी मे हुआ है वो फिर से शादी नहीं करना चहती।
मै उसका हर मोड पे साथ देना चहता हु। तुम्हे इस बात से शिकायत है कि मै रोज़ सुबह शाम उससे मिलने जाता हु, तो एक काम करते है हम और आरजु एक ही बिल्डिंग मे घर ले लेते है। इससे वो हमारे पास ही होगी तो तुम्हारी ये शिकायत भी दुर हो जायेगी और तुम भी उससे मिलते रहोगी तो मुझे उसकी फिक्र भी कम होगी।
काव्या मान गयी फिर अमोल और हम यहॉ आ गये रहने के लिये। काव्या भी मेरी अच्छी दोस्त बन गयी फिर जब तुम पैदा हुई तो तुम्हे तो मै अपने पास हि रखती ज्यादा। फिर अमोल ने खुद का काम शुरु किया और मुझे भी उसी के साथ काम करने कहा। काव्या भी यही चाहती थी सो मैंने भी अमोल के साथ काम करना शुरु कर दिया।
फिर काव्या और अमोल ने मुझे कभी अकेला नहीं रहने दिया अमोल से ज्यादा काव्या मेरा ध्यान रखती और मै आराव और तुम्हारा। और फिर तुम तो मेरी जान हो जानु।
अब समझी मेरी और तुम्हारे ममी पापा की दोस्ती, और कुछ जानना है तुम्हे, या मिल गये तुम्हारे सारे सवालो के जवाब। इस दुनिया मे हर रिश्ते को नाम देना मुम्किन नहीं है। जिन्हे आप पसंद करते हो उनका साथ जिंदगी भर बिना किसी स्वार्थ के देना ये अच्छे दिल वाले इंसान ही कर सकते है जो तुम्हारे पापा और ममी है। जानवी बीच मे बोली और आप भी। मुझे एक बार पापा ने बताया था कैसे आपने मेरी ममा का ध्यान रखा जब मै पैदा होने वाली थी और मेरे पैदा होने के बाद, क्युकी आरव ममी को थोडी देर भी नहीं छोडता था, बस दुध पिने ममा के पास मुझे छोडती आप। आपने लंबी छूटी भी ली इसके लिये और फिर जब पापा ने अपना नया काम शुरु किया था और शुरु के उन मुश्किल दिनो मे आप ने पापा को बहुत ज्यादा सहारा दिया और ममी को इतनी मदत की आरव और मुझ पालने मे।
उस दिन के बाद जानवी मेरे और भी करीब हो गयी। आरव कुछ दिनो मे वापस आ गया उसने पापा के साथ ही काम करना पसंद किया। वो खुब मन लगा कर काम करता है और जल्द ही कंपनी ने काफी तरक्की भी कर ली।
फिर मेरी तबियत कुछ खराब रहने लगी काम पर जाना बंद हो गया। काव्या मेरी बहुत केयर करती। अमोल मेरे पास अब कम ही आता, काव्या उससे बहुत बोलती पर वो नहीं आता। जब डॉक्टर ने जवाब दे दिया तब तो दोनो बच्चे भी दुखी हो गये। पर अमोल मुझसे मिलने नहीं आया।
डॉक्टर ने कहा अमोल से की कोई बात है जो आरज़ु को रोके हुए है। जानवी अमोल के पास गयी और बोली पापा आप जाओ अमु से मिल लो, वो आपसे एक बार मिलना चाहती है। वो अपनी जिंदगी अकेले जी रही थी पर अब आप उन्हे अकेले मत रहने देना। अमोल को कुछ समझ नहीं आया पर शायद काव्या समझ गयी थी। वो अमोल को मेरे पास ले आयी और अमोल का हाथ मेरे हाथ मे देकर बाहर चली गयी। अमोल से रहा नहीं गया, उसने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और फिर क्या था बस वही पल था और मेरी आखरी सांस।
अमोल ने जो काव्या से कहा था वो भी सच था मेरी सांसे खत्म होते ही, अमोल की सांसे भी रुक गयी।
डॉक्टर ने काव्या और बच्चो को बताया की आरजु तो नहीं रही पर अमोल भी। डॉक्टर हैरान थे, ये देख कर क्युकी अमोल की तबियत ठीक थी, और अचानक अमोल की यूँ मौत उन्हे समझ नहीं आ रही थी।
ये थी कहानी जो अमु ने शुरु की थी और मैंने अपूर्ण को पुर्न करने की छोटीसी कोशिश की। फ़िर क्या था, काव्या ममी तो सब समझती ही थी, मैं, आरव और ममी थे एक दुसरे के लिये हमेशा।
