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Poonam Singh

Inspirational

3  

Poonam Singh

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" ज़मीन से आसमां तक"

" ज़मीन से आसमां तक"

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अख़बारों के पन्नों पर मोटे अक्षरों में यह खबर सुर्खियाँ बटोर रही थी  'एक गरीब किसान की बेटी ने संगीत की दुनिया में धूम मचाई !'

 वहीं दूसरे अन्य अख़बारों में उसके जज्बातों को छलनी करती वही खबर 'किसान की एक अनपढ़ गँवार बेटी ने संगीत की दुनिया में धूम मचाई !' सुर्खियाँ बटोर रही थी। यह सिर्फ शब्दों का हेरफेर था या फिर एक मानसिकता थी ?

रुक जाते थे यहीं पर आकर उसके सपनों की उड़ान। काट दिए जाते थे उसके पंख शब्दों के बाण से और वह उसी क्षण जमीन पर धराशायी हो जाती थी। एक छटपटाहट होती थी संसार के बेतुके मंतव्यों के जाल से बाहर निकलने की। 

संगीत उसके जीवन में साक्षात माँ सरस्वती का वरदान था, किन्तु अच्छी तालीम ना होना आसमान को छूने में उसके सामने सबसे बड़ी बाधा थी। लेकिन अब संगीता ने ठान लिया कि वो पढ़ेगी और उस बाधा को चुनौती के रूप में लेकर पुस्तकों से अर्जित ज्ञान की सीढ़ी के जरिए छुएगी आसमां को। 


 "बाबा मैं पढ़ना चाहती हूँ ! "

" ..जितना पढ़ाना था पढ़ा दिया बिटिया।" अपने काम में व्यस्त बाबा ने बिना उसकी तरफ देखते हुए कहा .."वैसे भी तू थोड़ा बहुत तो पढ़ ही लेवे है। कम से कम अंगूठा छाप तो नहीं है ना ? तुम्हारी उम्र की लड़कियों का तो अपने गाम में विवाह हो जात है।"

" हमें पढ़ना है बाबा।" जैसे कि बाबा के शब्दों का उसके कानों पर कोई असर ही नहीं हुआ हो। उसके शब्दों में दृढ़ संकल्प झलक रहा था। बाबा की अनुभवी आँखों ने संगीता के भीतर फूटी ज्ञान रूपी चिंगारी के स्रोत को पहचान लिया था। अब इस उम्र में चिंगारी मात्र से एक मशाल को जलाना आसान नहीं था।


" मेरी तरफ तो देखो बाबा!" संगीता ने आग्रह भरे लहजे में कहा। 

" सुन रहा हूँ बिटिया ! "


अपनी बेटी की मासूम आँखों की तरफ देखते हुए बाबा ने कहा। 

"मुझे पढ़ना है।" 


संगीता अपलक अपने पिता की आँखों में स्वीकृति हेतु देखे जा रही थी। 

तेरह साल की उम्र में पहुँच चुकी संगीता को शब्दों की थोड़ी बहुत रूपरेखा ही समझ आती थी जिसके आधार पर वो थोड़ा बहुत पढ़ लेती थी। 

किन्तु कहते हैं न जिसने कुछ ठान लिया उसने वो पा लिया । उसके दृढ़ निश्चय के आगे उसके पिता को घुटने टेकने पड़े। उसके पिता ने किसी तरह से संगीता के लिए एक अच्छे शिक्षक की व्यवस्था की। 

 संगीत के साथ साथ अब उसने ज्ञान अर्जन की दुनिया में कदम रखा। दिन- रात एक करके मेहनत से उसने खींच दी एक नई लकीर और ज़मीन से आसमान तक की दूरी को पुस्तकों के माध्यम से असंभव यात्रा को संभव कर दिखाया।

अब अखबारों की सुर्खियों में खबरों के शीर्षक भी बदल चुके थे ' हमारे देश के एक किसान की बेटी ने संगीत की दुनिया में धूम मचा दी।'



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