Raksha Gupta

Abstract Crime

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Raksha Gupta

Abstract Crime

जिन्दगी की ऑक्सीजन

जिन्दगी की ऑक्सीजन

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"प्लीज भैया.. कोई मेरे पति को फोन लगा दो.. उनका नम्बर नहीं लग रहा.. पता नहीं सुबह से कहाँ चले गए हैं..मेरी और रहम की तबियत अचानक बिगड़ रही है.. रहम को तो सांस लेने में भी बहुत दिक्कत हो रही है.. "

कमरे की खिड़की से कमला बदहवास चिल्ला रही थी.. लॉकडाउन के कारण सब अपने अपने घरों में बन्द थे.. तभी पड़ोस के सोहन ने उसकी आवाज सुनी और कमला के पति जग्गू को फोन लगाने की कोशिश की.. पर जब फोन नहीं लगा तो उसने अस्पताल में फोन करके एम्बुलेंस बुलवा ली.. इधर कमला बेटे रहम को खिड़की पर लाकर तेज तेज सांस लेने को कह रही थी और खुद भी ऐसा ही कर रही थी.. 

कुछ देर में एम्बुलेंस आ गयी और माँ- बेटे को लेकर चली गयी पर अभी तक जग्गू का कुछ पता नहीं था.. अगले दिन सुबह अचानक सोहन के पास अस्पताल से फोन आया कि कमला और रहम के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का इन्तजाम कर दीजिए.. अस्पताल में जो ऑक्सीजन सिलेंडर का ट्रक आना था उसे किसी गिरोह ने लूट लिया है.. सोहन ने हर जगह से मदद मांगी पर उसे सफलता नहीं मिली.. और वह कमला और रहम को बचा नहीं सका.. 

एक दो दिन बाद अचानक टीवी पर देखा कि उसी अस्पताल का जो ट्रक चोरी हुआ था, वह एक जंगल में पाया गया जिसके सिलेंडर एक कालाबाजारी करने वाले गिरोह ने बेच दिये.. उस गिरोह के कुछ लोग पुलिस की गिरफ्त में हैं.. जग्गू का नाम उस गिरोह में सुनकर वह स्तब्ध रह गया.. किसी तरह पुलिस थाने का नम्बर ढूंढ कर सोहन ने फोन किया और बोला कि जग्गू को बस इतना बता दें कि जिस ऑक्सीजन की वह कालाबाजारी कर रहा था उसी ऑक्सीजन के समय पर न मिल पाने की वजह से आज उसकी जिन्दगी की ऑक्सीजन समाप्त हो गयी।


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