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Raksha Gupta

Inspirational

4.9  

Raksha Gupta

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एक दान ऐसा भी..

एक दान ऐसा भी..

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"माँ, जल्दी चलो, सरकार का राशन वाला ट्रक सरपंच बाबा के घर के सामने खड़ा है और बहुत सारे फोटो लेने वाले भी खड़े हैं.. ", सोनू चिल्लाता हुआ घर में घुसा.. राधिका सोनू को घर में छोड़ आनन फानन में सरपंच के घर की तरफ भागी..सरपंच ने बड़े प्यार से राधिका को एक पैकेट थमाया और खच खच फोटो खिंचने लगे.. एक मीडियाकर्मी राधिका के पास आकर बोला, " कैमरे की तरफ देखकर बताइये कि अब तोआप खुश हैं".. राधिका ने हां में सर हिलाया और बोली, " बहुत कृपा आपकी".. कैमरा बन्द हुआ और सारे मीडियाकर्मी सरपंच के घर में जाने लगे..सबके लिए रात के खाने का इन्तजाम जो था.. राधिका अपने घर की तरफ जाने लगी तभी सरपंच का नौकर आकर बोला, " यह पैकेट मुझे दे दे और ट्रक के पीछे जाकर दूसरा ले ले".. 

यह क्या, ट्रक के पीछे तो केवल दो किलो चावल मिल रहे थे.. जबकि पैकेट

तो पांच किलो चावल का था और इस पैकेट में तो न साबुन था और न नमक.. वह भागती हुई सरपंच के पास गयी और बोली, " चाचा, यह तो बहुत नाइन्साफी है, सरकार ने तो पांच किलो की बात कही थी, तुम तो दो किलो भी पूरे नहीं दे रहे".. सरपंच कर्कश आवाज में बोला, " जो मिल रहा है वो ले ले.. पड़ोस के गाँव में तो यह भी नहीं मिल रहा".. राधिका ने वहाँ सभी के सामने अपनी बात रखने की भरपूर कोशिश की मगर सभी लोग चिकन बिरयानी खाने में इतने व्यस्त थे कि किसी ने उसकी तरफ ध्यान नही दिया और उसके दो किलो चावल छीनकर धक्के मारकर निकाल दिया गया, 

दूसरे दिन राधिका समाचारों और समाचार पत्रों में छायी हुई थी और सरपंच की तारीफ में फिर से आज बिरयानी दावत थी जबकि राधिका अपना और अपने बेटे का पेट भरने के लिए खाली डब्बों में अन्न का दाना ढूँढ रही थी.. 



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