तंग हाथ
तंग हाथ
बाजार से लौटते वक्त हरीश की माँ को बाहर देखकर रुक गयी.. किसी कोरियर वाले से सामान ले रहीं थीं..
"नमस्कार मैम, आजकल हरीश मेरी ऑनलाइन क्लास में क्यों नहीं आता? बड़ी मुश्किल से तो उसको मैथ्स समझ में आना शुरू हुआ था.. ऐसे तो फिर से भूल जायेगा"
"अरे मैडम, बच्चे आजकल कहाँ सुनते हैं, पूरे दिन मोबाइल में गेम.. कुछ दिनों पहले भाई-बहन में झगड़ा हुआ और मोबाइल टूट गया.."-माँ झेपती हुई बोली
"ओहो.. काफी नुकसान हो गया.. "- मैं चिंतित होकर बोली
"और वैसे भी मैडम, अब तो बिना परीक्षा दिये ही बच्चे पास हो रहें हैं.. तो फालतू में पैसे क्यों खर्च करें और थ
ोड़ा हाथ भी तंग है"- हरीश की माँ बोली
"अरे, मैं कौन सा आपसे फीस मांग रही हूँ.. मुझे तो बस हरीश के भविष्य की चिंता है..पैसे की कोई बात नहीं है.. आप उससे क्लास ज्वाइन करने के लिए कहें.. "-मैंने उन्हें समझाया
इतना कहकर मैं वापस जाने के लिए मुड़ी तभी हरीश और उसकी बहन की आवाज सुनकर रुक गयी..
"अरे भैया, अब तो हमारे अलग-अलग दो मोबाइल आए हैं..अब अपने अपने गेम डाउनलोड करेंगे"
"हाँ छुटकी, मैमोरी भी ज्यादा है.. मूवी भी डाउनलोड करेंगे.. चलो पढ़ाई का टेन्शन खतम हुआ.. सरकार अंकल का भला हो, ऐसे ही बस पास करते रहें "- हरीश पैकेट खोलते हुए बोला।..