जिन्दा
जिन्दा


टैक्सस की सबअर्बन आबादी से दूर बिग जैग्स रेस्त्रां देर शाम को भी हमेशा की तरह खाली सा ही था। कोने की मेज पर बैठे सिद्धार्थ के कॉफी मग को वेट्रेस तीसरी बार भर कर चली गयी थी। पिछले पाँच दिन से वो टैक्सस अमेरिका में था और अभी तक निशा नहीं दिखी थी, यही तो बताया था दीपक ने उसे कि उसने निशा को एक छोटी बच्ची के साथ कई बार बिग जैग्स रेस्त्रां में आते देखा था।
उसके असफल प्रेम का दुखद अंत निशा ने ही किया था, क्यों किया था बाद में पता चला। कॉन्ट्रैक्ट किलर बिल्ला में उसके सिर में गोली मारने से पूर्व बताया था कि निशा के पिता ने उसे जिन्दा छोड़ने की शर्त पर ही निशा को एन. आर. आई. रंजीत से शादी के लिए राजी किया था। गोली सिर के पिछले हिस्से में मारकर उसे काली नदी की गहरी धारा में फेंक दिया गया था। लेकिन गोली केवल उसके सिर को छूकर निकल गई और वो जिन्दा रहा, जिन्दा रहा एक लाश की तरह। अपना शहर छोड़ा, नया शहर, नए लोग, जिन्दा रहने के नए बहाने। निशा एक टीश बनकर उसके दिल में रही, शादीशुदा थी, कही अमेरिका में थी। एक बार मिल लेना चाहता था लेकिन मिलने का कोई रास्ता नहीं था।
दो महीने पहले निशा और उसका क्लासमेट एन. आर. आई. दीपक मिला था जिसने निशा और एक बच्ची को टैक्सस की सबअर्बन आबादी से दूर बिग जैग्स रेस्त्रां में आते देखा था।
"वो अक्सर वहां ख़ामोशी से आती थी और चली जाती थी, वही पुराने से कपडे पहने, इससे पहले मैं कुछ पूछता वो रेस्त्रां से चली जाती थी।" —दीपक ने संजीदगी के साथ उसे बताया था।
"वेटिंग फॉर समवन ।" (किसी का इंतजार कर रहे हो) —वेट्रेस ने हमेशा की तरह एक ग्रिल्ड सैंडविच उसके सामने रखते हुए पूछा ।
"यस, आई हर्ड अ लेडी एंड अ किड गर्ल ऑफ़टन विज़िट योर रेस्त्रां।" (हाँ, मैंने सुना है एक लेडी और एक बच्ची अक्सर आपके रेस्त्रां में आते है) —सिद्धार्थ रेस्त्रां की छितरी हुई भीड़ की और देखते हुए कहा ।
"आय वंडर, इफ आय एवर सॉ अ लेडी एंड अ किड गर्ल कमिंग टुगेदर इन दिस रेस्त्रां।" (आश्चर्य है, मैंने तो कदाचित ही एक लेडी और एक बच्ची को इस रेस्त्रां में एक साथ आते देखा हो) —कहकर वेट्रेस चली गई।
लेकिन सिद्धार्थ को वेट्रेस की बात सुनने की फुरसत ही कहाँ थी, रेस्त्रां की एंट्रेंस पर निशा एक चार या पांच साल की बच्ची के साथ खड़ी थी । निशा ने उसकी और देखा और पीछे ही मुड गयी, सिद्धार्थ ने २० डॉलर के नोट वेट्रेस को थमाए और तेजी से रेस्त्रां के बाहर आ गया। निशा और वो बच्ची रात के धुंधलके में १०० फ़ीट चौड़ी सुनसान सड़क के पार जाती दिखाई दे रही थी।
"निशा रुको…………" —चिल्लाते हुए सिद्धार्थ उसकी और भागा।
जब तक सिद्धार्थ ने सड़क पार की वो दोनों सड़क पार के उजाड़ में बहुत दूर जा चुकी थी। सिद्धार्थ पागलो की तरह उनके पीछे भाग रहा था लेकिन उनके नजदीक नहीं पहुँच पा रहा था। उसकी दौड़ का अंत हुआ एक उजाड़ मैदान में जहाँ मिटटी के तीन टीले थे, और उनकी बगल में एक गहरा गड्ढा था। वो कुछ समझ पाता उससे पहले ही उसके सिर पर कोई भारी चीज टकराई और उसके घुटने मुड़ते चले गए।
जब उसे होश आया तो उसके हाथ-पैर मजबूती से बंधे हुए थे और एक बड़ा सा काऊबॉय हैट पहने लंबा-दुबला आदमी हाथ में एक बेलचा लिए खड़ा था।
"आ गया तू, १० साल से तेरा इंतजार कर रहा था, तेरी वजह से निशा मेरी कभी न हो सकी, मेरी बेटी की माँ बनकर भी मेरी न हो सकी। एक दिन दोनों हमेशा के लिए मुझे छोड़ गयी, दोनों यहीं दफन है और इनके बगल में तेरी भी कब्र खुदी है, आज तू भी दफ़न होगा इस कब्र में।" —वो आदमी जो कदाचित रंजीत था, अस्पष्ट सी हिंदी में बोला।
सिद्धार्थ जड़ था, तभी रंजीत ने उसे ठोकर मारी और वो उस गहरी कब्र में जा गिरा और देखते ही देखते रंजीत ने कब्र में मिटटी भरनी शुरू कर दी। कुछ ही देर में वो मिटटी के ढेर में दबा हुआ था और उसका दम घुट रहा था। उसका दम घुटने से पहले ही एक मजबूत हाथ ने उसकी शर्ट पकड़ कर मिटटी से बाहर खींच लिया।
"व्हाट द हैल आर यू डूइंग इन दिस पिट?" (इस गड्ढे में तुम क्या कर रहे हो) —हाईवे पैट्रॉल कार से आये डिप्टी शेरिफ ने उसे पूछा।
सिदार्थ के ऊपर कोई मिटटी नहीं थी वो सिर्फ उस गड्ढे में गिरा हुआ था, उसके पास कुछ कहने को न था उसने लड़खड़ाती आवाज में पूछा— "व्हाट इज़ दिस प्लेस? (कौन सी जगह है ये)
"मिस्टर दिस इज़ अ कंट्री ग्रेवयार्ड, मैनी पीपल हू डायड इन रोड एक्सीडेंट हैव बीन बरिड हियर। वंस अ मिस्टर रंजीत एंड हिज फॅमिली, हू आलसो डाइड इन अ कार एक्सीडेंट टेन इयर्स एगो वर बरिड इन दीज ग्रेव्स। नन क्लेम्ड देयर बॉडीज।" (ये एक कब्रिस्तान है इसमें एक्सीडेंट में मरे लोग दफन है। एक रंजीत नाम का आदमी, जो अपने परिवार के साथ एक्सीडेंट में मर गया था वो भी यहाँ दफ़न है, उनके शवों के लेने कोई नहीं आया था) —डिप्टी शेरिफ ने बताया।
"बट डोंट वरी यू आर स्टिल अलाइव, वी सॉ यू एंटरिंग इन दिस विल्डरनेस एंड केम हियर टू रेस्क्यू यू।" (लेकिन चिंता न करो तुम अभी जिन्दा हो, हमने तुम्हे इस वीराने में जाते देख लिया था और आकर तुम्हे बचा लिया) —डिप्टी शेरिफ ने कब्रिस्तान से बाहर निकलते हुए कहा।
"मैं भी कहाँ जिन्दा हूँ मुद्द्त से ढो रहा हूँ इस मुर्दा जिस्म को।" —सिद्धार्थ बड़बड़ाया।
"व्हाट?" (क्या?) —डिप्टी शेरिफ अपनी पैट्रॉल कार की और बढ़ते हुए बोला।
सिद्धार्थ खामोश रहकर उन तीन कब्रों की और देखता रहा।