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Priyanka Gupta

Romance Inspirational Others

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Priyanka Gupta

Romance Inspirational Others

जीवनसाथी

जीवनसाथी

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साकेत आज फिर ऑफिस से आकर चुपचाप बालकनी में आकर बैठ गया था। श्रेया चाय बनाकर ले आयी थी और बालकनी में आकर खड़ी हो गयी थी। साकेत अभी भी शून्य में निहार रहा था ;अपने ख्यालों में गुम साकेत को ज़रा भी भान नहीं हुआ कि श्रेया उसके पास ही खड़ी है। 

साकेत के बगल में चेयर खींचकर बैठते हुए श्रेया ने कहा, "क्या हुआ ?"

साकेत ने अभी भी श्रेया को नहीं सुना था। तब श्रेया ने साकेत का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा कि, "क्या हुआ, साकेत ?"

तब साकेत ने झेंपते हुए कहा, "कुछ नहीं। तुम कब आयी ?"

"जब से तुम बाहर सड़क पर आती -जाती ख़ूबसूरत लड़कियों को ताड़ रहे हो। ",श्रेया ने माहौल को थोड़ा हल्का बनाने के लिए कहा। 

"नहीं, नहीं। मैं किसी को नहीं ताड़ रहा था। ",साकेत ने अपने स्वर को भरसक सामान्य बनाने का प्रयास करते हुए कहा। 

"अरे बाबा, जानती हूँ। मज़ाक कर रही थी। ",श्रेया ने कहा। 

"अब बताओ, क्या हुआ ?",श्रेया ने फिर से पूछा। 

"श्रेया, मेरा दम घुटने लगा है। मैं एक ऐसी ज़िन्दगी जी रहा हूँ, जिसका मैंने कभी सपना नहीं देखा था। ",साकेत ने शून्य में ही निहारते हुए कहा। 

"क्या मतलब ?",श्रेया ने साकेत का चेहरा अपनी तरफ करते हुए पूछा। 

"श्रेया, मैं ये नौकरी नहीं करना चाहता। मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ ?एक अरबपति आदमी को और अधिक अमीर कर रहा हूँ। मैं लोगों को उनके सपने पूरे मदद करना चाहता हूँ। नीति निर्माण में मदद करना चाहता हूँ। ",साकेत ने श्रेया की आँखों में आँखें डालते हुए कहा। 

"तो करो न, किसने रोका है ?",श्रेया। 

" श्रेया, मैं सिविल सर्विसेज में जाना चाहता हूँ। मैं तो शुरू से ही मानविकी विषय पढ़कर तैयारी करना चाहता था। लेकिन पापा के कारण इंजीनियरिंग की। फिर कैंपस प्लेसमेंट हो गया। पापा ने कहा कि नौकरी करो। ",साकेत ने चाय का घूँट पीते हुए कहा। 

"तो अब कर लो। ",श्रेया ने शांति से कहा। 

"पापा ने तुमसे शादी करवा दी क्यूँकि तुम्हारे पापा मोटा दहेज़ दे रहे थे। उस दहेज़ और मेरी बचतों से दोनों बहिनों की शादी हो गयी। लेकिन मेरी अच्छी किस्मत थी, जो तुम्हारी जैसी जीवन संगिनी मिली। ",साकेत श्रेया की बात को सुना -अनसुना करते हुए अपनी रौ में कहे जा रहा था। 

"साकेत, आप अब भी तैयारी कर सकते हो और अपने सपने को पूरा कर सकते हो। ",श्रेया ने कहा। 

"कैसे करूँ ?नौकरी के साथ पढ़ाई नहीं कर सकता। अगर नौकरी छोड़ने की बात कही तो पापा हँगामा कर देंगे। फिर अब तुम हो, बेटी कोयल है। दोनों मेरी ज़िम्मेदारी हो। चाहकर भी नौकरी नहीं छोड़ सकता। ",साकेत ने कहा। 

"साकेत, आपको नौकरी छोड़नी पड़े तो छोड़कर तैयारी कीजिये। अपने सपने पूरा करने का प्रयास कीजिये। नहीं तो पूरी ज़िन्दगी मलाल रहेगा कि मैंने तैयारी क्यों नहीं की ?रही पापाजी की बात तो आप उन्हें समझा दीजिये कि आप अपनी ज़िन्दगी के २ साल सिर्फ अपने लिए जीना चाहते हो। मैं और कोयल कुछ दिन मेरे मायके रह लेंगे। जानती हूँ कि लोगों की बातें सुननी पड़ेंगी, लेकिन अपने दिल की आवाज़ सुनना ज़्यादा जरूरी है। ",श्रेया ने साकेत को समझाते हुए कहा। 

"श्रेया, तुमने कितनी आसानी से मेरी समस्या का समाधान बता दिया। शायद तुम सही कह रही हो। कई बार हमें ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं, जो हमारे अपनों को ही नाग़वार लगते हैं। लेकिन आज नहीं तो कल पापा भी समझ जाएँगे। मैं अपना रिजाइन दे देता हूँ, एक महीने का नोटिस पीरियड है। हम कुछ दिन तो अपनी सेविंग्स से चला ही लेंगे। ",साकेत ने मुस्कुराते हुए कहा 

"हाँ साकेत, शुभ काम में देरी नहीं। ",श्रेया ने कहा। 

एक महीने बाद साकेत ने श्रेया और कोयल को उसके मायके छोड़ दिया। जैसा उसने सोचा था, उसके पापा ने बहुत हँगामा किया। लेकिन साकेत ने उनकी बातों को ज्यादा तूल नहीं दिया। साकेत दिलोजान से अपने सपने को पूरा करने लग गया। इस सपने को पूरा करने के लिए उसने रात -दिन एक कर दिए। जेबखर्ची के लिए साकेत ने १-2 ट्यूशन पढ़ाने शुरू कर दिए। 

उधर श्रेया से भी सब रिश्तेदार -पड़ौसी सौ सवाल करते। कुछ कहते कि इसका पति इसे छोड़कर भाग गया है। कुछ कहते कि जवान शादीशुदा लड़की घर बैठे अच्छी नहीं लगती।कुछ कहते कि इसका पति पागल है जो अच्छी खासी नौकरी छोड़कर आ गया। कुछ कहते कि जरूर इसके पति ने कोई घपला किया है, इसीलिए नौकरी छोड़नी पड़ी। जितने मुँह, उतनी ही बातें। श्रेया किस -किस का मुँह रोकती ?उसने लोगों की बातों की उपेक्षा करना ही बेहतर समझा। 

पहली बार में साकेत का चयन नहीं हुआ। साकेत की हिम्मत टूट गयी थी। लेकिन श्रेया ने उसे एक बार फिर कोशिश करने के लिए कहा। श्रेया की प्रेरणा और अपनी मेहनत से साकेत का दूसरी बार चयन हो गया था। 

अखबार वालों को साक्षात्कार देते हुए साकेत ने कहा, "आज मैं जो कुछ भी हूँ अपनी पत्नी की बदौलत हूँ। जो आपके सपनों को पूरा करने में मदद करे, वही जीवनसाथी है।"


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