Archana Saxena

Abstract

4.5  

Archana Saxena

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जहाँ चाह वहाँ राह

जहाँ चाह वहाँ राह

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तान्या विवाह के पश्चात सप्ताह भर ससुराल में रह कर पहली बार पंद्रह दिनों के लिये पग फेरे की रस्म के लिये मायके गयी थी। पंद्रह दिन से पहले ही लॉकडाउन जो लगा तो बढ़ता ही चला गया। सिद्धार्थ का जी चाहता कि उड़कर नयी नवेली दुल्हन के पास पहुँच जाये किसी तरह, परन्तु हवाई सुविधा भी तो उपलब्ध नहीं थी। न सड़क मार्ग, न रेलमार्ग न ही वायुमार्ग ही खुला था। विरह की अवधि लम्बी होती जा रही थी। पति पत्नी दोनों के माता पिता उनकी परेशानी समझ रहे थे परन्तु उनके पास भी कोई उपाय नहीं था। अचानक दूसरी परेशानी खड़ी हो गयी। तान्या के मायके में सभी को कोरोना हो गया। पापा की हालत तो कुछ अधिक ही बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में दाखिल करना पड़ा। एक ओर घर में सभी बीमार तो दूसरी ओर पापा की गम्भीर हालत, तान्या का तो रो रो कर बुरा हाल हो रहा था। सिद्धार्थ बेबस अनुभव कर रहा था। कुछ दिनों में सबकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गयी। तान्या के पापा भी खतरे से बाहर थे पर अभी अस्पताल में ही थे। परन्तु सिद्धार्थ और तान्या की मिलने की तड़प बढ़ती ही जा रही थी।

उन्हीं दिनों मजदूरों ने अपने घरों को वापस लौटना प्रारंभ कर दिया। हर राज्य से मजदूर अपने राज्य में अपने गाँव में लौट रहे थे। कितने कितने किलोमीटर चलते चलते वह अपनी मंजिल तक पहुँच ही जाते थे। सिद्धार्थ ने भी यही रास्ता अपनाने की ठान ली। माता पिता ने बहुत समझाया

  "तुमसे नहीं होगा। मजदूरों की बात अलग है उन्हें इतनी मेहनत की आदत होती है।"

  "पर वह भी इन्सान ही तो होते हैं। माना उन्हें चलने की आदत ज्यादा होती है पर आप लोग भूल रहे हो कि मैंने हमेशा ही दौड़ में गोल्ड मेडल जीता है। मेराथन में भी तो भाग लेता रहता हूँ मैं। अब अपनी पत्नी के लिए दौड़ूँगा" 

सिद्धार्थ ने मुस्करा कर कहा। उसके चेहरे पर दृढ़ संकल्प झलक रहा था। 

  "ठीक है तुम्हारा निश्चय पक्का है तो अवश्य जाओ परन्तु जिम्मेदार नागरिक की तरह मास्क और हाथों की साफ सफाई का ध्यान रखना। दूसरी बात यह कि उनकी तबियत अब ठीक तो हो गयी है परन्तु सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करना। उन सबको कमजोरी होगी, उनकी काम में मदद करना।" 

पिता ने हिदायतें दीं।

  एक पीठ पर पीछे टाँगने वाले बैग में थोड़ा सा सामान रख कर वह दौड़ कर पत्नी के पास पहुँचने के लिये निकल गया।

 इसी को तो कहते हैं जहाँ चाह वहाँ राह।


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