Archana Saxena

Children Stories

4.5  

Archana Saxena

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प्रीति और झबरू

प्रीति और झबरू

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उस दिन सुबह सुबह बाग में दोस्तों के साथ खेलकर वापस आ रही प्रीति के सामने अचानक एक छोटा सा कुत्ते का बच्चा आकर कूँ कूँ करने लगा। दो बड़े कुत्ते उस पर भौंक रहे थे और वह डरा हुआ था। प्रीति को वह झबरे वालों वाला पिल्ला बहुत प्यारा लगा और उसने नीचे झुक कर उसे गोद में उठा लिया, प्यार से सहलाया और दोनों बड़े कुत्तों को भगा दिया। प्रीति ने इधरउधर नजर डाल कर उसकी माँ को खोजना चाहा, परंतु वह कहीं आसपास दिखाई नहीं पड़ी। शायद यह पिल्ला ही कहीं दूर निकल आया था, और इसकी माँ किसी दूसरे मोहल्ले में अपने बाकी बच्चों के साथ रह गई थी। प्रीति ने सोचा कि उसे यहाँ छोड़ देने से उसकी जान को दूसरे विशालकाय कुत्तों से खतरा हो सकता है अतः उसने पिल्ले को अपने घर ले जाने का फैसला किया। रास्ते में वह देखती भी जा रही थी कि यदि उसकी माँ मिल जाती है तो वह उसे सुरक्षित सौंप देगी पर ऐसा हुआ नहीं।


प्रीति ने घर ले जाकर सबसे पहले तो भूखे पिल्ले को दूध पिलाया। वह गटगट करके सारा दूध पी गया और प्रीति का पैर चाटने लगा।

प्रीति के मम्मी पापा को उसका इस तरह कुत्ते के बच्चे को उठा लाना अच्छा नहीं लगा था पर प्रीति उसे सड़क पर छोड़ देने को तैयार नहीं थी। झबरे वालों वाले उस भूरे पिल्ले को प्रीति ने झबरू नाम ही दे दिया।


झबरू की उछलकूद शीघ्र ही प्रीति के साथ साथ पूरे परिवार का मन मोहने लगी। अब तो मम्मी पापा भी उसका पूरा ध्यान रखते, दादा टहलाने के लिए बाहर ले जाते। प्रीति के साथ तो खूब खेलता झबरू।

कुछ ही दिनों में वह परिवार का अभिन्न अंग बन गया। अच्छा भोजन मिलता था उसे तो जल्दी ही वह हृष्ट पुष्ट बन गया था। प्रीति का तो वह इतना ध्यान रखता कि मम्मी पापा को भी अब प्रीति की सुरक्षा की चिंता नहीं सताती। हर जगह वह प्रीति के साथ साया बन कर चलता।


एक बार की बात है, प्रीति अपनी नानी के घर गई थी। एक रात को घर में चोर घुस आए। उन्होंने झबरू को नशीली हड्डी पकड़ा दी। झबरू उसका स्वाद उठाने में तल्लीन हो गया और चोर आराम से चोरी करके चले गए।


सुबह जब सबको इस बात का पता चला तो घरवालों को झबरू पर बहुत गुस्सा आया। घर में चोरी हो चुकी थी और झबरू अब तक गहरी नींद सो रहा था।झबरू जब उठा तो किसी ने उसे कुछ खाने पीने को नहीं दिया, उल्टा डाँट डपट कर घर से भगा दिया।


झबरू को अपनी गलती समझ में आ गई थी और वह प्रीति के मम्मी पापा के पैरों में लोट लगाते हुए मूक प्रार्थना कर रहा था कि उसके साथ ये अन्याय न करें। पर उसकी इस कूँ कूँ से उनका क्रोध कम होने के स्थान पर और बढ़ गया। किसी ने उस पर दया नहीं दिखाई और झबरू को घर से बाहर कर दिया। झबरू कहीं गया नहीं। वह या तो घर के आगे ही बैठा रहता या भोजन की तलाश में उसी गली में घूमता फिरता।


दो दिन बाद प्रीति नानी के घर से वापस आ गई। झबरू उसके पैर चाटने लगा। प्रीति इतना तो समझ पा रही थी कि उसके आगे लोटता झबरू प्रीति से कुछ कहना चाहता था, परंतु वह क्या कहना चाहता था यह वह नहीं समझ पाई। उसने मम्मी पापा से विनती की कि झबरू को वापस घर के अंदर ले लें। परंतु कोई भी इसके लिए तैयार नहीं हुआ।


हाँ इतना अवश्य हुआ कि जबसे प्रीति वापस आई उसने झबरू को सुबह शाम घर से ही खाना देना शुरू कर दिया। अब उसके लिए झबरू को गली में नहीं भटकना पड़ता और वह किसी पहरेदार की भाँति घर के बाहर ही बैठा रहता।


प्रीति ने एक बात नई अनुभव की, वह ये कि सुबह शाम घर में बर्तन सफाई के लिए आने वाली शांति पर आजकल झबरू बहुत भौंकने लगा था। पहले तो वह शांति से इतना हिला मिला था कि उसके साथ खेलता, उसके हाथ से कुछ भी खा पी लेता। वह शांति को भी घर का सदस्य ही समझता था लेकिन अब वह जब भी आती वह उसे घर में घुसने ही नहीं देना चाहता था। उसे रोकने की पूरी कोशिश करता। इस बात पर किसी ने अभी तक गौर नहीं किया था। प्रीति ने भी एक दो बार ध्यान नहीं दिया पर जब झबरू हर बार ऐसे ही करता तो उसे दाल में कुछ काला लगा। 


अगले दिन जब शांति काम करके निकली तो झबरू ने उसकी साड़ी मुँह से पकड़ ली। शांति ने बहुत कोशिश की पर झबरू ने उसे नहीं छोड़ा। शांति ने उसे पत्थर से मारा फिर भी झबरू ने साड़ी नहीं छोड़ी। शोर सुन कर प्रीति और उसके मम्मी पापा भी बाहर निकल आए। 


अचानक झबरू ने धक्का देकर शांति को जमीन पर गिरा दिया। उसके कपड़ों से वह कीमती घड़ी निकल कर सड़क पर गिर पड़ी जो प्रीति की नानी ने उपहार में चलते समय प्रीति को दी थी।


सारा माज़रा सभी की समझ में आ गया था। प्रीति ने कहा "मुझे तो पहले ही संदेह था कि चोरी में किसी जानपहचान वाले का हाथ है जिसने झबरू को नशीली हड्डी खाने को दी और यह गहरी नींद सो गया। उसके बाद चोरों ने हाथ साफ किया। हो न हो चोरी में शांति का हाथ है।"


सबूत सामने था, शांति कुछ देर तो नकारती रही पर पुलिस के धमकाने पर उसने गुनाह कबूल कर लिया। शीघ्र ही चोरी का सभी सामान भी बरामद हो गया। झबरू पर अविश्वास करने को लेकर सभी घरवाले पश्चाताप कर रहे थे। सबने झबरू को बहुत प्यार किया और वापस घर के अंदर ले आए। प्रीति और झबरू दोनों बहुत खुश थे।


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