STORYMIRROR

Priyanka Gupta

Drama Tragedy Inspirational

4  

Priyanka Gupta

Drama Tragedy Inspirational

जब चिड़िया चुग गयी खेत ,तब पछताय क्या होत..................

जब चिड़िया चुग गयी खेत ,तब पछताय क्या होत..................

5 mins
211


"पापा, आपको क्या हो गया है ?इस कोरोना संकट में एक तो आप शादी करवा रहे हो और वह भी 500 मेहमानों को बुलाकर। सरकारी नियमों के हिसाब से 50 से ज्यादा लोग एकत्रित नहीं हो सकते। " दीपेश अपने पापा निर्मल जी को समझाने की कोशिश कर रहा था।

दीपेश निर्मल जी का बड़ा बेटा था ;जिसकी 3 साल पहले ही स्नेहा से शादी हो चुकी थी . अब उसके २ साल की छोटी सी बेटी पीहू भी थी। दीपेश के छोटे भाई जयेश की शादी मीरा से तय हुई थी और सगाई हुए लगभग ८ महीने हो चुके थे। अब मीरा के माँ -बाप शादी और देर से करने के इच्छुक नहीं थे। इसलिए कोरोना संकट के दौरान ही यह शादी होनी थी।

दीपेश खर्चीली शादियों के सख्त खिलाफ था। उसका मानना था कि खर्चीली शादियाँ हमें दरिद्र और बेईमान बनाती हैं। शादी एक पवित्र संस्कार है जो सादगी से दिन के उजाले में होना चाहिए। रात में होने वाली शादियों में बहुत से खर्च अनावश्यक हो जाते हैं। दीपेश की ज़िद के कारण निर्मलजी को उसकी बात से सहमत होना पड़ा था। दीपेश की शादी दिन में कुछ 150 लोगों की उपस्थिति में सादगीपूर्वक हुई थी। निर्मल जी केवल 50 लोगों को ही बारात में ले जा सके थे।

"बेटा, तेरी शादी सादगी से कर दी न। लोगों ने कितनी बातें बनाई थी ;कुछ ने तो यहाँ तक कहा था कि लड़के में ही कुछ कमी होगी ;इसलिए ऐसे घर में शादी की जो 50 से ज्यादा बारातियों को खाना भी नहीं खिला सकता था। तू सरकारी नियमों की परवाह मत कर। ले -दे के सब हो जाता है ;अभी कुछ दिन पहले ही वर्माजी ने अपने बेटे की शादी सभी नियमों को ताक पर रखकर बड़े धूमधाम से की थी। हम कौनसा उनसे कम हैं ;उनसे ज्यादा ही अधिकारीयों और नेताओं को जेब में रखकर घूमते हैं। सबको अपनी पहुँच और रुतबा दिखाने का यही तो एक अवसर मिला है। तो तू अपना ज्ञान अपने पास ही रख। " निर्मल जी ने कहा।

"पापा, पीहू अभी छोटी है ;आप उसका तो सोचिये जरा। मैं तो 50 लोगों को भी एकत्रित करने के पक्ष में नहीं हूँ और आप 500 लोगों की बात कर रहे हैं।आप कितनी अच्छी से अच्छी शादी कर दीजिये, लोग तो फिर भी बातें करेंगे .लोगों का तो काम ही बात करना है .इसलिए लोगों को खुश करने के लिए नहीं, बल्कि जिसमें हम सबकी भलाई हो वह कीजिये .सबकी भलाई इस समय सोशल डिस्टन्सिंग बनाये रखने में है . "दीपेश ने फिर समझाने की कोशिश की।

"तू पीहू की फ़िक्र मत कर। वैसे भी हम सब मास्क लगाकर रहेंगे। तुझे दुनियादारी की ज़रा सी भी समझ नहीं है .जयेश की बढ़िया शादी होगी तब ही तो भूपेश के लिए भी बड़े घर से रिश्ता आएगा .एक शादी ही तो ऐसा मौका है जब हम अपनी शान -शौकत का प्रदर्शन कर सकते हैं .अब तेरे से और बहस करने का न समय है और न ही इच्छा। "निर्मल जी ने बात समाप्त की।

"प

ापा, फिर भी एक बार और सोच लीजिये .कहीं आपकी ज़िद और अहंकार की कीमत आपके परिवार को न चुकानी पड़े .आप चाहे तो शादी और आगे खिसका दीजिये "दीपेश ने भी अपनी बात समाप्त की .

शादी तो आगे खिसकाने का सवाल ही नहीं उठता था, निर्मल जी को लगता था कि अगर देर की तो कहीं कोई ऊंच -नीच न हो जाए .फिर लड़की वाले भी जल्दी कर रहे थे .

निर्मल जी ने अपनी ज़िद और अहंकार के कारण अपने छोटे बेटे की शादी बड़ी धूमधाम से कर दी। सब कुछ अच्छे से निपट गया था। प्रशासन या सरकार को भनक तक नहीं लगी थी।

निर्मल जी ने दीपेश को कहा, "देखा ;सब कितना बढ़िया हुआ ?लोगों के मुँह पर ताले लग गए। ऐसी शादी हुई है ;लोग सालों तक याद रखेंगे .अब देखना भूपेश के लिए तो अच्छे रिश्तों की बाढ़ आ जायेगी .और ये कोरोना -वोरोना सब बेकार की बातें हैं . तेरी बातों को मान लेता तो फिर जाति -बिरादरी और रिश्तेदारों के सामने नीचा देखना पड़ता। अब अपनी नाक ऊँची रखकर चल सकता हूँ। "

दीपेश ने कुछ नहीं कहा। लेकिन वह सोच रहा था 14 दिन सही ढंग से निकल जाए तो उसकी जान में जान आये । शादी के सात दिन बाद निर्मल जी के सबसे छोटे बेटे भूपेश को खाँसी -जुकाम हुआ और २-३ दिन में उसकी हालत खराब हो गयी। उसको हॉस्पिटल ले जाया गया और उसका कोरोना टेस्ट किया गया। रिपोर्ट आने से पहले ही भूपेश की मृत्यु हो गयी। पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव था। निर्मल जी के पैरों तले जमीन खिसक गयी। हँसते -खेलते परिवार में मातम छा गया। पीहू भी कोरोना पॉजिटिव आयी और उनके यहाँ शादी में शामिल हुए 100 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। 100 में से 20 लोगों की हालत नाजुक थी।

अब सभी लोग निर्मल जी पर थू-थू कर रहे थे .जब बेटा बीमार था तो इतने लोगों को एकत्रित करने की जरूरत ही क्या थी ?खुद का तो परिवार तबाह किया ही साथ में इतने परिवारों को और ले डूबे .निर्मल जैसे आदमी पर सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए .कल जो लोग उनकी तारीफ कर रहे थे, आज वही सब लोग उन्हें पानी पी -पी कर कोस रहे थे .

अब तक प्रशासन को भी निर्मल जी की धूमधाम से हुई शादी और उसमें एकत्रित हुए लोगों के बारे में भी पता चल गया था। निर्मल जी से बीमार हुए लोगों और अलग रखे जाने वाले लोगों के इलाज़ एवं रहने -खाने पर होने वाले खर्च को वसूलने के आदेश भी हुए। साथ ही आपदा कानून के उल्लंघन के कारण पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज की गयी।

निर्मल जी ने अपनी प्रतिष्ठा, पैसा और अपने बेटे तक को अपनी झूठी शान दिखाने में खो दिया था। उनका हँसता-खेलता परिवार एक बार में ही तबाह हो गया। अब उनको अपने परिवार की नफरत और दर्द भरी आँखों का पूरी ज़िन्दगी सामना करना पड़ेगा। लेकिन जब चिड़िया चुग गयी खेत, तब पछताय क्या होत।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama