जब आपको अहसास हुआ कि आप प्रेम में
जब आपको अहसास हुआ कि आप प्रेम में
जब आप प्रेम में हों तो सुना है कि दिन सोने के और रातें चांदी की हो जाती है।मुझे भी ऐसा ही एहसास हुआ यह प्रेम का अहसास कितना सहज व सुखद होता है! आप चुपचाप बिना वजह मुस्कुराते हो।किसी से कुछ कहने सुनने की इच्छा भी नहीं होती है।जिधर नजर जाए रूमानी नज़ारा दिखता है।आप एक अनजानी सी मदहोशी में रहते हैं।
उस रात जब मेरी नींद बहुत प्रयास के बाद भी नहीं लगी, तो अपनी खिड़की खोलकर देखता हूं ,तुम अपने बेडरूम की खिड़की खोले,सफेद साटन की गुलाब के फूलों वाली नाइटी में खड़ी हो,मानो जमीन पर चाँद उतर आया हो या फिर कोई परी उतर आई हो। अक्सर खूबसूरती लंबे गेसूओं से पूरी होती है। मगर मुझे तुम्हारे छोटे बॉब कट बाल हवा में उड़ते तुम्हारे मुंह को आधा ढके बहुत प्यारे लगे। मैं घंटों तुम्हें अपलक देखता रहता, मगर फिर तुमने अपने कमरे की रोशनी बंद कर दी।
अब यह रोज -रोज का सिलसिला हो गया था। मैं अपने कमरे की लाइट स्विच ऑफ करके तुम्हें देखता रहता। जान ही नहीं पाया कि कब मैं तुमसे प्रेम करने लगा ।
पर तुम तो मेरे दिल के हालात से बेखबर थी। या ..
लो,अब सर्दियां आ गई हैं। अब तुम्हारी खिड़की खुलने के इंतजार में करवटें बदलता रहता हूं। जब सारी दुनिया सो रही होती है ,हर आहट पर मैं चौंक जाता हूं।हवा का झोंका आता है, उसे सूंघता हूं ,शायद तुम्हारी खुशबू लिपटी हो। नींद आंखों से कोसों दूर जा चुकी है।
अब मैं किसी न किसी बहाने इस कमरे में ही बना रहता हूं।किताब हाथ में होती है,निगाहें कहीं और होती हैं। अब हर शय कितनी खूबसूरत नजर आती है!
पहली बार महसूस किया पहली बारिश के बाद मिट्टी की खुशबू कितनी सौंधी होती है..
पता नहीं क्यों अकेलापन अच्छा लगने लगा है । मां कहती है, मेरी भूख प्यास खत्म हो गई है। मेरा चेहरा जर्द होता जा रहा है। मैं खोया -खोया रहने लगा हूं।तुमसे मिलने, तुमसे बातें करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। बस, बेचैन हूं।नहीं जानता,इस एकतरफा प्यार का क्या अंजाम होगा!
लो मौसम भी बदल गया। आज चाँदनी रात है। मैं तुम्हारी बालकनी की ओर देख तुम्हें याद करता हूँ...
इक टीस सी उठती है उस अधूरे प्यार की...!

