इत्तेफाक
इत्तेफाक
नेहा ने जोर से ब्रेक लगाया और गाड़ी रोक कर गुस्से में देखा उस बच्चे को जो अचानक से गाड़ी के सामने आ गया था । उसके साथ एक बुजुर्ग व्यक्ति को देखकर ठहर गई वरना उसे जोरदार डांट लगाने वाली थी । उसने शीशा निचे करके इसलिए झांका था मगर इरादा बदल गया वृद्ध इंसान को देखकर । वो समझ गई बच्चे के माता पिता नौकरीपेशा होंगे उन्हें फुर्सत नहीं होगी इसलिए बच्चे को उसके दादाजी लेकर आए होंगे । उसने धीरे से शीशा ऊपर किया और चल पड़ी । उसे कोई जल्दी नहीं थी आराम से उसने कार स्टार्ट की और चल पड़ी । मन कुछ अशांत जरूर हो गया था मगर उसे अपने मन को बहलाना आता है । उसने झटक दिया , कुछ दूर चलकर गाड़ी पार्क की सामानों की सूची देखा और देखते देखते जीना चढ़कर अंदर दाखिल हुई । उसका कलेजा थक से धड़कने लगा .... वो बच्चा और उसके साथ बुजुर्ग व्यक्ति यहां पहले से मौजूद थें । उसने ध्यान से देखा सूरत कुछ पहचानी पहचानी सी लगी .... वो बुजुर्ग इंसान से नज़र टकराई तो उनकी प्रतिक्रिया भी कुछ वैसी ही लगी जैसे वो भी पहचानते हों ...। सहसा नेहा के मुंह से स्वर फुटा "अ रे ...रे अरे आप ? आप यहां .... ?"
"वो माई गॉड तुम ? बहुत बदल गई हो बिल्कुल पहचान में नहीं आई । अगर मुंह ना खोलती तो पहचान ही नहीं पाता । तुम्हारी आवाज़ आज भी वैसी ही है ...... वैसी ही है , मतलब कैसी है ...?"
" अच्छा बताइए यहां कैसे ?"
" लीची तोड़ने आया हूं ... बेवकूफ कहीं की बेकरी की दुकान में क्या लेने आते हैं लोग ? तुम क्या लेने आई हो ?"
" मैं , मैं तो केक लेने आई हूं आज मेरे पोता का जन्मदिन है । बेटा विदेश गया हुआ है और बहुरानी की जरूरी मीटिंग है इसलिए मैं अहमदाबाद से एक दिन के लिए आई हूं कल सुबह की फ्लाइट से वापस चली जाऊंगी ।"
"और आप किसके के लिए केक ले रहें हैं ?"
"आज मेरे पोते का भी जन्मदिन है ..". वाउ सेम पिंच , नेहा ने उत्तेजना में हाथ उठा तो दिया था मगर फिर नीचे कर लिया और गंभीर हो गई । बेकरी वाले ने कहा , "मैडम आपका केक अभी नहीं आया है थोड़ा सा इंतजार करना होगा । " ओके , आज शायद पहली बार इंतजार करना उसे बुरा नहीं लगेगा । उसने लापारवाही से ओके बोला और दूसरी तरफ देखने लगी । जहां दादा पोता कुछ तलाश रहें थे । नेहा सोचने लगी कि हमारे रास्ते अलग हो गए , हमारी दुनिया भी अलग हो गई मगर हम अलग कहां हुए ....? हम अलग रहकर भी एक दूसरे के घर में मनाएं जाने वाले जश्न में शामिल रहते हैं यह बड़ा अजीब सा इत्तेफाक है कि हमारे बच्चों का जन्मदिन भी एक ही तिथि पर अपने अपने घरों में मनाई जाती है और अब हमारे पोते पोतियों का भी ..... मन ही मन मुस्कुराने लगी तभी वो बुजुर्ग व्यक्ति एक गिफ्ट पैकिंग लेकर सामने आ गए और कहा इसे मेरी तरफ से अपने पोते को दे देना , दूसरा दिन होता तो मैं स्वयं उसे देता लेकिन आज तो मजबूरी है ना मैं तुम्हारे घर आ सकता हूं और ना ही तुम्हें अपने घर आमंत्रित कर सकता हूं । तुम अगर रूकती तो इत्मीनान से मिलता बहुत सारी बातें हैं बताने को लेकिन तुम्हें तो कल सुबह की फ्लाइट से लौट जाना है । मैं तो यहीं रहता हूं अगर फिर कभी आओ तो एक कप चाय जो तुम पर उधार है वो चुकाने की कोशिश करना अभी और क्या कहूं ?
कहिए कुछ नहीं बस मोबाइल नंबर दे दीजिए बाकी बातें व्हाट्सएप पर करूंगी , मुझे भी घर पहुंच कर सारी तैयारी अकेले ही करनी है । बहुरानी तो मेहमानों के समय पर ही आएंगी बाकी नवल ने इंतजाम कर दिया है । कौन नवल ? मेरा बेटा । "ओह माई गॉड मेरे बेटे का नाम भी नवल है , " ये कैसा इत्तेफाक है ? हमारे बच्चों का नाम भी ... । लेकिन मैंने चोरी नहीं की है आपके बेटे का नाम , मुझे तो पता ही नहीं था कि आपका बेटा है । हां शादी हुई थी इतना पता चला था । उसके बाद मैंने तो आपकी तस्वीर देखना भी बंद कर दिया था और ना ही कभी किसी से हाल खबर ही पूछा । मैंने अपनी जिंदगी से कुछ साल डिलीट ही कर दिया था । कॉलेज के बाद मैंने शहर छोड़ा , जिला छोड़ा , राज्य छोड़ा इरादा तो दुनिया छोड़ने का था मैंने एक कोशिश भी की थी मगर कामयाब नही हो सकी .... । "हां मुझे पता चला था तब मैं आया भी था मगर पता चला तुम शहर छोड़कर जा चुकी हो । पूछा भी दो चार लोगों से लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं मिल सका फिर मैं निराश होकर लौट आया और अपना मन काम में झोंक दिया ... फिर मुझे इन किताब , कॉपी और कलम में तुम महसूस होने लगी तब से आज तक काम पर लगा हुआ हूं मैंने रिटायरमेंट नहीं ली है । अपनी आखिरी सांसों तक इनके साथ ही रहने का इरादा कर लिया है । " और बताओ तुमने क्या किया उसके बाद अपनी पढ़ाई पूरी की या नहीं ? हां पूरी की और मैं भी आज तक उन्हीं कागज़ के पन्नों के साथ हूं ।
ख़ैर , अब मिल गई हो तो फिर कभी मिलने की उम्मीद है । "नंबर नोट कर लो । " 9562348100 ओके , किस नाम से सेव करूं ? अच्छा तो तुम्हें मेरा नाम भी याद नहीं रहा ? कैसे भूल सकती हूं लेकिन मोबाइल में कैसे लिखूं ? टाइप करो एस ए जी ए आर , वेरी सिम्पल और सागर हंस पड़े । नेहा भी हंस पड़ी और फिर दोनों अपना अपना केक लेकर चल पड़े । सागर थोड़ी दूर चल कर रूक गए , उन्हें ख़्याल आया कि अपना नंबर तो बता दिया मगर नेहा का नंबर नहीं लिया और जैसा कि अक्सर लोग करते हैं नया नंबर सेव करने से पहले चेक करने के लिए मिस्ड कॉल देते हैं , मगर नेहा ने नहीं दिया । इसका मतलब क्या समझें कि नेहा अपना नंबर अभी देना नहीं चाहती थी ? अगर ऐसा है तो ठीक है वो इंतजार करेगा । नेहा का मैसेज और कॉल का । उसने गाड़ी बढाई और चल पड़ा । बरबस उसके होंठों ने गीत गुनगुनाएं ... तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल हैं , जहां भी जाऊं ये लगता है कि तेरी महफ़िल है ..... हजारों दफा ऐसा हुआ भी है जहां कहीं भी जाता था उसे लगता था कि उसे नेहा मिलेगी एक बार मगर ये सोचते सोचते सालों बीत गए तब जाकर आज उसे नेहा मिली मगर बात तो कुछ हो ही नहीं सकी । उसे फिर इंतजार करना होगा ।
नेहा घर पहुंच कर दो कप कड़क चाय बनाई और बाल्कनी में बैठकर पीने लगी एक के बाद दूसरी कप खत्म किया तब जाकर उसका मन स्थिर हुआ । उसने मोबाइल निकाला और मैसेज टाइप किया , "मैं घर पहुंच गई , थोड़ी देर बाद व्यस्त हो जाऊंगी इसलिए अभी बता रही हूं । रात आठ बजे केक काटेगा उत्कर्ष उस समय लिंक भेज दूंगी अगर आपको फुर्सत मिले जो आनलाईन ज्वाइन कर लीजिएगा मेरे पोते का जन्मदिन ।" सागर बाट ही जोह रहा था झट से मैसेज पढ़ा और नंबर सेव करके बहुत राहत महसूस किया । सोचने लगा कैसे अनायास किन हालातों में नेहा से मुलाकात हुई ... उसने तो उम्मीद छोड़ दी थी मगर भुला नहीं सका था तभी तो आज पहचान लिया जबकि वो काफी बदल चुकी थी चार गुना मोटाई चौड़ाई में इजाफा हो गया था बस उसकी आवाज़ में वही खनक , वही माधुर्य और वही आकर्षण था । एक सुत्र हाथ क्या लगा सागर तो अथाह समंदर में गोते लगाने लगा सुनहरे अतीत के यादों में खो गया । तभी एक नोटिफिकेशन आया नेहा का । अपने मोबाइल में मेरा नाम "चुड़ैल" तो नहीं सेव कर लिया ? ???????
सागर ने विडियो कॉलिंग की ... अभी तक तो सेव नहीं किया था अब बेझिझक चुड़ैल ही सेव कर लेता हूं बस एक बार दीदार कर लूं उस खूबसूरत चुड़ैल का जिसका कभी बहुत इंतजार किया था । नेहा हंसते हंसते रो पड़ी .... सागर को कुछ समझ में नहीं आया कैसे हैंडल करे इस सिचुएशन का उसने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया । नेहा का मैसेज आया थैंक्यू , "मुझे अपना नया नाम बहुत पसंद आया ।"