इत्तेफाक समझकर भूल जाओ दोस्तों ...
इत्तेफाक समझकर भूल जाओ दोस्तों ...
आपदा में अवसर ढूंढे उसे क्या कहें?
सच के हत्यारे , झूठों के सरदार या
गिरगिट के तरह रंग बदलता तानाशाह
हँसता - रोता, बहलाता - फुसलाता बहुरुपिया
बड़ी - बड़ी बातें , हर वक्त झूट ही झूट
और उपर से अपनाता तानाशाही रवैया
मकसद सिर्फ कुर्सी हथियाना है
ऐसे नहीं तो वैसे भी किसी भी कीमत पर
जो बोलता वो करता नहीं
जो करना है वो बोलता नहीं
हमने कहा वही सच है
हमने दिखाया वही सही है
अगर यहाँ रहना है तो
इशारो पर नाचना होगा
हम दो हमारे दो , चुप रहो
नहीं तो रास्ता अपना नापो
अपने घर में चोरी करके
खूब मचाऊं शोर या
हमरा माने तो ठीक
वर्ना देशद्रोही बेशक
ज्यादा टेंशन मत लेना दोस्तों
यह सिर्फ ट्रेलर है पिक्चर तो अभी भी बाकी है ,
क्या फर्क पड़ता हमें काल्पनिक या हो वास्तविक
बेशक इत्तेफाक समझकर भूल जाओ दोस्तों!