V. Aaradhyaa

Drama Tragedy

4.5  

V. Aaradhyaa

Drama Tragedy

इस प्यार को क्या नाम दूँ (भाग-1)

इस प्यार को क्या नाम दूँ (भाग-1)

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यह सिर्फ एक नाम ही नहीं बल्कि कानपूर में एक जाना पहचाना नाम थी।

 एक तो अपनी खूबसूरती की वज़ह से दूसरा अपने नामी गिरामी खानदान की वज़ह से।कभी दादाजी ने छोटे पैमाने पर शुरू किया था चिकनकारी कुर्ते के साथ हस्त कलाकारी वाले बैग बनाने का व्यापार अब आकृति के पिताजी और चाचाजी की मेहनत और लगन से वृहत रूप ले चुका था।

अपनी लाडली और जहीन बिटिया पर पापा सुरेश जी का लाड़ कभी खत्म ही नहीं होता। घर की बड़ी संतान और तीन भाईयों की लाडली बहन थी नलिनी । अपने सगे भाई आरव और चचेरे भाई अरुण,अखिल में दिल की कोमल और संवेदनशील नलिनी कोई भेदभाव ना करती तो बदले में तीनों भाइयों का भरपूर प्रेम और सम्मान भी मिलता था उसे ।माँ और चाची भी बस उसकी मुस्कुराहट की बाट जोहती रहती। चाचा मनीष जी का प्यार भी कहाँ कम था।

नलिनी की शादी में शानदार गाड़ी उन्हीं की तरफ से तो तोहफ़े में दी गई थी। घर भर की लाडली नलिनी को।अमूमन तौर पर लड़की वालों की तरफ से जाता है रिश्ता। पर नलिनी के लिए राघव का रिश्ता ज़ब सामने से चलकर आया तो...एकबारगी उसके पापा और चाचा सोच में पड़ गए कि अपने यहाँ ज़ब लड़कियों की शादी में दान दहेज़ का इतना बड़ा टंटा है। और.... यहां तो लड़केवाले खुद से लड़की के घर रिश्ता भिजवाने में अपनी हेठी समझते हैँ। तो...ऐसे में राघव के पिता भी एक व्यापारी थे। उन्होंने किसी बिचौलिए के हाथ ज़ब रिश्ता भिजवाया तो सीधे सरल नलिनी के पापा ने इनकार करने के बजाए उनलोगों से मिलना तय किया।

नियत समय पर दोनों परिवार एक बड़े से रेस्टोरेंट में मिले। ज़ब राघव सामने आया तो नलिनी चौंक गई।

वह बहुत ही हैंडसम लग रहा था।

और बेहद संजीदा भी रहता था।नलिनी को तो पहली नज़र में भा गया था राघव।दो एक बार नलिनी ने उसे प्रशंसा भरी नज़रों से देखा था। पर राघव शांत था।वैसे तो राघव का परिवार व्यापार में उनसे उन्नीस से भी कुछ कम ही था। पर सबकी बातों से सभ्यता और संस्कार झलक रहे थे। इसके अलावा उन्होंने अन्य रिश्तों की तरह गहनों और दहेज़ की कोई लंबी फेहरिस्त नहीं थमाई थी जिससे नलिनी का परिवार बहुत प्रभावित हुआ था।बहरहाल...

राघव और नलिनी को ज़ब अकेले में बात करने के लिए छोड़ा गया तो नलिनी तो शर्म से अपनी तरफ से कुछ बोल नहीं पाई। राघव को देखकर उसे थोड़ी झिझक सी महसूस हुई।.....

उनदोनों को एकांत मिलते ही राघव ने ही बात शुरू की थी।"कैसी हैँ आप?"

ज़ब राघव ने बेहद बेलौस आवाज़ में पुछा तो नलिनी को थोड़ा अटपटा तो लगा।पर नलिनी ने सोचा...

पहली बार बात कर रहा है.....शायद इसलिए औपचारिक हो रहा होगा। उस दिन महज़ औपचारिक बातें हुईं दोनों के बीच। लड़केवालों को सगाई और विवाह की कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी।इसी बात पर चाची ने नलिनी को छेड़ते हुए चुपके से राघव का नंबर उसके मोबाइल में सेव करवा दिया जो उन्होंने चलते हुए उससे माँग लिया था। उन्हें पता था उनकी शर्मीली नलिनी तो अपनी तरफ से नंबर माँगने से रही।

 नलिनी बहुत खुश थी।

क्योंकि कॉलेज के समय उसे कई बार राघव अच्छा तो लगा था।. और अब इसी हैंडसम और डेसिंग लड़के से उसकी शादी होने जा रही थी।

पर.... तभी शायद किसी को पता नहीं था कि... किस्मत ने उसकी झोली में क्या रखने का सोचा था...

क्रमशः


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