इंसान की हार
इंसान की हार
मेट्रो स्टेशन से बाहर आने के बाद market जाने के लिए इधर उधर नजर दौड़ाते ही सामने वाली सड़क पर मुझे साइकल रिक्शा के साथ साथ बहुत से इ-रिक्शा भी दिखाई दिए।
जल्दी होने के कारण मैं एक बूढ़े आदमी के साइकल रिक्शा को छोड़ कर इ-रिक्शा में बैठ कर आगे निकल गयी।
लेकिन थोड़ी दूर जाते ही मुझे लगा जैसे उस साइकल रिक्शे वाले की निरीह आँखे मेरा पीछा कर रही है और साथ सवाल भी।
"इन्सान आज फिर से मशीनों से हार नहीं गया क्या?'