STORYMIRROR

Bindiyarani Thakur

Tragedy Classics

4.1  

Bindiyarani Thakur

Tragedy Classics

इनाम

इनाम

3 mins
142


  आज शारदा बहुत खुश हैं,जब से बेटी ने फोन पर अगले हफ्ते  घर आने की बात कही है,तब से शारदा कामों में व्यस्त हैं कभी कटहल का अचार,तो उरद की बड़ियाँ, चावल के पापड़ इत्यादि बनाने में जुटी हुई हैं, थोड़े आलू के चिप्स भी बनाने होंगे,नाती को पसंद हैं ना, कुछ सूखी मिठाईयाँ भी बना ही लेती हूँ,हाँ गुलाब जामुन और बालूशाही ठीक रहेगा वे मन में सोच रही हैं। 

    देखते देखते बेटी के आने का दिन निकट आ रहा है, सबकुछ बन कर तैयार हो गया है, आज अठारह है आज ही आने का तो कहा था विभा बिटिया ने,खाना जल्दी से बना लेती हूँ, आ जाएगी तो आराम से गप्पें हांकेंगी हम माँ बेटी, नहीं तो काम के चक्कर में बात चीत भी नहीं हो पाएगी।

   उन्होंने पुलाव,बूँदी का रायता,छोले,पनीर की सब्जी और सलाद बनाया, सब मेरी विभा की पसंद का है देखते ही खुश हो जाएगी और मुझे प्यारी माँ ऐसा कहकर जोर से गले लगा लेगी,सोचकर मुस्कुरा उठती हैं। 

   तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, विभा विरेश और सारथी थे, तीनों ही ने माँ को नमस्कार करने की रस्म अदायगी की, विरेश और सारथी ने बस नमस्ते कह दिया और घर के भीतर चले गए, विभा गाल सटाकर फिल्मी तरीके से गले मिली और हाय ममा कहते हुए बड़े जोर की भूख लगी है क्या बनाया है ,माँ से पूछती है।

विभा जी ने कहा सब तुम्हारे पसंद का है जाओ हाथ मुँह धो लो मैं खाना लगाती हूँ। सभी खाने के लिए बैठ गए।जैसे

ही खाना आया ,विभा ने कहा अरे ममा आपने ये क्या बना दिया है मैं अब ये सब कुछ नहीं खाती।फिर क्या खाती है, सिर्फ सलाद और सूप,ममा ये घी,तेल मसाले वाला खा कर मेरा वजन बढ़ जाएगा, मैं डायट पर हूँ ,विभा बोली ।"अच्छा और दामाद जी और मेरा सारथी बेटा आप दोनों भी नहीं खाएंगे?माँ ने पूछा "इनको दे दो पर कम कम ही देना कहती हुई वह सलाद में से खीरे का टुकड़ा उठा कर खाने लगी, सबके खा लेने के बाद सब आराम करने के लिए कमरे में चले गए। वहां विभा मोबाइल पर ही व्यस्त रही।और बोली ममा हम कल ही चले जाएँगे ।इनकी छुट्टी नहीं है काम पर जाना है। ठीक है तब मैं सामान बाँध देती हूँ कहते हुए शारदा उठने लगीं,

    क्या सामान ममा, यही अचार, पापड़ बड़ियाँ और चिप्स मिठाई वगैरह तुम बहुत चाव से खाती हो तो थोड़े बना लिए,तुमसे कहाँ ये सब बन पाएगा,उन्होंने कहा ।

  अरे ममा आप भी ना! बेकार इतनी मेहनत की आपने ।ये सब तो बेकार ही में बनाया ,छोड़िए चलिए आराम कीजिए हमलोग सुबह चार बजे ही निकल जाएँगे,गुड नाइट ममा।

सुबह हुई विभा चली गयी। शारदा जी शांति से दरवाजे से सटकर चुपचाप उनको जाते हुए देखती रहीं, गाड़ी के अदृश्य होने तक देखती रहीं। ।दरवाजे के पास उनका बनाया सामान उनका मुँह चिढ़ा रहा था।।


 (आज कल संतान अपने आप में इतनी व्यस्त हो गई है किउन्हें माता पिता का ख्याल  रखना तो दूर की बात है थोड़ी सी देर के लिए उनका मन भी नहीं रख सकते)


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy