Bindiyarani Thakur

Tragedy

4.4  

Bindiyarani Thakur

Tragedy

नमकहराम

नमकहराम

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हमारे पड़ोसी शर्मा जी एक नेक इंसान हैं, सरकारी मुलाजिम हैं, बहुत मेहनत करके गरीबी में पढ़ाई की और आज एक अच्छे मुकाम पर हैं ,खैर उनके संघर्ष की कहानी फिर कभी सही, आज तो कोई और ही कहानी कहनी है। शर्मा जी को समाज सेवा का बहुत शौक है,जितनी कमाई है ,उससे घर का खर्च चल जाता है।

बात कुछ वर्ष पहले की है, शर्मा जी की एक व्यक्ति से जान पहचान हुई, शर्मा जी ठहरे भोले आदमी,उनको उतना छल-प्रपंच की कहाँ पड़ी है , उस व्यक्ति की बातों पर भरोसा कर लिया,हमेशा रूपए पैसे से मदद, घर आने पर महीनों टिक जाने की आदत, स्वयं को माँ दुर्गा का भक्त और पहुँचे हुए महात्मा 

बताते हुए परिवार की हर छोटी- बड़ी समस्या का समाधान करने का नाटक करके उन्हें लूटते रहे और बेचारे शर्मा लुटते रहे।

एक दिन उस व्यक्ति ने कहा कि एक गरीब बच्चा है उसे अपने घर रख लो ,उसके गाँव में पढ़ाई की सुविधा नहीं है,पढ़-लिख जाएगा,तो तुम्हारे गुण गाएगा। साथ ही घर के कामों में हाथ भी बँटा दिया करेगा। शर्मा जी ने बिना कुछ सोचे समझे झट से हामी भर दी। लड़का कुछ ही दिनों में रहने के लिए घर में आ गया। देखने में सीधा ही लगता, स्कूल में नाम भी लिखवा दिया गया। गणित में कमजोर था इसलिए टूयूशन भी लगवा दी गई। घर के सदस्यों ने भी उसे अपना मान लिया, दो वर्ष शर्मा जी के यहाँ रहकर हाईस्कूल की परीक्षा में पास बाद महाविद्यालय में दाखिले की बारी आई ,वहाँ वह छात्रावास में ही रहने लगा, देखते ही देखते पाँच साल गुजर गए इस बीच छुट्टियों में घर आता रहता, और स्नातक की परीक्षा भी उसने उत्तीर्ण कर ली। शर्मा जी इतने बरस उसका सारा खर्च उठाते रहे थे। तभी नई नौकरी के पद निकले थे, शर्मा जी ने उसका फार्म भी भर दिया, नौकरी की परीक्षा भी उसने पास कर ली, कहना अनुचित नहीं होगा कि उसकी इस परीक्षा में सफल होने में शर्मा जी का ही हाथ था, साक्षात्कार में सफल होते ही नौकरी पक्की हो गई।

इतने बरस उसका व्यवहार ठीक ही रहा, किन्तु नौकरी लगते ही लड़के का असली चेहरा सामने आ गया, वह शर्मा जी के रिश्तेदारों के बीच उनको बदनाम करने लगा, अब भी वह उसी घर में रहता किन्तु बाहर जाकर उसी घर की बुराइयाँ करता फिरता,दफ्तर में भी अफवाहें फैलाने लगा, किन्तु लोग तो शर्मा जी को अच्छे से जानते और समझते थे, लड़के की सारी बातें शर्मा जी और उनके परिवार को पता चल गई। साथ ही साथ यह भी पता चल गया कि जिस व्यक्ति ने शर्मा जी से उस लड़के की मदद करने की बात की थी और पढ़ाई की जिम्मेदारी संभालने की बात की थी असल में वही लड़के का पिता भी था!

इतना बड़ा रहस्य खुलने के बाद भी बाप-बेटे को शर्म नहीं आई, वे अब भी शर्मा जी के घर आते जाते रहते हैं, लड़के की शादी भी हुई,लेकिन उन्होंने शर्मा जी के परिवार को निमंत्रण तक नहीं दिया, अब उसने अपना मकान बना लिया है, और बाल-बच्चों वाला हो गया है अब भी कभी-कभार शर्मा जी के घर पर आते हुए दिख जाता है 

मैंने एकदिन शर्मा जी से पूछा, "आपने उस लड़के की इतनी मदद की घर के सदस्य की तरह समझा और बदले में उसने धोखा फरेब और बदनाम करने की कोशिश की ,फिर भी आपने उसे माफ कर दिया, अब भी आता रहता है, उस नमकहराम के ऊपर आपको गुस्सा नहीं आता है,आपकी जगह मैं होता तो पुलिस में शिकायत दर्ज करवा देता।"

 शर्मा जी ने कहा,"देखो दोस्त मैंने तो भलाई और परोपकार के लिए अपना कर्म किया, और उसने छल-कपट करके अपना कर्म किया ।इस दुनिया में तो छल-कपट कर लिया लेकिन ऊपरवाला तो सब देख रहा है, एक न एक दिन अपने- अपने कर्मों का हिसाब देना पड़ेगा उस समय कोई छल काम नहीं आएँगे।"



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