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Bindiyarani Thakur

Children Stories

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रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

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सुबह का समय है अवनी जल्दी जल्दी से काम खत्म करने में लगी हुई है, आज रक्षाबंधन का त्यौहार है, तो सबसे पहले साफ सफाई करके नहा धोकर तैयार हो गई,फिर अपनी बेटी पाखी को भी तैयार कर, पूजा की तैयारी में लग गई,अभी उसकी ननद आएगी राखी बांधने के लिए और फिर अवनी का भाई भी राखी बंधवाने आएगा इसीलिए अवनी बहुत व्यस्त है। सारी तैयारियाँ करने के बाद उसका ध्यान पाखी की तरफ गया,अरे कहाँ गई पाखी!अभी तो यहीं थी,देखा तो पूजा घर में चुपचाप बैठी है!

छोटी सी पाखी जो कि चार साल की है, चुपचाप बैठी है,उसकी माँ अवनी हैरान है कि दिनभर बिना रुके बोलने वाली आज इतनी चुप कैसी है, पहले तो अवनी काम में लगी हुई थी तो ध्यान नहीं दे पाई पर अब भी पाखी चुप है ।

"अरे पाखी बच्चा आप यहाँ क्या कर रहीं हैं? मम्मा आपको कब से ढूंढ रही थी। बोलो ना बेबी क्या हुआ आप उदास भी लग रही हो क्या हुआ बताओ ना! मेरा छोटू सा बेबी क्यों उदास है", अवनी ने पाखी से पूछा। 

माँ  के बार बार पूछने पर पाखी बोली,"मम्मा मेरी दोस्त स्नेहा है ना कल उसने कहा कि आज राखी का त्यौहार है वो अपने भैया को राखी बांधेगी,उसके भैया उसे गिफ्ट देंगे, बुआ भी पापा को राखी बांधेंगी और आप भी तो मामाजी को राखी बांधेंगी ना ।सब अपने अपने भाई को राखी बांधेंगी और पाखी चुप चाप बैठी रहेगी पाखी के कोई भाई क्यों नहीं है मम्मी!"

"ओहो तो ये बात है इसी लिए मेरा बच्चा उदास है,पाखी बेटू रक्षाबंधन सिर्फ बहन भाई का त्यौहार नहीं है, जो हमारी रक्षा करते हैं उनको हम राखी बाँधकर उनका धन्यवाद देते हैं इसीलिए हमलोग सबसे पहले भगवानजी की पूजा करते हैं और पहले उनको राखी बांधते हैं और प्रार्थना करते हैं। इसके बाद ही हम भाई को राखी बांधते हैं।"

"चलो पाखी आज मैं आपको आपके भाई से मिलाती हूँ और अवनी पाखी को गणेशजी की मूर्ति  के पास ले गई" पूजा की थाली तैयार ही थी। पाखी का हाथ पकड़ कर अवनी ने सबसे पहले गणेश जी को टीका लगाया फिर थोड़ा चावल और फूल चढ़ने के बाद राखी लेकर गणेश जी को बांध दी और लड्डू का भोग लगाया। फिर दिया जलाकर आरती करने के बाद सिर झुका कर प्रणाम किया। पाखी भी माँ का अनुकरण कर रही थी वह बहुत ही उत्साहित थी। इस सब में उसे बहुत मजा आ रहा है। 

अवनी कमरे से एक सुन्दर सा रंगीन कागज में लिपटा डब्बा लेकर आई और पाखी को देते हुए कहा कि ये लो तुम्हारा गिफ्ट अब तो खुश हो ना! पाखी सच में बहुत खुश हो गई थी। 


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