Dippriya Mishra

Romance

4.5  

Dippriya Mishra

Romance

इम्तहान भाग-5

इम्तहान भाग-5

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कामिनी शाम को तुलसी घाट पहुंची, बहुत देर तक अजय का इंतजार करती रही। कई बार कॉल लगाने की कोशिश की लेकिन कॉल नहीं लगा।आरती खत्म होने को थी तब उसने फिर अजय को फोन लगाया, इस बार कॉल रिसीव हुआ।

हेलो ..

कौन बोल रहे हैं ?

मैं इंस्पेक्टर बरुआ ?

आप कौन हैं ?

मैं कामिनी ?क्या बात है इंस्पेक्टर साहब, अजय का फोन आप रिसीव कर रहे हैं ?

कामिनी का मन घबराने लगा था। इंस्पेक्टर ने पूछा -आप इस लड़के की कौन है ?

जी मैं उसकी फ्रेंड हूं।

गर्लफ्रेंड ?

नहीं ओन्ली फ्रेंड।

दरअसल बात यह है कामिनी, अजय का एक्सीडेंट हो गया है, और उस एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गई है।

कामिनी थोड़ी दुखी हुई मगर अपने को संभाल ली।

15 दिनों के अंदर ही मायके और ससुराल वालों की सहमति से दोनों का संबंध विच्छेद हो गया। तिलक के सारे सामान कामिनी वापस ले आई, और साथ में मनीष और उसके परिवार की इज्जत भी। अपने आस-पड़ोस में कामिनी के परिवार वालों ने दुखी होकर प्रचार किया ......लड़का शराबी था।बात -बात में मेरी बेटी को मारता पीटता था। बाद में पता चला उससे ब्रेन ट्यूमर है, और इलाज के लिए वह पैसा मांग रहा था। उस घर में कामिनी को कैसे रहने देते? ऐसे लड़के के जिंदगी का क्या भरोसा इसलिए बेटी को लाना है हमने ठीक समझा हमने। आस पड़ोस वालोंं ने भी इनकी सहमति में अपनी सहमति जताई।3 महीने के भीतर ही कामिनी की दूसरी शादी लखनऊ के एक बड़े बिजनेसमैन के घर में कर दी गई।

कामिनी को फूलों से सजे कमरे में लाल गुलाब के झालर लगे बेड पर बिठाया गया। पूरे बेड पर गुलाब की पंखुड़ियां बिछी थीं। फर्श पर फूलों से बड़ा सा दिल बनाया गया था। टेबल के ऊपर एक कांच का डिजाइनर खूबसूरत गुलाबी ट्रे रखा था। फूलों की पंखुड़ियां पड़ी थी और खुशबूदार छोटी-छोटी जलती मोमबत्तियां तैर रही थी। ढेरों गुलदस्ते सजे थे। यह कमरा कामिनी के सपनों के शीश महल जैसा ही था। वह बहुत खुश थी।

आधी रात बीत चुकी थी कामिनी अभी भी घूंघट डाले बैठी थी। नींद भी सताने लगी थी। 1:00 बजे के आसपास रोहन कमरे में आया। कामिनी संभल कर बैठ गई। उसने दरवाजा बंद किया और बेड पर गिर पड़ा। कामिनी घूंघट हटा कर नजर डाली। उसने कहा दोस्तों ने मैरिज की खुशी में थोड़ा ज्यादा पिला दी। उसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी। कुछ देर वही यूं ही लेटा रहा और फिर बाथरूम में जाकर उल्टियां करने लगा।फूलों से सुवासित कमरे में भी शराब की बदबू की भर गई।

सुबह उठकर रोहन ने कहा, कल शराब थोड़ी ज्यादा चढ़ गई थी यार।साॅरी।

कामिनी ने कहा, कोई बात नहीं कभी-कभी हो जाता है।

ऐसा करो डार्लिंग सामान पैक कर लो।शाम की फ्लाइट से गंतोक निकलना है।यह भारत का स्विजरलैंड। मुझे वहां का वेदर बहुत प्रिय है....उम्मीद करता हूँ ...देख कर तुम भी मंत्रमुग्ध हो जाओगी।

लखनऊ एयरपोर्ट तक विदा करने घर वाले भी आए थे । फ्लाइट 5:00 बजे की थी बागडोगरा एयरपोर्ट 7:00 बजे पहुंचे। यहां से 95 किलोमीटर प्राइवेट गाड़ी से सफर कर दार्जिलिंग पहुंचे। होटल पहले से बुक था। कमरा बहुत खूबसूरत ढंग से सजाया गया था। रोहन पहले से ही बता चुका था वह हनीमून के लिए आ रहे हैं, इसलिए कमरा, बेड फूलों की खूबसूरत आकृतियों से सजा था। कमरे में डबल बेड पलंग, महाराजा सोफा सेट, ड्रेसिंग टेबल, खूबसूरत टेबल लैंप, ऐ सी., डबल डोर अलमीरा, कमरे के कोने में खूबसूरत फूलदान, कॉफी मेकर, फर्श पर मखमली कालीन बिछा था। दीवार पर आसमान से उतरती उर्वशी की पेंटिंग बनी थी। टेबल कैलेंडर कांच की टेबल पर रखा हुआ था। बेटर अदब से सामान कमरे में रख कर चला गया।

रोहन ने कहा फ्रेश हो जाओ, चेंज कर लो। चलो तुम्हें माल रोड चौरास्ता घुमा लाता हूं। पहाड़ों के बीच यही समतल भूमि है जहां पर ढ़ेर सारी दुकाने हैं बेहतरीन होटल और रेस्तरां हैं। वह खाना अच्छा मिलता है चलो तुम्हें आज नहीं खाना खिलाता हूं।

कामिनी कोमल सुगंधित झाग भरे बाथटब में कुछ देर लेटी रही, फिर गीजर ऑन किया गुनगुने पानी से स्नान की। शॉर्ट जींस और डिजाइनर टॉप पहनी, बालों को ड्रायल से सुखाई, बालों को कर्ल किया और उन्हें खुला छोड़ दी। बड़े-बड़े ईयर रिंग पहने। हाथों में चूड़ा वैसे ही छोड़ दी। रेड वाटर प्रूफ लिपस्टिक लगाई, आई लाइनर, स्मोकी आईशैडो, हाई हील्स की जालीदार सैंडल। रोहन ने गौर से देखा कामिनी किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी। उसने अपना छोटा सा खूबसूरत पर्श हाथों में थाम लिया।

चलें?

हां!


माल रोड स्थित राधा-कृष्ण का खूबसूरत मंदिर दिखाते हुए रोहन बोला दर्शन करने चलोगी?

नहीं।

ओके। मुझे लगा शायद पूजा-पाठ में तुम्हारी आस्था हो।

नहीं। वैसे पूजा पाठ कभी कभार कर लेती हूं।

कामिनी का हाथ थामें रोहन चल रहा था।माल रोड पर सैलानियों की काफी भीड़भाड़ थी। चारों तरफ से दुकानें थी। नाइट क्लब,बीयर -बार जहां पीने वालों में लड़कियों की भी संख्या कम न थी । कैसिनो में भी भीड़ थी । कैनडल नाईट कॉफी हाउस और सब के बीच में खुली चौड़ी जगह। उसके बीच में गांधी जी की बहुत ऊंची प्रतिमा थी। किनारे किनारे रंग-बिरंगे फव्वारे। खूबसूरत रंग बिरंगे फूलों के ढेरों गमले करीने से सजाए हुए थे। बैठने के लिए जगह जगह सीमेंट का बेंच बनें थे। खूबसूरत लाइटिंग की गई थी। क्लीनिंग मनेजमेंट का भी पूरा ख्याल रखा गया था। वैसे भी पहाड़ी लोग मेहनतकश, सफाई पसंद, अनुशासन प्रिय, कलात्मक सीधे-साधे और शांत होते हैं। गांधीजी की प्रतिमा के सामने नए जोड़े और हर तरह के सैलानी सेल्फी लेने में लगे हुए थे रोहन भी रोमांटिक हो रहा था। वह भी विभिन्न पोज़ में कामिनी के साथ सेल्फी ले रहा था।

खाना खाने के बाद दोनों नाइट क्लब आ गये। देश विदेश के सैलानी और जगमगाते स्टेज, रंगीन फ्लोर लाइट मदहोश करने वाला रोमांटिक संगीत......रोहन रम का दो पैग लेते ही थिरकने लगा। कामिनी को बाहों ले कर डांस फ्लोर पर आ गया । कुछ देर पश्चात दोनो बाहर आए तो रोहन ने पूछा....

गर्म कपड़े लाई हो?

नहीं।गर्म कपड़े क्यों?

कल नाथुला चीन सीमा, सैनिक भजन सिंह मंदिर,तस्मोलिग झील चलने का पास बन गया है। बर्फ से ढ़की पहाडियां है वहां बहुच ठंड होगी।  

चलो कुछ गर्म कपड़े ले लो।

अहले सुबह ही दोनों नथूला के लिए निकल गए। ड्राइवर कम गाइड शिवा की प्राइवेट गाड़ी से। सबसे पहले भव्य गणेशष्टाक मंदिर दिखाते हुए शिवा बोला मंदिर में दर्शन करेंगे? नहीं बाहर से ही प्रणाम करते हैं। एक और गहरी खाई दूसरी ओर ऊंचे ऊंचे पर्वत, धरती का मुख चूमने को आतुर भटकते आवारा बादल। हर थोड़ी दूर पर पर्वतों से उतरता झरना। रोड के किनारे सीमेंट के बने चौड़े नाले में बहता झरनों का का कल कल पानी। शिवा बता रहा था पहाड़ों से उतरती नदियां ही पहाड़ी लोगों का प्यास बुझाती है यहां जमीन के अंदर से पानी नहीं निकाल सकते। कुछ देर के बाद एक चेक पोस्ट आया जहां पर पास चेक किया गया। शिवा ने बताया 5:00 बजे से पूर्वी ही उधर से लौटना होगा वरना चेकपोस्ट बंद हो जाता है। धीरे धीरे गाड़ियाँ उस ओर बढ़ती जा रही थी पतली पतली घुमावदार नागिन सी सड़कें चारों ओर हरियाली। बादलों के झूंड के बीच से निकलती गाड़ी.... दोनों को बहुत करीब ले आई। कहीं बर्फ से ढकी चांदी सी चमकती पहाड़ियां, कहीं कल कल गिरते झरने, रास्ते के दोनों ओर खिले गुलाबी और सफेद फूलों की वादियां, सचमुच यही तो है धरती का स्वर्ग। नथुला पहुंचकर दोनों बहुत खुश थे। बादल आंख मिचौली खेल रहा था। पल भर में बादल किसी पहाड़, किसी झऱने को ढक लेता और दूसरे ही पल में दूसरी ओर हट जाता..... और कंपकपाती ठंड प्रेम की अग्नि को और भड़का रही थी। तमोस्लिग झील के पास याक की सवारी, केबल कार से बर्फ की पहाड़ियों का नजारा सचमुच भारत में स्विजरलैंड देखने का मजा ही अलग था।

अगले दिन फ्लावर एग्जिबिशन सेंटर, तीस्ता नदी, सेवेन सिस्टर्स फॉल्स, मन मोह लिए थे। हर सैलानी के चेहरे पर एक चमक थी, एक खुशी, वह अपने जिंदगी के सुख-दुख सब भूले हुए प्रकृति के सौंदर्य में खोए हुए थे। दार्जिलिंग का चाय बागान, रोपवे का सफर, कंचनजंगा के सूर्योदय का विहंगम दृश्य, तेनजिंग रॉक शांति स्तूप, टाइगर हिल, दार्जिलिंग हिल रेलवे राइड का सफर। सिक्किम शहर का रोपवे से नजारा....... दोनों की जिंदगी को आनंद से भर दिया था। होटल की बालकनी में चाय पीते हुए रोहन ने कहा -पहाड़ों के तो बहुत दर्शन हो गए, अब तुम्हें समुद्र से मिलवाना चाहता हूं ... कल सुबह 8:00 भुनेश्वर की प्लेन है। 

अगले दिन भुनेश्वर से बाद पूरी आ गए। समुद्र के किनारे ही होटल लिया था। शाम गोल्डन बीच घूमते रहे.... मेले का दृश्य, ऊंट की सवारी, घोड़े की सवारी फिर पैदल गीले रेत पर देर तक चलते रहे..... बालू के घरौंदे बनाएं, गीली रेत पर दिल की आकृति बनाकर उसमें लिखा कामिनी प्लस रोहन। समुद्र की लहरें एक पल में उस नाम को साथ बहाकर ले गई। समुद्र की लहरों से खेलते दोनों भींग गए थे। होटल आने के पूर्व दोनों ने समुद्र में कई डुबकियां लीं‌। कितने फोटो शूट करवाये।

होटल आकर दोनों ने आज स्नान किया। रोहिणी का चलो तुम्हें एक आंटी से मिल पाता हूं। कुछ देर बाद दोनों आंटी के घर पर थे। आंटी दोनों को देखकर बहुत खुश हुई बहुत आशीष दिया। इतने में खेलते हुए दो बच्चे सामने आए एक लड़की और एक लड़का... लड़की रोहन को देखते ही बोली-पापा! कितने दिन बाद आए हैं? अब आपको नहीं जाने दूंगी। लड़का थोड़ा शरमाया वह 

से छोटा था, वह दूर ही खड़ा था आंटी बोली 'सत्यम... पापा के पांव छुओ !,' और यह तुम्हारी नई मम्मी है इनका भी पैर छुओ। लड़की कुछ अजीब सा मुंह बनाई यह तो मेरी मम्मी जैसी सुंदर नहीं है। कामिनी का दिमाग चकराने लगा आखिर बात क्या है? वह कुछ समझ नहीं पा रही थी यह बच्चे उसे पापा क्यों कह रहे हैं? उसे अपने ख्वाबों के महल, रेत के घरौंदे जैसे भरभरा कर गिरते हुए महसूस हो रहे थे।


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