यह कैसा प्यार
यह कैसा प्यार
फेसबुक अकाउंट ऑन करते ही कई फ्रैंड रिक्वेस्ट मोबाइल स्क्रीन पर आ गये, सुनंदा आदतन नजरअंदाज करती जा रही थी कि सहसा एक तस्वीर पर नज़र पड़ते ही नज़र ठहर गई, गौरव दीक्षित....और लहरों की भांति स्मृतियां हृदय सागर में हलचल मचाने लगी.......
कॉलेज में एक्जाम चल रहें थे।उस रोज कार का टायर पंचर हो गया था इसीलिए सुबह स्टॉप पर बस की प्रतीक्षा कर रही थी ।अचानक किसी की आवाज सुनाई दी,
सुनंदा..
सामने एक चमचमाती कार थी पीछे की सीट पर एक युवक था। मैं पहचाने की कोशिश करने लगी, चेहरा पहचाना सा था पर....स्मृति साथ नही दे रही थी।
उसने कहा " मैं गौरव दीक्षित, कैंपस इंटरव्यू के लिए आपके कॉलेज आया था तभी आप से मिला था... "
ओ..आप ....गुड मॉर्निंग सर!
कैसी हैं ?
मैं ठीक हूँ...
तभी बस आ गई...सुनंदा ने कहा..."ओह!सॉरी गौरव जी, चलती हूँ, बस आ गई।
गौरव ने कार्ड थमाते हुए कहा..कॉल कीजिएगा इसमें मेरा नंबर है...
बस में बैठी सुनंदा गौरव को सोची जा रही थी.... गौरव मेरे सपनों के राजकुमार से हूँ ब हूँ मिलता है.... गोरा हँसमुख चेहरा, छरहरा बदन, लंबी कदकाठी, इतनी बड़ी कंपनी का मालिक. ..
इस मुलाकात को महीनों बीत गए, एक दिन मोबाइल पर एक कॉल आया ..
हेलो
जी मैं गौरव दीक्षित ।
जी आप ?
हां जी मैं ..
आपने तो नंबर देने पर भी कॉल नही किया।
मैं सोचती रह गई...
सोचते रहने से ट्रेन छूट जाती है सुनंदा जी।
जी..
वैसे आपको मेरा नंबर कहाँ से मिला ?
आपके कॉलेज से..
अच्छा...
बातों का सिलसिला महीनों चलता रहा, हँसी मजाक, दोस्ती और फिर प्यार।
उस रोज लंबी बातचीत चल रही थी मोबाइल पर....
गौरव!
कहिए महारानी साहिबा!
हम शादी कब करेंगे ?
शादी की जल्दी क्या है सुनंदा ?
मैं घर में सबको बताना चाहती हूँ आपके बारे में,
अभी नही सुनंदा
क्यों ?
इतनी बड़ी कंपनी के चेयर परशन हो, अब क्या प्रधानमंत्री बनना है, तब शादी करेंगे ?
सुनो सुनंदा... कुछ काम आ गया है... एक मीटिंग में जा रहा हूँ, बाद में मिलते हैं ।
ओके।
अगली सुबह मैसेंजर पर एक नन्हीं बच्ची की हँसती तस्वीर मिली...
बहुत खूबसूरत बच्ची है।कौन है ?
मेरे भईया की गुड़िया है।
नैन नक्श आपसे मिलते हैं ?
हँसी वाली इमोजी ....मेरी ही तो है।
हट...
सच कह रहा हूँ ।
सुनंदा ने मजाक किया यानी बिना शादी के बच्चें ?
नही जी..
शादी के बाद के है ?
सुनंदा गंभीर हो गई... आप शादीशुदा है ?
हाँ
मुझे येकिन नही आ रहा गौरव ?झूठ मत बोलो।
सही कह रहा हूँ,
अपनी पत्नी के साथ वाली तस्वीर भेजो।
तस्वीर सामने थी...
मुझे अब भी विश्वास नही... ऐसा मजाक मत करो प्लीज़।
अब कैसे येकिन दिलाऊँ ?
मुझे आपके लिए बहुत बुरा लग रहा है सुनंदा...
गौरव.. मैं नही जी पाऊंगी आपके बिना....
कह दो ये झूठ है ?
ये सच है सौ प्रतिशत सच..
रुको मैं अपने हनीमून की कुछ तस्वीरें देता हूँ....
तस्वीरें, दिल पर आरी चला रही थीं... अश्कों से भींगी थी पलकें, दर्द जब्त किया सुनंदा ने ।
गौरव की सिसकियाँ साफ सुनाई दे रही थीं... मैं खुद से नज़र नही मिला पा रहा हूँ... मैं दिल के हाथों बहुत मजबूर हो गया था सुनंदा... मुझे माफ कर दीजिए ।
इतनी सी बात को लिए माफी ? आप के तो मैं सौ खून भी माफ कर देती.... बहुत प्यार करने लगी थी आपको....
उस रोज दोनों सदा के लिए जुदा हो गए, वक्त के मरहम मे जख्म भर दिया था...पर दस साल बाद आज फ्रेंड रिक्वेस्ट में नाम और तस्वीर देख यादें ताजा हो गई । सुनंदा ने गौरव की रिक्वेस्ट रिमूव कर दी। सुखी दांपत्य जीवन के लिए और मनसरोवर के शांति के लिए यही जरूरी था।