इजहार
इजहार
"देख ना...ये तुझे हमेशा लड़का लड़की वाला कार्ड ही देता है.."
"हां, तुझे ये बच्चे ,लड़का लड़का ही नजर आते हैं "
"हो ना हो ..वो तुझे प्यार करता है।"
'हूं...तो ...क्या तू मुझे प्यार नहीं करती..दोस्त तो एक दूसरे को प्यार करते ही हैं"
"लेकिन एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहींं होते..."
"तूने तो वही रट रखा है ,जो लोगो से सुना है...तूने"
"देख ना...जिन कार्डस मे तू लड़का लड़की देखती है...उनमें मैं सुन्दर और सुलझी राइटिंग मे लिखा...हाउ लकी आई एम् टू हैव यू ऐज़ अ फ्रेंड ...देखती हूं...कितने सच्चे भाव है ना..".
"हां ,तो क्या शुरुआत में ही कोई आई लव यू लिख देगा क्या ?"
"अरे यार तेरा रिकार्ड तो एक ही जगह अटक गया..".
"तूने देखा नहीं...मैं कितना सहज और सुरक्षित महसूस करती हूं उसके साथ"...
"हां देखा है...जिस दिन तू कॉलेज नहीं आती..उस दिन कैसे बैचेन हो जाता है..."
"बस रहने दे...तुझे कुछ भी कहना बेकार है..डी डी एल जे ..देखती रहती है ना... वही भूत सवार रहता हैं...तेरे सर पे...।"
कुछ दिनों बाद
"सुनो...आज मुझे कालेज के बाहर मिलो...कॉफी पीते हैं.".
"लेकिन क्यूं...आज ऐसी क्या खास बात है..!".
"तुम्हे कुछ देना है...तो दो..."
"हमेशा भी तो ...यही देते रहे हो कार्डस ...चॉकलेट.".
"चलो निकालो शेयर करके खायेंगें..".
"नहीं...आज कॉफी पीते हैं..."
"ओके..."
"अगर इतना कहते हो तो...आखिर दोस्ती अनमोल हैं अपनी।"
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"हैलो...थैंक्यू,आखिर तुम आ ही गई.."
"हूं...लेकिन इतनी औपचारिकता क्यूं...थैंक्यू को आपने पास ही रखो .."और दिखाओ क्या देने वाले थे।"
"अभी नहीं...पहले कॉफी पीते हैं..."
"ओके.."
"अच्छी लग रही हो यैलो में.."
"अच्छा पहले कभी नहीं लगी..?"यैलो ...तो मैं अक्सर पहनती हूं..."
"नहीं...वो नहीं...यार...मतलब लगी हो पहले भी..
(वो खिलखिला कर हंस देती हैं...और वो मुस्कुराके रह जाता है।)
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"अच्छा ...बहुत देर हो गई ...मैं चलती हूं...तुम कुछ देने वाले थे" इसे घर जाकर खोलना ..(सुन्दर सा गुलाबी ऐनवेलप उसकी ओर बढाते हुए..बोला)"
"ऐसा क्या हैं ,इसमें"
"कुछ भी हैं...तुम घर जाकर ही देखना.."
"हां ,पता है मुझे ..इसमे कार्ड ही हैं..।"
"वो फिर उनमुक्त हंसती है...और वो उसे देखता ही रह जाता है)"
घर जाकर ..हाथ मुंह धोकर ऐनवेलप खोलती हैं..मुस्कुराते हुए..देखो तो आज कितना फोरमल हो रहा था,क्या रखा होगा इसमें।
ये क्या..."
लाल रंग का हार्टशेप का कार्ड ...देखते ही चेहरा पीला जर्द हो गया...तेज धडकते दिल से आगे खोला तो...सुर्ख लाल गुलाब ..देखके आंखे बडी बडी हो गईं कंकंपीे आगई लिखा था.." आई लव यू.."
खुद को संयत करके ..खडी हुई तो ..खुद को आईने मे देखा पीली रंगत मे अनायास ही गाल गुलाबी हो आये...और कानो में..फुसफुसाहट हुई...अच्छी लग रही हो यैलो में...होठो पर छोटी सी एक मुस्कान आई...लेकिन वो पहले की तरह खिलखिला ना सकी...।।