हस्तिनापुर

हस्तिनापुर

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"नमस्कार बच्चो, आज हम पांडवों और कौरवों से जुड़ी तमाम घटनाओं के साक्षी हस्तिनापुर की बात करेंगे।आज यह जैन धर्म का बड़ा केंद्र बन चुका है।जैन धर्म के कुल 24 में से 16वें,17वें तथा 18वें तीर्थंकर शांतिनाथ, कुंथुनाथ व अरहनाथ का जन्म इसी पावन धरती पर हुआ था।"

"हस्तिनापुर कहां है,चाचाजी?"हर्षिता बोली।

" यह मेरठ जिले में स्थित ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाओं की एक धर्मधरा है।यहां पग-पग पर महाभारत कालीन प्रसंग जीवंत हो उठते हैं।जनश्रुतियों,वेदों से लेकर वैज्ञानिक शोध- खोज तक में इसके साक्ष्य मिलते हैं।"

"क्या आज भी यह स्थान वैसा ही है, जैसा टीवी सीरियल महाभारत में दिखाया जाता था?" भोलेपन से कोमल ने पूछा।

" द्वापर से कलयुग की तमाम घटनाओं का गवाह यह इलाका समय के साथ काफी बदला है,और जैसा टीवी सीरियल में दिखाया जा रहा था वैसा तो बिल्कुल भी नहीं है। यहांआध्यात्मिक प्रवृत्ति के लोगों के लिए आज तीन धर्म की त्रिवेणी बहती है, तो प्रकृति प्रेमियों को सर्दियों में मेहमान पक्षियों का कलरव खींचता है। गर्मियों में सुकून देती सेंचुरी का विशाल क्षेत्र और उसमें फैली दर्जनों धर्मशालाएं, मंदिर ,ध्यान केंद्र बाहें फैलाए पर्यटकों का स्वागत करते हैं।"

"चाचा जी , हस्तिनापुर की स्थापना किसने की थी ?"हरविंदर ने पूछा।

"मान्यता है कि महाभारत काल में ही कुरुवंश ने इसकी स्थापना की थी। वर्तमान में यहां शिवलिंग स्थापित है।इस के प्रांगण में बरगद का विशाल वृक्ष खड़ा है। जनश्रुति के अनुसार नज़दीक से ही बहने वाली गंगा ( अब यहां से गंगा नहीं बहती।छोटा जल स्रोत है जिसे बूढ़ी गंगा कहते हैं) में स्नान कर पांडव शिवलिंग की पूजा अर्चना करते थे।मंदिर के चारों ओर गुफाएं स्थित हैं। विदुर टीला इसी परिसर में है। यहां भगवान कृष्ण कौरवों और वह पांडवों को युद्ध न करने के लिए समझाने आए थे।"

"चाचा जी, विदुर तो बहुत विद्वान थे ना और कृष्ण तो साक्षात भगवान, तो फिर विदुर और कृष्ण के समझाने के बावजूद महाभारत का युद्ध क्यों कर हुआ?"

"सत्ता का लोभ और लालसा और फिर जैसा कि कहा जाता है,' विनाश काले विपरीत बुद्धि 'इसलिए इन विद्वानों के समझाने का भी कौरवों पर कोई असर न हुआ।महाभारत का युद्ध हो कर रहा।जिसमें हानि तो कौरवों की ही हुई। "

"हम महाभारत कालीन भारत का सांस्कृतिक प्रतीक

पांडव किला , पांडव टीला और द्रौपदी कूप यहां देख सकते हैं। द्रोपदी कूप का पानी सभी रोगों को हरने वाला माना जाता रहा है। पांडव किला परिसर में ही राजा रघुनाथ महल स्थित है।"

"क्या महाभारत के अन्य पात्रों की भी यहां कुछ निशानियां मौजूद हैं?"केतकी ने जानना चाहा।

" हां बहुत सी हैं, यहां कर्ण घाट है।कर्ण दान करने के लिए सोना मां कामाख्या देवी से प्राप्त करते थे। यह कामाख्या मंदिर हस्तिनापुर में ही था, जो जमीन के अंदर धंस चुका है। प्रमाण के नाम पर मंदिर का कुछ हिस्सा उभरा हुआ है।

कर्ण जहां दान करते थे, उसे कर्णघाट कहा जाता है। वहीं पर कर्ण मंदिर बना है। इस मंदिर में देवी मां की मूर्ति है और उस मंदिर में छत पर अद्भुत आकृति बनी है।उसी के सामने शिवलिंग है जिसका अघ्र्य पीतल से बना है।वहीं प्राचीन द्रोपदेश्वर मंदिर, द्रौपदी घाट, द्रोणकूप एवं पितामह भीष्म का गंगा से मिलने का स्थान भी मौजूद है।"

"चाचा जी, शुरू में आपने इसे तीन धर्मों की त्रिवेणी कहा, तो दूसरा और तीसरा धर्म और उसके कौन से स्थान हैं?"शिशिर ने पूछा।

"हस्तिनापुर को मिनी हिंदुस्तान कहा जा सकता है, शिशिर। यह किसी एक धर्म का नहीं, बल्कि जैन बौद्ध, सनातन और सिखों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।यह हिंदुस्तान की मिश्रित संस्कृति का उम्दा उदाहरण है।"

"यहां किस मौसम में पर्यटक आते हैं?"योगेश ने पूछा।

"योगेश, दिसंबर से मार्च तक साइबेरियन पक्षियों का यहां जमावड़ा रहता है ,इसलिए बर्ड वाचिंग के शौकीन उसका आनंद उठाने इसी दौरान आ जाते हैं।और हां,यहां पर एक कछुआ संवर्धन केंद्र भी है। वैसे यहां आने का बेहतर समय अक्टूबर से मार्च माना जाता है।

 विभिन्न जैन मंदिरों के अलावा यात्री निवास, भोजनशाला, ऑडिटोरियम, हेलीपैड एवं अन्य बहुत से आकर्षक पर्यटन स्थल स्थित है।" 

"क्या यहां पहुंचने का रास्ता सुगम है?"जेनिफर ने पूछा।

" यहां का नजदीकी हवाई अड्डा दिल्ली है। आप यहां से टैक्सी या राज्य बस सेवा से आसानी से पहुंच सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन मेरठ सिटी है।"

"चाचा जी, आप इसी प्रकार हमें भारत के रमणीय स्थलों के बारे में जानकारी देते रहें। वर्ष के अंत तक हम अगर घूमने ना भी गए ,तो भी हमें यह आभास होगा कि हम भारत भ्रमण कर चुके हैं।"हंसते हुए आकाश ने कहा।

"अच्छा बच्चों, धन्यवाद।"

" आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ,चाचा जी।" सब ने समवेत स्वर में कहा।


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