हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे

हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे

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झूमि बस खिड़की से बाहर झांक कर देख रही थी। देख रही थी प्रकृति का वो हसीन रूप। प्रकृति इतनी सुंदर हो सकती है, वो उनकी सोच से बाहर थी। पहाड़ों को चीरता हुआ रास्ता, जो इधर उधर मोड़ लगा कर बढ़ हुआ है और बस यूं घूम फिर कर जा रहा था। लंबे लंबे पेड़ गगन छू रहे थे। झाड़ियों में फूल के सतरंगी। बादल यूँ नीचे आ गया था मानो अपना नई नवेली दुल्हन के होंठ छूने के लिए उतवला हो रहा है। जयपुर से कोरापुट जाते हुए बस में झूमि प्रकृति के ये अनुपम रूप से मदहोश हो गयी थी। आह... यह बहती हुई हवा कितनी प्यारी है। सीढ़ियों की चहक में जैसे सुरों की तार छेड़ रहा हो। झूमि को लगी उनकी अंदर एक "रागनी" की सुर गाना गा रही है। पर ये रागनी मिलन की नहीं, तड़प की। ऐसी तड़प जिसमे सिर्फ और सिर्फ दर्द का एहसास। जिसे ना वो भूल पाती है ना भुलाया जा सकता है। बस एक नासूर बन कर दिल को चुभ रही थी।

सेमलीगुड़ा में शायद बस रुका चाय पीने के लिए। पास बैठे उनके पति ने चाय पीने के लिए पूछा। वो मना कि। पति जो crpf में सर्जेंट है नीचे चाय पीने को चले गए। नीचे वेक बाद से लकड़ी में आग लगाया गया था। उसके चारों तरफ मुसाफिर हाथ पैर तपा रहे थे । पास चार-पांच चाय के ठेले, जो गर्म गरम चाय मुसाफिरों को दे रहे थे। चाय से धुंआ कुंडली मार कर उठ रहा था। उस धुएं की अंदर....

झूमि क्या सोच रही हो। लो ये गरमा गरम चाय की एक घूंट मार लो तो एकदम ताजा लगेगा। दिल दिमाग दौड़ने लगेंगे। नहीं तो यूँ बूढ़ीयों की तरह...

क्या, मैं तुम्हे बूढ़ी लग रही हूं। आनंद, मैं तुम्हारा आँख नोच लूंगी । You.........

अच्छा होगा। मैं अंधा बन जाऊंगा और तुमसे चिपकता रहूंगा। पल भर के लिए जुदा नही होंगे। ऐसा मत कहो आनंद।


झूमि छलकते आँखों से आनंद के होंठ पर अपनी उंगली रख दी। दो छलकते आँसू गिरने से पहले आनंद अपना हाथ फेर दिया। दो मोतियों की बूंदे को अपनी माथे पर लगाते हुए कहा- इस थोड़े से मज़ाक में घबरा गयी। डर गई। पगली, मैं डर नहीं एक ज़हरणी को तुम्हारे अंदर देख ना चाहता हूं। जो सच्चई और उसूलों के लिए कुछ भी कर सकेगी। चाहे सामने प्यार हो या फ़र्ज़।

नहीं आनंद, मेरे में इतनी हिम्मत नहीं। ये उसूल, रिवाज़, आदर्श, मेरे समझ से दूर है। मेरे लिए बस तुम, हमारा छोटा सा घर और तुम्हारा प्यार और प्यार। जब तुम कॉलेज से थके हारे लौटोगे, मैं अपने प्यार में तुम्हें इतनी-इतनी-इतनी डूबो दूँगी की तुम सब भूल जाओगे। बस हम और तुम, सुर ढेर सारे प्यार। इसे आगे और बात चलती, तेज हवा, बिजली के साथ पानी बरसने लगी। आनंद उसका हाथ पकड़ कर पास वाले घर के अंदर आ गये। आस पास पार्क में और जो लोग थे वो भी कहीं पास आस घर या छत के नीचे बारिश से बचने के लिए चले गए होंगे। चारों तरफ सुनसान लग रहा था। पानी बढ़ रही थी। छींटे शरीर के ऊपर पड़ रहे थे। आनंद आकाश की तरफ झांक कर कहा- यह जल्दी थमने वाली नहीं । फिर थोड़े देर अंधेर ही जायेगा। क्या करे झूमि। चलो भीगते हुए घर वापिस चले जायेंगे। तुम्हारा पापा ममा परेशान हो रहे होंगे। क्या कहती हो?

झूमि कुछ सुनने और कहने की स्थिति में नहीं थी। उसकी सांसें फूल रही थी। मुंह और बाल पानी में भीगने से। बदन में कंपन। होंठ सुख रहे थे। नाक पे गरम हवा। वो आनंद का भीगा हुआ शरीर को झांक रहा था। आनंद कुछ बोले इससे पहले झूमि आनंद के शरीर को अपनी बाहों में कस कर पकड़ ली। उसके सर को अपनी कंपती हुई छाती में चिपका कर कहा- मुझे तुम्हारे अंदर समां लो आनंद, मैं तुम में समा जाना चाहता हूं। ये दूरी हटा दो। प्लीज.......

आनंद उसे जोर से हिला दिया। फिर कहा- होश में आओ पगली, खुद के ऊपर काबू रखो। इतने में पिघल जाती हो। गलत, ये मेरा विचार और उसूल से नहीं झूमि।

झूमि के नथुने फूल रहे थे। छाती कांप रही थी । फिर एक तिरस्कृत नज़र डाल कर कही- "डरपोक", नारी की ख़्वाहिश को पूरी नहीं कर पा रहे हो, उसकी चाहत को समझ नहीं पा रहे हो तो क्या ड्यूल और विचार ले के चलोगे। तुम.......

आनंद एक बार और उसे हिला दिया। कहा ये प्यार नहीं पगली, कुछ पल की हवस। जो तुम्हें उचट कर रही है। बस हवस का वो पल चले जाने के बाद तुम पछताओगी। खुद की नज़र के सामने गिर जाओगे। एक बार अपनी नज़र से गिर जाने के बाद आँख उठा कर चल नहीं पाओगे। मैं तुम्हें वैसे देखना नहीं चाहता हूं । सबसे अलग देखना चाहता हूं । झूमि आँखें नीचे कर ली। दोनों झूमि की घर के तरफ निकल पड़े।

घर में पहुँचते ही पापा ममा को तस्सली मिली। माँ तुरंत गर्म चाय के कप थमा दी। झूमि अंदर ड्रेस चेंज के लिए चल गयी। पापा माँ और आनंद बैठक में बैठ गए। पापा TV चालू कर दिये । TV पे breaking news में कह रहे थे - नक्सलियों ने रायगड़ा से कोरापुट आ रहा crpf वैन को लैंड माइन से उड़ा दिए जिसमे 5 जवान शहीद और 11 घायल हो गए। तुरंत पुलिस और crpf की तरफ से कुम्बिंग शुरू हो रही है। अभी तक कोई नक्सली हाट में नहीं आये हैं। पुलिस चारों और घेर लिया है। आशा है नक्सली पकड़ जाएंगे ।

और एक विशेष सूचना- पुलिस को पता चल गया है कि इस घटना के पीछे एक युवा नक्सल है जो पढ़ा लिखा और एक कॉलेज में अध्यापक के हैसियत से काम कर रहा है । पुलिस उसे पकड़ने के तलाश में है, झूमि के पाप न्यूज सुनते कहा ये लोग मुझे मिल जाएँगे तो गोली से उड़ा दूंगा। डरपोक कहीं के , पिछे से लुकाछिपी हमला करते हैं। क्या समझते हैं, ऐसा करने से समाज और शासन को बदल देंगे। बिलकुल नहीं । यही होगा, खुद मरेंगे और अपने घरवालों और सगे संबंधियों को भी मौत के सामने धकेल देंगे । झूमि की ममी ने साथ थी - देखो तो, लेक्चरर हो कर नक्सली बन गया है। यह क्या सिखायेगा स्टूडेंट को। ये लोग ना घर के ना घाट के हो पाएंगे। सोचो, कैसे गुज़रते होंगे उनके परिवार। जीते हुए भी मर रहे होंग । आनंद सब सुन राह था। उसके अंदर एक तूफान चल रहा था। वो जाने के लिए उठ खड़ा हुआ। तो झूमि के पापा बोले- आखिर क्या फैसला किया? तुम जानते हो, झूमि हमारी एकलौती बेटी है। वो तुम्हें बेहद चाहती है। हम भी तुम्हें पसन्द करते हैं। तुम एक लेक्चरर के साथ साथ एक समझदार लडके हो । इसीलिए तुम्हें सुन ने के बाद हम तुम्हारे घर जाएंगे। आनंद उनके तरफ देखा । ममी की पीछे से झूमि "हां" करने को इशारा कर रही थी। गंभीर आनंद ने कहा- मेरा एक मां के सिवा और कोई नहीं है। मैं उनसे बात करके 2-3 दिन के अंदर आपको बता दूँगा ।

इस बीच 3-4 दिन यूँ चले गए पर आनंद का कोई ठिकाना था। झूमि कॉलेज से पूछा तो पता चला वो 3 दिन छुट्टी पे है। तो कहाँ गए जनाब । झूमि घर के अंदर जानेवाली थी कि डाकिया एक चिट्ठी से गया जो झूमि के नाम थी। ऊपर हैंड राइटिंग देखते ही झूमि झूम उठी। क्यो की आनंद का ही खत था। तुरंत फाड़ कर पढ़ने लगी। वो जितनी आगे पढ़ रही थी उसकी हाथ उतनी थार थार कांप रहे थे। फिर वो रोती हुई नीचे बैठ गयी। पास खड़ी ममी ने पूछा क्या हुआ। बस झूमि खत उन्हें थमा दी और रोते रोते अंदर चली गयी ।

ममी ने पढ़ी तो लिखा गया था-

झूमि,

सच्चाई को छुपा नहीं सकते और मैं झूठ के ऊपर खड़े हो कर किसी को धोका दे नहीं पाऊंगा । मैं तुम्हें जी जान प्यार करता हूँ । प्यार में धोखा या झूठ ना तुम सह पाओगी ना हम। लेकिन सच्चाई को झुठला भी नहीं सकते। झूमि सच्चाई यह है कि में एक नक्सल हूँ और पुलिस के लिस्ट में हार्डकॉर्ड नक्सल । यह बात ना तुम्हें, ना मेरी माँ को भी पता है। लेकिन यह मेरा विचार और उसूलों कि बात है। चाहे सब के लिए गलत हो पर मेरे लिए एक कट्टर आदर्श जो मैं छोड़ नहीं सकता। समाज को हम जैसे नज़रिये से देखते हैं हमारे विचार में वो सही नहीं है। एक क्रांति की जरूरत है और हम उस क्रांति के रास्ते पे आगे निकल चुके हैं। कल तुम्हारे घर में तुम्हारे पिता माता के विचार सुन ने के बाद में तय किया कि हमारा रास्ता अलग है। यह मत सोचो मैं तुम्हारे पापा ममा को गलत समझ रहा हूँ। अगर में भी उनके जगह होता तो यही कहता। पापा ममा के नाते सब अपनी बेटी को सुखी देखना चाहेंगे। जो एक नक्सल के साथ संभव नहीं। दूसरे और मेरे आदर्श और उसूलों को छोड़ कर तुम्हें शादी करके ना मैं तुम्हें धोखा दे सकता हूँ ना अपना क्रांति और विचार को । इसीलिए मैं दूर जा रहा हूँ सभी से। पर साथ मे तुम्हारी प्यार। जो मुझे अपने लक्ष्य से पहुंचने की ताकत देगा। झूमि, प्यार ऐसे एक चीज़ है जिसके नाम लेते ही जीने की तमन्ना जग उठेगा। ऐसा अनुभव है सामने कुछ भी हो उसे लांध कर आगे जाने की रास्ता दिखाएगा ।

मेरे सांस, प्यार दर असल एक मिलन नहीं, ये एक जुदाई है। मिलन से प्यार जिस्मानी हो जाती है पर दर्द और तड़प में प्यार उजाला होती है । दो दिलों में प्यार की धड़कन तब तक होता है जब तक वो तड़ते हैं। तुम्हारी प्यार मेरे मरते दम तक दिल में रहेगा। अगर हम मिल गये होते, तो प्यार मर गया होता। माँ हमारे प्यार को ज़िंदा देखना चाहता हूं। सही हूँ या गलत यह तुम्हारे विचार के ऊपर। तुम्हारा आनंद।



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