परछाईं

परछाईं

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कभी कभी मन मे कुछ ऐसे सबाल पैदा हो जाते हैं जिसके सही जवाब मिलते नहीं या ना के बराबर स्थिति होते हैं। उस स्थिति में दिल और दिमाग घबरा जाते हैं। चाहकर ना उसे भुलाया जाताहै या छोड़ सकते हैं।

कुछ ऐसा ही स्थिति मसहूर अभिनेता विकास खन्ना के थे। उसके जेहन में बसे हुए एक सबाल उसे परेशान कर रहाथा। बो ना सही तरह शूटिंग कर पा रहेथे ना घर में अपनों के साथ कुछ बांट सकते थे। दोस्त, पार्टी, फंक्सन, सब कुछ बेकार लग रहाथा। सभी ने पूछ रहे थे उसे क्या हुआ? बो कुछ जबाब दे नहीं पा रहे थे। पर बार बार वही सबाल उसे पूछा गया। तो झल्ला कर उन्होंने कहा- वही सबाल में खुद से पूछ रही हूँ कि मुझे हुआ क्या? घर बाले और दोस्तों ने स्थिति को देखा कि स्थिति बड़ा गंभीर है। सबने कुछ दिन की विश्राम के लिए फरमाए।

एकदिन उसके बीबी उन्हें लेकर एक बड़े सैकयात्रिक डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने शांत और धीरज के साथ पूरी बात सुनी। फिर उन्होंने विकास को एक मेडिसिन देकर कहा- विकास जी, आपके सबाल का जबाब आपके चेतना में है। ना उसका उत्तर मेरे पाश ना और किसीके पाश है। बस मेरे दिए हुए दबाई को रात शोने से पहले खा लेना। फिर जो सपना आएगा, सायद बो आपके सबाल का जबाब दे पाए गा।

रात डॉक्टर के बताए मुताबिक विकास खाने के बाद दबाई गले में उत्तर दी और सेज पर लेट गए। आज बहुत दिनों के बाद आंख में नींद आने लगा। विकास गहरे नींद में सो गए। उस नींद में उन्होंने देखा एक सन्त सा आदमी उसे देख कर मुस्कुरा रहा है। उसे बो संत बहुत अपनेपन से निहार रहे थे। जब विकास उनके तरफ देखा, उन्होंने हात हिला कर उसे बुलाए। विकास उनके पाश गए। बो अपने हात विकास के शेर पर रख के कहा- बोलो बेटे, तुम्हे क्या परेशानी है। विकास ने कहा भगबान, मेरे मन मे एक सबाल आया है कि कौन मेरा सबसे अपना है जो मुझे जी जान से चाहता है? बस यही सबाल का जबाब ढूंढ रहा हूँ। क्या आप बता सकते हैं? संत ने हँसकर कहा- जाओ बेटे एहि सबाल अपनो से पूछ कर आना। बो क्या कह ते हैं। फिर में इसका जबाब देने की कोशिश करूंगा।

विकास घर जाकर पहले अपने माता-पिता को ये सबाल पूछा। तो उन्होंने कहा बेटे हम चंद दिनों के मेहमान है। बस जब उपरबले बुलाएंगे तब सब छोड़ कर चले जायेंगे। और रहा प्यार और चाहने की बात तो बेटे कोई किशिका साथी नहीं। बस सभी के पीछे कुछ ना कुछ आशा है। फिर बो बीबी से पूछा तो बो भी हु बहु यही कहा। फिर सागा संबंधी, दोस्तों सभी ने ले देकर बोहि कहा कि हर चाहत के पीछे कुछ न कुछ आशा या मतलब या दोनों है। कोई बिना मतलब या आशा से जान न्यौछावर करेंगे।

विकास संत के पाश वापस आये। बो मयूश और दुखी लग रहेथे। साधु ने पूछा क्या सबाल के जबाब मिलगये। विकास जो हुआ सब बतादी और कहा आप तो इस सबाल का जबाब दे दीजिए। टैब साधु ने कहा देखो कौन तुम्हारे साथ खडे हुए हैं। विकास चोंक कर देखा हु बहु उसीके कद और नयन नक्से की एक आदमी जिसके मुहं बो देख नहीं पा रहाथा, चिपक कर उसके साथ खड़े हुए है। बो बैठे तो वह बी बेठ ते हैं। हिलता तो हिलते हैं। हंसते तो हस्ता है। आश्चर्य विकास पूछा- आप कौन है और मेरे साथ ऐसे चिपक कर क्यों रहते हैं।

उस अजनबी ने हंस कर कहा, मुझे नहीं पहचान ते ? मैं आपकी "परछाईं" हूँ। जन्म से आज तक और आप के मरते दम तक आपके साथ रहूंगा। में आपको छोड़ कही जा नहीं पाऊंगा। डोर की त्तरह आपसे बंधा हुआ हूँ। विकास आश्चर्य से पूछा सभी का कोई ना कोई मतलब है मेरे साथ। आओ का कोई मतलब नहीं। बो हंसते हुए कहा- सिबाये आपके मेरा और कोई मतलब नहीं। ना आपकी धन, दौलत, शान, प्यार या किसी से। बस में आपसे बंधा हुआ हूँ। आप के बिना में कुछ नहीं। सिर्फ आप से मेरा प्यार, मतलब और पूजा जुड़ा हुआ है।

विकास चौंकते हुए गहरी नींद से उठ बैठा। उसका सांस फूल रहा था। कुछ पल बैठ ने के बाद बो पास सोये हुए बीवी और चारो तरफ देख लिया। उसका दिमाग शांत हो गया था। बस कान में साधु का अंतिम सब्द गूंज रहाथा-

बेटा, इस धरती पर सभी रिस्ते-नाते मतलब या आशा या लालच के ऊपर खड़े हैं। कोई जी जान से किसी को चाहते नहीं। बस तेरे परछाईं ही तेरे साथ आया है तेरे साथ रहेगा और तेरे बिलिन के साथ बो भी तेरे साथ मिल जाएगा। ना उसका कोई आशा ना मतलब है। सिर्फ वही तुझे जी जान से कहता है और तेरे साथ बंधा हुआ है। विकास दो घूंट पानी पिया।

सुबह होते ही यह संदेश चारो और फैल गया कि मशहूर सितारा विकास खन्ना कहीं लापता है।


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