" अरमान को बचाने खातिर"
" अरमान को बचाने खातिर"
अपने जमीन के बगल खड़े जुमनलाल अपने सूखे जमीन को देख रहा था।कितना आशा लेकर इस साल खेती शुरु किया था । दस एकड़ कंकर जमीन बेचकर ये दो-एकड़ निचली ज़मीन खरीदी थी । नदी से थोड़े दूर नहर के पास इस जमीन से बहुत उम्मीद थी उसे । जब पुराना ज़मीन बेच कर ये जमीन खरीदने की बात बीबी से कहा, बीबी ने मना की थी ।क्या भरोसा सरकारी पानी और नियम पर । कब छोड़ेंगे, कैसे छोड़ेंगे, हम गरीब किसान उस झंझट में फंस जाएंगे । बेहतर होगा, ऊपर का पानी जितना भी होगा, उसमे खेतीबाड़ी करके अपना गुजारा कर लेंगे । धान हो या ना हो, पर उरीद, कैंडल और अलसी तो कमालेते हैं ।बड़ो पैसा उससे मिल ही जाएगा। वैसे भी कंकर ज़मीन में पानी कैसे रखे, वो तो सूखा जाता है ।शहर से आई वो संस्था जो गांव गांव घूम कर पानी रोकने की तरीका सिखाती हैं, उनसे पूछेंगे । मेरी मानो, ज़मीन मत बेचो । पर जुमनलाल नहीं माना। ऐसा मौका बार बार नहीं मिलेगा । वो आदमी घर बार बेच कर शहर में बसने जा रहा है, इसीलिए अपना सबकुछ बेच रहा है। नहींतो........
जिस दिन जमीन अपने नाम हो गया,जुमन को लगा एक बड़ा अरमान पूरा हो गया। पहली बून्द पानी की आसमान से गिरते ही जमीन पर लग गया था वो । सोच रहा था इस जमीन से अच्छी फसल निकलेगी ज़रूर। सालभर की जरूरत रखने के बाद बाकी मंडी में बेच देगा। मंडी से ऊंचा पैसा मिलता है ।वो पैसे से पहले बीबी कमला के लिए एक सोने का नाथुन और दो चमकते चाँदी की पाजेब खरीद देगा । शादी के बक्त वो पहनकर आई थी उसके घर। चाँद से मुखड़े पे वो नाथुन चमक रहा था।paajebकी छम छम से दिल मे घंटा बज रहाथा । लेकिन यही नहर किनारे बाली जमीन खरीदने वक्त कुछ रुपियों की कमी आगया और बेचने बाले को नगद देना था ।तब कमला ने नाथुन और पांजेब खुलकर उसके हात पे देते हुए काहीथी- आप मेफे लिए बहुत । येसब बाद में कर सकते हैं ।बो उधारी है जुमन के ऊपर।
जुमन की आंख में पानी आगया । शर पे हात रख कर जमीन के पास बैठ गया ।मौसम गायब जो है, उसके दर्शन नहीं मिल रहा है । इस नए ज़मीन में पूरे धान किये हैं । खरीप धान के बाद रबी में टिल और राहर करेगा । उसके साथ सूरजमुखी । बो संस्था बाले एक साथ तीन फसल उतारने की ट्रेनिंग दे रहेथे ।जुमन भी ट्रेनिंग लिया था । इस प्रकार खेती से आमदानी अच्छा मिलता है । लेकिन सपने सपने में रेहे जाएगा ।बगैर पानी ये कैसे होगा ।
सचाई को सामने देखकर रो पड़े जुमन । गाओं में पानी के लिए पूजापाठ, हवन, जादू टोना सब किया गया, पर असर कुछ नहीं । फिर गाओं बाले सब मिलकर डेम इंजीनियर के पास गए ।उसे खेती का हालात और पानी के बारे बताये । पानी बिना खेत कैसे सूखे पड़े हुए है । पर बो सुने नहीं । कहा उपरसे अड़र मिलेगा तो डेम का गेट खुल पायेगा । फिर उसके लिए धारणा, बंद नारा लगाएं । पर बेअसर। नतीजा ये हुआ कि सरकारी अधिकारी को काम मे रुका बट और अश्लील सब्द प्रयोग हेतु गाओं के 2-3 किशान को पुलिस उठाके ले गए। चेतबनी दे के गए आगे एसाकुछ हुआ तो जेल भेजदेगे । जुमन को लगा अपना अरमान जैसे दुब रहा है । फुट फुट कर रो पड़ा जुमन ।
कंधे पर किसी के हाट का छूएं से पलट कर देखा, कमला कंधे पर हात देकर उसे तस्सली दे रही है ।जुमन उसकी आँचल पे मुँह छुपालिया। दोनों घर वापिस आये । आतेवक्त कमला कहरथी- हमे कुछ करना होगा ।जुमन चुप चॉप सुनरहाथा । पर उसके दिमाग मे और कुछ चल रहाथा ।
देर रात, गाओं के सभी घर गहरे नींद में सो गयेथे । चारो और अंधियारा ।ऐसे में एक साया जुमन की घर से नदी के और निकल पड़े । इतनी गहरी रात में नदी के और यह क्यों जा रहा है । दबे पाऊं बो साया डेम के गेट के पास पहुंच गया । चौकीदार खराटे मार सो रहाथा । बाकी लोग डेम के पास घर मे सो गए थे । फिर शये ने डीएम गेट का लोहे चाबी को एक हथियार में काटने लगा । काटते बक्त बार बार पीछे देख रहाथा कहीं चौकीदार या और कोई उठ तो नहीं गए । चाबी काटने के बाद उसे घुमाया, तो गेट आहिस्ता ऊपर हो गए । पानी तेज आबाज करके नीचे नहर में चले गए। पानी के सब्द में चौकीदार का नींद खुलगया । बो जोर से हुइसिल मारते हुए चोर चोर चिल्लाने लगा ।दें के बाती जल उठा। साया ने तुरंत अंधेरे में कहीं गुम हो गए।
कमला की आंख अचानक खुल गए ।पास हात डाला तो खाली लगी । बो चौंक के बेठगयीं । इतनी देर अंधेरी रात में ये गए कहां । उसकी मन में पाप छूने लगी । खेतसे बापिस आते बक्त जुमन का गहरा सोच और गुमसुम कुछ होने का इसारा कर रहा था । कमला बाहर की दरबाजे खुलने के लिए हात डाली तो खुला पाया । बो डर गई । कुछ करनेसे पहले जुमन हम्प ता हुआ अंदर आगया । शेर से पांब तक पानी ही पानी । कमला अंख फाड़ कर देख रहिती ।
सुबह होते ही चारो तरफ खबर फेलगया की कोई रात के अंधियारे में डीएम के गेट खोल दिये है । नहर और गाओं के ज़मीन पानी से भर गया है । अभी फसल सूखने का डर नहीं ।उधर काम मे खिलाफी के कारण डेम इंजीनियर, बड़े इंजीनियर, जनपद अधिकारी के समेत दस बीस लोगो को नौकिरी से ससपेंड सरकार करदिये हैं । पुलिस गेट खुलने बाले की तलाश कर रहा है। कुछ लोगों को नौकिरी से हटा दिया गया है। गाओं के सभी लोग उस आदमी को आभार प्रकट करते हुए उसके लिए भगबान को दुआ मांगी ।
रात कमला खाना परोश ते बक्त जुमन को पूछा- तुम ऐसा कैसे कर दिया । अगर तुम्हें कुछ हो गया होता तो........ फिर कितने लोगों की नौकरी चली गई , पुलिस छानबीन कर रही है। तुमने ये सब क्यों किया । ये सब पाप है, अपराध है। जुमन कमला की तरफ देख ते हुए कहा- यह कोई पाप नही पगली । ये कोई अपराध नहीं । जो हमारे अरमान के हत्यारे हैं, जो हम गरीब किसान की सपनो को रौंद रहे थे, हमारे पेट पर जो नियम, कानून के आड़ लेकर लात मार रहे थे, भगवान उन लोगों को सबक सिखाया । उन हत्यारों ने चाकू या बंदूक लेकर नहीं बल्कि पानी के आड़ में हमे मार रहे थे ।किसानों को उन हथियार से बचाने के लिए मैंने जो किया हूँ सही किया हूँ। अगर ये अपराध है तो में किया हूँ। पर उन जैसे पीछे से पेट में लात नहीं दिया हूँ । हमारे अरमानो को कुचलने बालों को यही सज़ा ठीक है और एक सबक भी है ।चल, खा के सो जातें हैं ।