हेल्मेट
हेल्मेट


समीर ,”जल्दी करो देर हो रही है।”
सीमा ने गेट से आवाज़ लगाई ...
आया ...समीर ,स्कूटी की चाभी लेकर हड़बड़ाते हुए ,स्कूटी स्टार्ट किया।
सीमा मज़बूती से समीर को पकड़कर बैठ गई।उसे स्कूटी पर बैठना बिलकुल पसंद नहीं ...।
अरे!दीदी ,”धीरे से पकड़ो मेरी शर्ट की क्रीज़ ख़राब हो जाएगी।”
सीमा -ग़ुस्से से “तुमने फिर हेल्मेट नहीं पहना है ,आज।’’
अरे !दीदी “पाँच मिनट में आपको बैंक में छोड़ कर लौट जाऊँगा “...
मोड़ पर बेतरतीबी से लगे ठेले ...मानो मेला लगा हो ,सबेरे -सबेरे ।इन छोटे शहरों की यहीख़ासियत कहिए या रोज़ी रोटी का जुगाड़ ,हर नुक्कड़ पर ठेला और थैला झुलाते लोग। कहींसब्ज़ी कहीं फल तो कहीं मुर्ग़ा तौलाते ।संभलते संभलते भी समीर एक तेज़ गति से गुजरतेमोटर साइकिल सवार से...चिककककधड़ड़ से टकरा कर मोटरसाइकिल के नीचे आ गया ।मोटरसाईकिल का हैंडल समीर के पेट में घुस गया था।
मुझे बैंक पहुँचाने के बजाए, अस्पताल पहुँच गया था।अंदरूनी भाग में गंभीर चोट आयी थी।किडनी क्षतिग्रस्त हो गया था।
रक्षा बंधन के दिन ,सीमा ने ईश्वर को अपना बड़ा भाई मानकर राखी अर्पित की और छोटे भाई केलिए दुआ माँगी, जो क़ुबूल हो गयी ।
डॉ -"सीमा,बधाई हो !चार डोनर में से सिर्फ़ तुम्हारा ही खून मैच किया ।अब तुम अपना किडनी समीर को दे सकती हो।"
सीमा-ख़ुशी से उछल पड़ी ।आज ईश्वर ने राखी के दिन भाई को नया जीवन प्रदान करने के लिए उसे जो चुना था।
स्कूटी स्टार्ट कर सीमा समय से पहले पिताजी को पीछे बैठा कर अस्पताल पहुँच गई थी...।
पिताजी ने स्कूटी से उतरते हुए कहा-“अच्छा किया बेटा जो तुमने स्कूटी चलाना सीख लिया।”हेलमेट के अंदर से सीमा ने मुस्कुरा दिया।