Anil Jaswal

Romance

5.0  

Anil Jaswal

Romance

हार मत मानिए।

हार मत मानिए।

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जानकी बोली वेटी संदली-"मैं आजकल आधुनिक खेती के तरीके सीख रही हूं।जैसे ऐसी खेती जिसमें पानी भी कम लगे और फसल भी अधिक हो। कृत्रिम खाद का उपयोग अवल तो नहीं करना पड़े।या फिर मान्य मापदंडों के अनुसार।

तुरंत संदली की रूचि इसमें बढ़ी।वो तुरंत बोली "आंटी ये तो सचमुच बहुत रोचक विषय है। क्योंकि आजकल लोगों की खेती में रूचि कम होती जा रही है।वो अधिकतर अधिक पैसा कमाने के चक्कर में अमने पैतृक व्यवसाय को छोड़कर शहरों में जाकर बड़ी बड़ी नौकरियां करना चाहते हैं। इस चक्कर में वो ऐसे फंस जाते हैं कि न तो वो नौकरी ठीक ढ़ंग से कर पाते हैं।और न अमना पैतृक व्यवसाय।जैसे खेती-बाड़ी।जिस कालेज में मैं पढ़ाती हूं। वहां भी कृषि संबंधित नया

विषय शुरू किया गया है।और उसके लिए एक नये प्रोफैसर श्री अमनजी आए हैं। बहुत बढ़िया व्यक्ति हैं।कषि विषय में पीएचडी हैं।और लगातार शौधकार्य में लगे रहते हैं।आंटी तुम वोलो तो मैं कुछ मदद करूं।उनसे तुम्हारा परिचय करवा दूंगी।वो तुम्हें खेती-बाड़ी विषय में बहुत सही सही जानकारी देंगे।"

जानकी बहुत खुश हुई। तुरंत मान गई।संदली ने अमने मोबाइल से प्रोफैसर अमन का नम्बर लगाया। परंतु उन्होंने नहीं उठाया।संदली थोड़ी निराश हुईं।जानकी ने उसके चेहरे के हाव-भाव देखें।तो तुरंत पुछा-"क्या हुआ।" संदली बोली "बिज़ी टोन आ रही है। शायद कहीं व्यस्त होंगें।" अभी संदली सही अनुमान लगाने की कोशिश कर ही रही थी‌।कि उसका मोबाइल बजा।उसने तुरंत देखा तो पाया। प्रोफैसर अमन का काल था।संदली ने तुरंत काल उठाई बोली-"हैलो।"

प्रोफैसर अमन वोले-"हांजी मैम' आपका फोन आया था। मैं बाईक पे था।अब घर पहुंचा।तो फिर आपको काल किया।संदली मुस्कराई तुरंत बोली- चलो आपने बात तो रख ली। प्रोफैसर अमन वोले-"नहीं मैमआपका फोन आए।और मैं न उठाऊं।ऐसा हो नहीं सकता।फिर भी बोलिये।" संदली बोली-ऐसा है।मेरी एक आंटी हैं।उनका नाम जानकी है।वो खेती-बाड़ी के नये नये तरीके सीख रही हैं।तो मैंने आपका जिक्र कर दिया। वो आपसे मिलना चाहती हैं।सब ये संभव है? और अगर‌ संभव है,तो कैसे होगा। प्रोफैसर अमन वोले-"ठीक है।कल रविवार है।मेरे ही घर आ जाईए।गपशप करेंगे।और साथ आपकी जानकी आंटी से मिल लेंगे।और उनकी समस्याओं का अगर संभव हुआ।तो निवारण भी कर‌देंगें।" जानकी संदली के चेज्ञरे की मुस्कराहट देखकर, आने वाला भविष्य पढ़ने की कोशिश कर रही थी।आखिर उसने हिम्मत की और पुछा-"हां संदली बेटी।तुम्हारे प्रोफैसर साहव कैसे हैं।और क्या कह रहे हैं?" जानकी ने संदली की आंखों में एक अजीब चमक देखी थी।संदली बोली-"प्रोफैसर अमन तैयार‌‌ हैं।और कल हम दोनों को बुलाया है।"

अगले दिन दोनों तैयार हुई।लोकल बस पकड़ी।और प्रोफैसर अमन के घर पहुंची। प्रोफैसर अमन आगे‌ ही इंतजार कर रहे थे।संदली ने प्रोफैसर अमन को नमस्ते बोला।और वैसे ही जानकी ने नमस्ते की।संदली ने जानकी का परिचय प्रोफैसर अमन से करवाया।प्रोफैसर अमन ने दोनों को बिठाया।और स्वयवं चाय बनाने चले गए।जानकी जैसे की हर बृद्ध औरत की आदत होती है संदली से बोली-"प्रोफैसर अमन काफी बढ़िया आदमी है।तुम्हारे ही कालेज में पढ़ाता है। तुम्हें कैसा लगता है।" संदली कुछ हड़बड़ाई और फिर तुरंत अमने आप पे काबू पाकर बोली "ठीक हैं।काफी मिलनसार हैं।" संदली जानकी के इस सवाल से थोड़ी विचलित आवश्य हुई। लेकिन उसने मन ही मन कहा- जानकी आंटी की जुम्मा जुम्मा प्रोफैसर अमन से एक मुलाकात हुई है।और वो उनका सारा बयोरा मांगने लगे पड़ी है,खैर छोड़ो।इतनी देर में प्रोफैसर अमन तीन चाय की प्यालियां लेकर आए और बैठ गये।

प्रोफैसर अमन वोले-"संदली मैम आप आज पहली बार हमारे घर आई हैं।कैसा लगा।आपको मेरा घर।" संदली कुछ संभली।फिर बोली-"किसी कवि की कल्पना, किसी चित्रकार की पेंटिंग और किसी मधुर संगीत की सृजना से भी सुंदर।" प्रोफैसर अमन वोले- "वाह संदली जी।मुझे नहीं मालूम था।कि आप एक साहित्य की भी अच्छी जानकार है।चलो अब आजके विषय पे लौटते हैं।तो जानकी जी आप मेरी किस तरह की मदद चाहती हैं।" जानकी बोली- 'मुझे खेती-बाड़ी के वारे में कुछ ऐसा बताईए। जिससे धरती की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहे।पानी का उपयोग भी कम हो।और आखिर में पैदावार भी अच्छी हो।" तो प्रोफैसर अमन बोलेल-"जानकी जी।खेतों में कृत्रिम खाद का उपयोग बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। इससे पानी भी अधिकलगता है।और धरती की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है।साथ में फसल भी अधिक समय नहीं रह पाती।यनि जल्दी नष्ट हो जाती है।और अगर गलती से खानेवाले के शरीर में चली जाए।तो उसे भंयकर बिमारियों का सामना करना पड़ सकता है।और साथ में ये हमारे भूजल के स्त्रोतों को भी नष्ट करती है।और आप जानती हैं।कि पानी कितना कीमती स्त्रोत है। सबसे अच्छा होगा अगर गोबर की खाद का प्रयोग किया जाए‌ या फिर पिट खोद के पोटाश तैयार किया जाए। उसमें आप फल और सब्जियों के छिलके, सुखे पत्ते और घांस-फूस डाल सकते हैं।और अच्छी सवस्थ खाद प्राप्त कर सकते हैं।और खेत में केबल दो ही फसलें बारी बारी से न उड़ाएं।खेत में साल में तीन-चार फसलें उगाएं।"

जानकी ये सब सुनकर बहुत खुश हुई और बोली-"प्रोफैसर साहब ये तो संदली बेटी का कमाल है।कि हमें आप तक ले आई और इतनी अच्छी जानकारी दिलवाई। ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌संदली आपकी बहुत तारीफ करती है। बहुत होनहार है।"

इसपे संदली तुरंत बीच में कूदी और बोली- जानकी आंटी,तुम खामख्वाह की बातें बहुत करती हो। तुम्हें मैं प्रोफैसर अमन के यहां क्या ले आई।अब तुम मेरे विचार किसी के बारे में क्या हैं।इनका व्याख्यान तो तुम मत करो।ये सब मुझपे छोड़ दो।" ये सुन जानकी आंटी बोली- "मुझे क्या। मैं तो हर किसी का भला ही सोचती हूं।अगर तुम प्रोफैसर अमन की तारीफ करती हो।और अगर मैने‌वोल दिया।तो गलत क्या है।आखिर तारीफ कोई किसी को बिना पसंद किए तो नहीं करता।" इसपे संदली का चेहरा लाल सुर्ख हो गया और वो तमतमाए चेहरे से जानकी आंटी को घूरने लगी।और उठ खड़ी हुई कि तभी प्रोफैसर अमन ने संदली का हाथ पकड़कर उसे बिठा दिया।और बोले- संदल जी,जानकी आंटी ठीक ही कह रही हैं मैं स्वयं ये बात आपसे कहने वाला था।"



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