"मनस्वी"
"मनस्वी"
छीकु अपने कमरे में बैठकर मोबाइल पर सर्च कर रहा था।कि अचानक उसको एक विज्ञापन दिखा। उसमें लिखा थाकि "मनस्वी" एप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कर लें।फिर दुनिया का कोई भी सवाल हल कर लें।उसने झट से "मनस्वी" एप को डाउनलोड किया।और चैक करने के लिए।एक दो सवाल किए।तो उनके उतर उसको तुरंत मिल गये।अब वो आश्वस्त था।कि जब भी कोई भी सवाल करेगा।वो "मनस्वी" एप से पुछेगा।और बता देगा।एक बार उसको उसकी गर्लफ्रेंड छीकी ने अपने जन्मदिन पर एक हास्य कविता लिखने को बोला। छीकु तुरंत मान गया।उसने झट से "मनस्वी" को बोला- एक हास्य कविता छिकी के जन्मदिन पर लिखो। " मनस्वी" ने तुरंत लिख दी-
" आज छिकी हुई अठारह की,
बड़े गई जिम्मेदारी,
कई अधिकार मिले,
छीकु के साथ कर सकती मौज मस्ती,
कहीं भी जाए,
कोई नहीं रोक टोक,
बयस्कता है उसका प्रमाण पत्र।
छिकी ने जैसे ही पढ़ी बहुत खुश हुई।और उसने छीकु को गले से लगा लिया।और उसके गालों को चूम लिया।उधर सबको छीकु की बुद्धिमता पर गौरव होने लगा।आखिर हर कोई अब छीकु से दोस्ती करने लगा।कई तो उसे कंप्यूटर कहने लगे।एक बार किसी ने छिकी को लोकतंत्र पर कविता लिखने को बोला।अब छिकी परेशान कैसे लिखें।आखिर छिकी ने छिकु को बोला- अरे मेरे जीनीयस जरा एक कविता लोकतंत्र पर लिखकर भेजो।देखो एक दम बढ़िया होनी चाहिए। इज्जत का सवाल है।अब छीकु बेचारा कैसे मना करता।उसने "मनस्वी" को बोला- लोकतंत्र पर कविता लिखें। मनस्वी ने लिखा-
ये होता लोगों का जमाबड़ा,
सब डालते मत,
फिर चुनते सरकार।
सरकार बनाती योजना,
लोगों का रखकर ध्यान।
जहां लगना हो एक साल,
लगते पुरे छह साल,
तब तक,
फिर आ जाता चुनाव।
ये सब छिकी को भेज देता है।वो बहुत वाह वाही लुटती है।अंत में " मनस्वी" सबके मन को भा जाती है। लेकिन एक जानकार ने बोला उपयोग सोच समझकर।