बापू लौट आओ।
बापू लौट आओ।
यक एक साधारण पुरुष था। लेकिन बहुत ईमानदार था।लोग उसका काफी मजाक उड़ाते थे।उपर स्वर्ग में बापू दुनिया की हालत देखकर बहुत परेशान और सोच रहे।कि मुझे नीचे धरती पे जाना चाहिए।और सब लोगों को सही मार्ग दिखाना चाहिए।बापू चुपचाप यक के अंदर घुस जाते हैं।धीरे से इंटरनेट खोलते हैं।और फेसबुक, ट्वीटर और इंस्टाग्राम पे जाकर एक पोस्ट डालते हैं कि "मैं बापू हूं।सारे विश्व के लोगों से मेरी अपील है।कि इस संकट की घड़ी में इकट्ठे हो जाएं।और सारी मानव जाति के कल्याण का सोचें।क्यों न सब मिलकर एक यूएन का सैशन बुलाएं।और उसमें सब देश मिलकर इस मानव पे संकट को दूर करने की योजना बनाएं।"
आखिर जब पी-5 के देशों ने देखा।कि आदरणीय बापू जी की अपील है।तो सब तैयार हो गये। तुरंत यूएन का सैशन बुलाया गया।सब देशों ने उसमें भाग लिया।सबने अपनी-अपनी योजनाएं उसमें रखी।अंत में मिलकर एक सामुहिक योजना बनाई गई। जिसमें सबसे पहले एक कोबिड-19 उपचार कोष बनाया गया। उसमें हर देश ने अपने अपने सामर्थ्य के अनुसार योगदान दिया।उधर सारी दुनिया के विज्ञानिक आपस में मिलकर टीका बनाने के प्रयास करने लगे।जो विज्ञानिक एक गलती करता या कुछ प्रगति करता था।वो तुरंत दुसरे विज्ञानिकों को इंटरनेट के माध्यम से बता देता था। जिससे आपस में तालमेल बना रहे।और जिससे सारे विज्ञानिक एक ही लक्ष्य पे न फंसे रहे।आगे से आगे बढ़ते रहें।आखिर एक दिन वो भी आ गया। जिस दिन वैक्सीन तैयार हो गई।फिर उसे यूएन के अधीन दे दिया गया।और यूएन की अध्यक्षता में युद्ध स्तर पे उत्पादन शुरू किया गया।और साथ साथ पृथ्वी के जिस हिस्से पे महामारी का अधिक असर था। वहां वैक्सीनेशन पहले शुरू किया गया। धीरे धीरे सारी दुनिया को वैकसीनेट कर दिया गया।और कोबिड-19 को सदा के लिए मौत की नींद सुला दिया गया। विश्व फिर से प्रसन्नता की मुद्रा में लौट आया।और उसी पोस्ट के कमैंट बाक्स में बापू को धन्यवाद के संदेश मिलने लगे। फिर बापू ने सोचा कि अब मानवता सुरक्षित है।और अपना अंतिम पोस्ट डाला।सब सामुहिक योगदान, सत्य और अहिंसा के साथ रहें।ये कहकर बापू फिर से यक से निकलकर स्वर्ग धाम रवाना हो गए।