Anil Jaswal

Fantasy

4  

Anil Jaswal

Fantasy

शायरों का धमाका।

शायरों का धमाका।

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एक दिन शतक अपने घर से निकला। और पास चाए वाले की दुकान पे बैठ गया। वहां अक्सर उसके और दोस्त भी इकट्ठे हो गये।इधर उधर की गप्पें हांकने लगे। तभी उसके एक दोस्त सटू की नजर अखबार पर निकले एक विज्ञापन पर पड़ी। जिसमें लिखा था।कि ट्रिपल एक्स चैनल एक रियल्टी शो करने जा रहा है।"शायरों का धमाका"। जो जितेगा उसको पचास लाख रूपया पुरस्कार दिया जाएगा।साथ में एक टरोफी और प्रशस्ति-पत्र भी दिया जाएगा।और उसको ट्रिपल एक्स की आने वाली फिल्मों के लिए गाने लिखने के लिए अनुबंध भी किया जाएगा।जैसे ही सटू ने उसे पढ़ा। उसके दिमाग में एक विचार उमड़ा। कि अपना शतक भी तो एक लेखक‌ है।अच्छी खासी कविताएं लिखता रहता है। स्थानीय ‌‌‌मुशायरों में भाग लेता है।उसने वो विज्ञापन शतक की और बढ़ाया। लेकिन शतक किसी दूसरे मित्र से बातें करने में व्यस्त था।उसने सटू को डांट दिया। कि देख फिजूल में पगें मत ले। मुझे बात करने दे। लेकिन सटू अपने‌ दोस्त को‌ बचपन से जानता था। वो चाहता था।कि उसका भी नाम‌ हो।उसका भी सितारा चमके। उसने फिर से शतक को बोला- देख! अगर इस बार मेरी बात नहीं सुनेगा।तो मैं ये गिलास तेरे सर पर दे मारूंगा।शतक को लगा।सटू इतना विचलित ‌‌‌होकर बोल रहा है। तो सुनना चाहिए।सटू क्या ऐसी आफत आ गई है।कि दो मिनट भी नहीं इंतजार नहीं कर सकता।खैरियत तो है।चल बता।सटू बोला- ये देख पढ़ ले।शतक ने अखबार तुरंत उठाया।उपर लिखा था। ट्रिपल एक्स करके लिखा था।शतक के दिमाग में आया।ये तो बहुत बड़ा प्रोडक्शन हाउस है।उसकी रुचि विज्ञापन में बढ़ी। उसने विस्तार से पढ़ा।फिर उसके दिमाग में आया।कि सटू वेचारा क्यों इतना उतावला ‌‌‌था।उसने सटू के कंधे पे हाथ रखा।और बोला- सौरी।तेरी बात‌ में दम‌‌ है। उसने‌ विज्ञापन से ट्रिपल एक्स की वैवसाईट का पता निकाला।और अपने‌ मोबाइल ‌‌‌में सेव कर लिया।सोचा घर जाकर आराम से जो भी फ़ार्म है।उसे भर दूंगा।सारे दोस्त  गप्पें मारने लगे।तभी अचानक घनघोर बादल आ गये।और गड़गड़ाने लगे। सब दोस्तों को लगा।कि जल्दी घर की और प्रस्थान नहीं किया गया।तो बारिश शुरू हो जाएगी।और फंस जाएंगे।सब तुरंत अपने अपने घरों की और भागे। जैसेे ही शतक घर पहुंचा।जो‌‌र‌ से छमाछम बारिश शुरू हो गई। शतक को ये शुभ संंकेत लगा। उसनेे तुरंत मोबाइल निकाला और‌ फार्म भरना शुरू दिया। सारी की सारी उनकी आवश्यकताएं पुरी करी। और उसेे‌‌ भेज दिया। उसे धन्यवाद का मैसेेेज भी आ गया।उसने मौसम देखा तो अपनी पुरानी शायरी जो कि बरसात पे थी।पढ़ने लगा।तभी एक पुरानी कविता पढ़ने लगा। उसके नीचे लिखा था। शतकी को समर्पित।उसे मालूम था। शतकी भी अच्छा लिखती थी। उसको वो दिन भी याद आए।जब वो दोनों एक दुसरे से शायरी में ही बात किया करते थे।उसके दिमाग में आया।क्यों न शतकी को फोन लगाया जाए।और इसके बारे में बताया जाए।शायद दोनों मिलकर भाग ले सकें। लेकिन अगर वो किसी और के साथ भी जाना चाहे।कोई बात नहीं।कम से कम रियल्टी शो के लिए अच्छी खासी प्रैक्टिस हो जाएगी।

उसनेे शतकी को फोन लगाया। उसने तुरंत काट दिया।शतक परेशान। फिर उसने व्हाट्सएप पे मैसेज किया।जल्दी बात करो-शतक। कुछ देर पश्चात शतकी का काल आया। हां शतक बोलो।देखो मैं तुम्हें एक मैसेज व्हाट्सएप कर रहा हूूं। इसे पढ़़ो। और शीघ्र जबाव दो। शतकी बोली- ठीक है। भेजो। शतक ने विज्ञापन को व्हहाट्सए कर दिया। शतकी नेे तुुुुरंत विज्ञापन को पढ़ा। और शतक को तुरंत शुक्रिया

बोला।फिर उसने भी फ़ार्म भर दिया।और दोोनों मिलकर तैयारी करने लगेे। हर रोज

सुबह शाम डेट व्हाटसएप पे करने लगेे। सुबह उठते ही शतक नेे अपना एक शेेेर शतकी को भेजा-

 "हमारा दिन तुमसे शुरू होता, तो सब ठीक रहता, वरना शायद ज़िन्दगी बेजान  लगती।" 

शतकी तुरंत बोलती है-

वाह वाह। 

फिर शतकी जबाव देती है-

" चलो आखिर हम तुम्हारे किसी तो काम आए,

वरना तुमने तो हमें अपना दुुुश्मन समझ रखा था।"

 फिर शतक व्हाट्सएप करता हैै- वाह वाह। और अपना एक और शेर शतकी को भेजता है-

"माफ़ करना अपनो को पहचानने में गलती लगी,

 बस इतना कहूंगा देर आए दुरुस्त आए।"

शतकी तुुरंत बोली- वाह वाह।

इस तरह उनका डेटींग का सिलसिला शुरू हो गया।और फिर इसी बहाने महोब्बत का पौधा फलने फूलने लगा।    ‌‌‌


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