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Anil Jaswal

Others

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Anil Jaswal

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वो चली गई

वो चली गई

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जबन एक सरकारी कर्मी था। दफ्तर में 35 साल काम करने के बाद रिटायर हुआ। वहीं शहर में बस गया। उसके दो बेटे थे। दोनों बहुत सेवा भाव वाले थे।मां बाप की बात को पत्थर की लकीर समझते थे।उसकी पत्नी रगी और जबन ने जिंदगी में बहुत मेहनत की थी। तब जाकर दोनों बेटों को अच्छी तालीम दे पाए।एक दिन दोनों अफसर बने। लेकिन जबन और उसकी पत्नी रगी ने हमेशा खुद कम खाया। और अपने दोनों बेटों को दबा के खिलाया। उनकी हर छोटी से छोटी इच्छा पुरी की। लेकिन इसी दौरान वो अपना ख्याल न रख पाए।और घिसट घिसट के जिंदगी जीते रहे। यहां तक अगर बिमार हुए।तो इलाज भी नहीं करवाया।इस कारण शरीर में कई विकार पड़ गये थे।वो अब काटने को दौड़ रहे थे। लेकिन एक सांत्वना थी।कि दोनों बच्चे अपने पांव पर अच्छे से खड़े हो गये थे।एक दिन जबन की पत्नी रगी बिमार हुई।उसने स्थानीय स्तर पर डाक्टरों को दिखाया। लेकिन कोई आराम न आया। आखिर वो बड़े अस्पताल बड़े शहर में ले गया। वहां उसकी पत्नी का टेस्ट हुआ।तो उसे लियुकैमिया निकला। पहले तो जबन इलाज करवाता रहा। लेकिन लियुकैमिया जैसी बिमारी के इलाज के लिए नोटों को गड़रियां पर गडरियां लगने लगी।उधर फर्क कोई न पड़े।एक दिन हालत सुधरे तो दुसरे दिन फिर बिगड़ जाए।आखिर समय आ गया। कि जबन का बैंक खाली हो गया। संपति बेचने का सोचने लगा। तो पत्नी ने मना कर दिया। ये बोलकर- कि मैं बुजुर्ग हूं।अब एक दिन तो जाना ही है।कोई फायदा नहीं होने वाला। लगता है।बुलावा आने वाला है।आखिर रगी को जबन ने एक चैरिटेबल अस्पताल में दिखाना शुरू कर दिया। लेकिन हालत दिन प्रति दिन बिगड़ती जा रही थी। आखिर एक रात साढ़े तीन बजे रगी दुनिया छोड़कर चली गई।अब जबन अकेला था।उसके दोनों बेटे बाहर काम करते थे। लेकिन उसको कोई भी बिमारी नहीं थी।वो जब भी मंदिर जाता।तो भगवान के आगे।एक बात बोलता- हे भगवान! उसकी जगह मुझे उठा लेता।तो तेरा क्या जाता।या फिर हम दोनों को इकट्ठा ही उठा लेता।अब अकेले तेरी दुनिया में दिल नहीं लगता।


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