भूख से लड़ाई
भूख से लड़ाई
रजक युनिवर्सिटी में विज्ञान का छात्र था। लेकिन वो कुछ बाकि छात्रों से भिन्न था। वो हमेशा ये सोचता रहता था। कि देश की आबादी हर साल तेज गति से बढ़ रही है। और हमारी भुमि उतनी ही है। वो तो नहीं बढ़ रही। योनि वो तो निश्चित संख्या में हैं। एक दिन आएगा। हम सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश बन जाएंगे। और बदकिस्मती से हमारे पास इतना धन भी नहीं होगा कि कहीं से उसे खरीद पाएंगे और ये दंश हमने हमारी आजादी के शुरू के दिनों में झेला है। जब बाकि अधिक अनाज की उपज वाले देश हमें कैसे जो अनाज उनके पशु भी नहीं खाना पसंद करते थे। हमें भूख मिटाने के लिए दे देते थे। तो आखिर इस देश की भूख मिटाने के लिए क्या किया जाए। तो उसने एक युक्ति लगाई।
उसने ऐसी गेहूं पैदा करने की सोची। जिसका एक सीटें से एक व्यक्ति का पेट दिन भर के लिए भर जाए। उसने प्रोटिन समृद्ध जीनज इकट्ठे किए। और साधारण गेहूं में डालकर। एक ऐसा गेंहू का बीज तैयार किया। वो ऐसी प्रोटीन समृद्ध फसल देता था। कि एक सीटें से ही व्यक्ति दिन भर के लिए तृप्त हो जाता था। उसकी इस खोज की काफी सराहना हुई। उसे इसके लिए सम्मानित भी किया गया। अब पुरी दुनिया उसकी इस खोज का लाभ उठा रही है।