Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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गर्व

गर्व

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आज कई सालों बाद हम सब सहेलियों के मिलने पर कई इधर-उधर की बातें हुई I सबने अपने सुख-दुख साझा किए लेकिन रागिनी के साथ जो हुआ और जिस तरह से उसने उस स्थिति को संभाला, मुझे रागिनी का मित्र होने में गर्व महसूस हुआ। रागिनी ने बताया कि स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए जब वह महाविद्यालय के हॉस्टल में रहती थी तो, परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त न कर सके इसलिए उसके साथ की लड़कियां अपनी जूनियर्स को परीक्षा के समय बार-बार उसके पास भेजकर उनके बारे में अपनी राय लिखने या कुछ तो हमें पढ़ा दो और न कहने पर पैर पकड़ कर रोने का ड्रामा करना जैसे कई  हथकंडे अपनाती थी। रागिनी ने बताया कि इसकी वजह से वह बिलकुल नहीं पढ़ पाती थी।

पहले साल ऐसा हुआ और जब उसने स्नातक की लड़कियों को अपनी कक्षा की लड़कियों के साथ उस पर जोर-जोर से हंसते देखा तो, रागिनी समझ गई कि , उसके साथ धोखा हुआ है और उनकी मंशा समझने में रागिनी को एक क्षण भी नहीं लगा। अगले ही क्षण रागिनी ने उन्हें सबक सिखाने का प्रण लेकर पढ़ाई पर पूरा ध्यान केंद्रित कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। रागिनी का कहना था अगर मैं भी उनके साथ वही करती तो मैं भी इस गंदगी का हिस्सा बन जाती । आगे से वह मेरे साथ ऐसा न कर सके इसके लिए मुझे और अधिक मेहनत करके उन्हें सबक सिखाना आवश्यक था। जिसमें मैं सफल हुई। अंत में सही की गलत पर जीत हुईI बाद में वही स्नातक की लड़कियां मेरे सामने सम्मान से नतमस्तक थी।


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