Chandresh Chhatlani

Inspirational Tragedy

5.0  

Chandresh Chhatlani

Inspirational Tragedy

गर्व

गर्व

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पूरे देश की जनता के रक्त में उबाल आ रहा था। एक आतंकवादी ने 200 किलोग्राम विस्फोटक एक कार में रखकर सेना के जवानों से भरी बस से वह कार टकरा दी और देश के 40 सैनिक शहीद हो गए थे।

सेना के अस्पताल में भी हड़कंप सा मच गया था। अपने दूसरे साथियों की तरह एक मेजर जिसके जवान भी शहीद हुए थे, बदहवास सा अपने सैनिकों को देखने अस्पताल के कभी एक बेड पर तो कभी दूसरे बेड पर दौड़ रहा था, अधिकतर को जीवित ना पाकर वह व्याकुल भी था। दूर से एक बेड पर लेटे सैनिक की आँखें खुली देखकर वह भागता हुआ उसके पास डॉक्टर को लेकर पहुंचा। डॉक्टर उस सैनिक की जाँच ही रहा था कि वह सैनिक अपने मेजर को देखकर मुस्कुराया। मेजर उसके हाथ को सहलाते हुए बोला, "जल्दी ठीक हो जाओ, सेना को तुम्हारी जरूरत है, अभी हमें बहुत कामयाबियाँ साथ देखनी हैं।"

कुछ समय पहले से ही होश में आया वह सैनिक आसपास हो रही बातों को भी सुन चुका था, वह फिर मुस्कुराया और इस बार उसकी मुस्कुराहट में गर्व भरा था। उसी अंदाज़ में वह सैनिक बोला, "सर... हम तो कामयाब हो गए... हमें दुश्मन का 200 किलो आर डी एक्स... बर्बाद करने में... कामयाबी मिली है।"

और मेजर की आँखों में भी गर्व आ गया।


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