ग्रेट लवर
ग्रेट लवर
हीरा की शादी को अभी 6 माह ही हुए थे किन्तु उसका मन ससुराल से ऊबने लगा । वह अब ससुराल से अलग एकांकी परिवार के रूप में अपना जीवन व्यतीत करना चाहती थी ।
एक रोज उसने अपने पति संजू से कहा .....सुनो जी.... मैं आपसे कुछ कहना चाह रही थी... कि पिछले कुछ महीनों से मेरा मन बड़ा बेचैन सा रहने लगा है ...जिस कारण मुझे.. इस संयुक्त परिवार में घुटन महसूस होती है...! क्यों ना हम कुछ समय के लिए अलग रहकर देखें..?? शायद मेरी सेहत पर कुछ प्रभाव पड़े...!!
ठीक है... जैसा तुम चाहो... मैं आज ही मां और बाबू जी से बात कर लेता हूं... और फिर उनकी इजाजत लेकर अलग रहने का इंतजाम करते हैं....
यूं तो हीरा विवाह के बाद से ही परिवार में गुमसुम रहा करती थी । संजू के कई बार कहने पर भी हीरा ने सिर्फ इतना ही बताया कि अभी अपने मां-बाप से दूर हुई है जिस कारण उसका मन नहीं लगता और वह उदास रहती है ।
यूं तो संजू हीरा को बहुत चाहता था और जब से उसने सुना कि उसका मन नहीं लगता... तभी से वह दफ्तर से समय रहते लौट आता था.. और लौटते समय हीरा के मनपसंद सामान... खाने पीने की चीजें. आदि लेकर आता जिससे वह घर में असहज महसूस ना करे..! परंतु हीरा पर उसके इस व्यवहार का कोई खास प्रभाव न पड़ता..!
आज शाम को उसने दफ्तर से लौटते समय अपने मां और बाबू जी से अलग रहने के सिलसिले में बात की। बाबूजी.. हीरा कह रही थी कि... कुछ महीनों से उसे घर में बेचैनी महसूस होती है... तो मैं सोच रहा था.. क्यों ना कुछ महीनों के लिए मैं.. हीरा के साथ अलग मकान ले कर रह लूं.....! आप दोनों की क्या राय है..??
बाबू जी ने कहा... ठीक है बेटा... जैसा तुम उचित समझो बहू ठीक हो जाए तो घर वापस आ जाना..!
तभी अम्मा ने बीच में ही टोकते हुए कहा ...तू कुछ नहीं समझता संजू... तुझे तो बहू जो कह देती है.. तू वही करने लगता है ..! ऐसा भी क्या उसने तुझे घोलकर पिला दिया। कभी अपनी अक्ल का भी प्रयोग कर लिया कर... या उसका चंदा सा मुखड़ा देख कर सब भूल जाता है ।
सचमुच हीरा बहुत खूबसूरत थी। इसीलिए वह घर की दुलारी भी थी.. पर उसकी आदतें...
खैर संजू.. अपनी पत्नी हीरा से बहुत प्रेम करता था... सच्चा और आत्मिक...! इसी कारण उसने उसे पूर्णता मुक्त कर रखा था। उसका मानना था... प्रेम बंधन का नहीं मुक्ति का नाम है।
अम्मा ने कहा... सुन संजू... तू बहू के संग जा तो रहा है अलग रहने... पर क्या तूने कभी सच जानने की कोशिश की... कि वह वास्तव में अलग क्यों रहना चाह रही है..? संजू ने कहा ....अम्मा मुझे सच जानने की आवश्यकता ही क्या है... क्योंकि अभी तक उसने मुझसे कभी झूठ बोला भी तो नहीं है ..!
हां ..हां... तू तो सच झूठ पकड़ने वाली मशीन जो है ..!जो तुझे अपने आप पता चल जाएगा कि ..सच क्या है और... झूठ क्या है..?? मेरा फर्ज था तुझे बताना... सो बता दिया तुझे ..! मुझे तो दाल में कुछ काला लगता है.. अगर बहू भाग जाए ....तो फिर मत कहियो.... कि अम्मा ने मुझे बताया नहीं..!!!
बहू भाग जाए... क्या तू पागल हो गई है... संजू की मां... बाबूजी ने अम्मा को टोका।
मैंने जो देखा समझा सो कह दिया। अब चाहे तुम मुझे जो भी समझो।
खैर बाबूजी के कहने पर संजू हीरा के साथ शहर में दूसरी जगह किराए के मकान में रहने चला गया। उस मकान में उन दोनों के अलावा रहने वाला तीसरा कोई ना था।
कुछ दिन ही बीते...! हीरा उसे अब पहले से कुछ अधिक खुश दिखाई देने लगी ..! एक दिन काम खत्म होने पर ऑफिस से बॉस ने सभी कर्मचारियों को जल्दी छुट्टी दे दी। संजू की तो मानो लॉटरी लग गई। उसने रास्ते भर हीरा को साथ लेकर बाहर घूमने, होटल में खाना खाने, खरीदारी करने का प्लान तैयार कर लिया। उसने सोचा ऐसा करके वह उसको एक सुंदर सरप्राइस देगा।
वह घर आया। उसके हाथ में एक थैला था... जिसमें कुछ सेव थे... हीरा के लिए..! दरअसल हीरा को सेब बहुत पसंद थे। उसने दरवाजा खटखटाया। मगर किसी ने ना सुना । उसने डोरबेल बजाई... थोड़ी देर में हीरा दरवाजे पर आई..! उसने जैसे ही दरवाजा खोला... वह चौक गई और बोली... आप ...इस वक्त...
क्यों ...नहीं आना चाहिए था.... चला जाऊं वापस ....
अरे नहीं.... मेरा यह मतलब नहीं था ...लाओ यह थैला... और यहां बैठ जाओ.. थक गए होगे ..दफ्तर में कामकाज से ....अभी ठंडा शरबत बनाती हूं...!!
वह अपने बेडरूम की ओर गई और दरवाजा बंद करके किचन में चली गई । आज हीरा का व्यवहार कुछ बदला-बदला लग रहा था और हीरा कुछ घबराई सी। संजू सोचने लगा ...पर कहा कुछ नहीं....
थोड़ी देर में हीरा संजू के लिए शिकंजी और नाश्ता लेकर आई और उसके जूते खोलने लगी । ऐसा उसने अपने छोटे से वैवाहिक जीवन में कभी न किया था।
आज क्या हो गया हीरा...? अचानक इतना प्यार कैसे.. उमड़ आया मुझ पर ....?
तो आप क्या समझते हैं ...मैं आपसे प्यार नहीं करती...? आप नाश्ता कर ले और आराम से लेट जाए..! संजू को नाश्ता करा ,उसे प्यार से लिटा कर, कमरे की डोर बंद करके वह चली गई। संजू बहुत आश्चर्य में पड़ गया।
उसने हीरा के जाने के बाद खिड़की के कांच से देखा ... हीरा अपने कमरे में गई और किसी से कुछ कहने सुनने लगी। संजू इन सेव को लेकर हीरा के बेडरूम में गया। देखा ...हीरा किसी अपरिचित लड़के से कुछ बात कर रही थी ..! दरवाजे खुलते ही अपने सामने संजू को देखकर उसके होश उड़ गए । वह कांपने लगी । संजू उसके पास पहुंचा और उसको सेव की थैली पकडाते हुए ...कमरे से बाहर चला गया ...!
दोनों लोग डर से कांप रहे थे । उनके दिमाग सुन्न पड़ चुके थे । वह समझ ना सके कि अब वे क्या करें ...?तभी संजू चाकू लेकर हीरा के पास पहुंचा..! हीरा डर से बोली.. हमें माफ कर दो संजू ..!!
संजू ने कहा ...यह क्या कर रही हो ...यह लो चाकू ... और सेब छील लो । काटकर हम सब को खिलाओ और खुद भी खाओ... पसंद है न तुम्हें ...फिर अजनबी लड़के के कंधे पर हाथ रख कर बोला... अनुराग आओ.. यहां बैठो! संजू के मुंह से अपना नाम सुनकर दोनों लोग आश्चर्य में पड़ गए..! वे संजू के पैरों में गिर पड़े और बोले ....हमें माफ कर दो भाई ..!
संजू ने कहा.... हीरा तुम क्या जानती हो ..मैं तुम्हें जानता नहीं ..अरे मैंने तुमसे प्रेम किया... सच्चा प्रेम.. तो तुम्हारे दिल और मन के बारे में कैसे न जानता... पहले ही दिन से ही जानता हूं तुम्हें...! इसीलिए अम्मा के मना करने पर भी मैंने तुम्हें किराए के मकान में अलग रखा ..जिससे तुम अपनी खुशहाल जिंदगी जी सको ...!
अनुराग आज से हीरा तुम्हारी है... इसका ख्याल रखना… बहुत सुंदर और नाजुक फूल है...!! उसने दोनों का हाथ एक दूसरे के हाथ में दिया और उन्हें घर से विदा कर दिया..!
हीरा की आंखों में आज पहली बार आंसू थे। उसे लगा उसने एक को पाकर दूसरे खूबसूरत व्यक्ति को खो दिया। उसने जाते समय बस इतना ही कहा... संजू इस जन्म में तुमने मुझे इतना प्रेम किया.. फिर भी मैं तुम्हारी ना हो सकी ..! पर अगले जन्म में... मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.!
संजू ने कहा... हीरा अब कभी घर ना आना। वरना अम्मा तुम्हें बुरा भला कहेगी जो मुझे अच्छा न लगेगा..!
मगर तुम अम्मा को क्या कहोगे....?
तुम यह सब मुझ पर छोड़ दो....! तुम्हारे लिए मैं अपने घरवालों की बुरी भली भी सुन लूंगा....मेरा क्या है !...तुम अपना ख्याल रखना..!
अब तो खुश हो ना ...कहते हुए उसने अपना मुंह दूसरी ओर फेर लिया।
आज उसकी आंखों में आंसू थे... हीरा को सच्ची खुशी दिलाने की खुशी में।
वह एक हारे खिलाड़ी की तरह घर पहुंचा। उसने सारी बातें अपने घरवालों को सच-सच बता दी।
मां ने हीरा को बहुत कोसा.... साथ ही संजू को भी भला बुरा कहा ...!!! मां कहने लगी... तुम जैसे धर्मात्मा इस दुनिया में कभी सुखी न रह सकेंगे ...जहां लोगों को... अपनी खुशियां प्यारी हैं... वहीं तुम्हें तो दूसरों की लगी रहती है ।
संजू बोला.. मां... मुझे उन्हीं लोगों को देखकर खुशी मिल जाती है..!! चल अब उठ...बहुत तेज भूख लगी है.. सुबह से कुछ खाया नहीं ...खाने को दे दे ..!!!
मां जैसे ही उठने को हुई... वह झट से उससे चिपक गया.. मां भी उसे अपने सीने से लगा कर उसके सिर को प्यार से सहलाने लगी।

