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Dr Sanjay Saxena

Children Stories Inspirational

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Dr Sanjay Saxena

Children Stories Inspirational

मां का दुलारा

मां का दुलारा

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ढीपू बचपन से ही शरारती, चंचल और तेज बुद्धि का बालक था। मां-बाप का इकलौता होने के कारण उनका बहुत लाडला भी था। वह जो बातें स्कूल में सीखकर आता वह उन्हें अपने घर पर मां-बाप जरूर कहता।

       एक दिन की बात है उसने मां से नाश्ता बनाने के लिए कहा। मां जानती थी ढीपू को ब्रेड रोल और जलेबी बहुत पसंद है। उन्होंने ढीपू से कहा सुनो ढीपू ... तुम पास की दुकान से जाकर ब्रेड और जलेबी ले आओ। मैं तब तक आलू उबालने रख देती हूं । ब्रेड रोल और जलेबी की सुनकर ढीपू का मन प्रसन्न हो गया। वह थैला लेकर ब्रेड और जलेबी लाने चल दिया । थोड़ी दूर चलने पर उसको कु क ड़ू कु की आवाज सुनाई दी। उसने इधर उधर देखा तो कुछ लोग एक मुर्गे के पंख पकड़े उसकी गर्दन दबाए चाकू को पैना रहे थे। उसे मुर्गे पर दया आ गई। वह दौड़ा दौड़ा उस आदमी के पास पहुंचा और उसने कहा..... अंकल आप इसे छोड़ दीजिए ना! अंकल ने उसको देखा और डांट दिया। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और पुनः प्रार्थना की ....अंकल आप इस मुर्गे को मुझे दे दीजिए, बदले में मेरे सारे पैसे आप ले लीजिए ।     अंकल ने जब उसकी भोली सूरत देखी तो उन्हें उस पर दया आ गई। उन्होंने उसके सारे पैसे लेकर वह मुर्गा उसके थैले में रख दिया । अब ढीपू उस मुर्गे को थैले में बंद करके अपने घर ले आया। मां ने पूछा... ढीपू... आ गया तू ...ले आया नाश्ता। दिखा क्या लाया है ? जैसे ही उन्होंने थैला खोलकर देखा मुर्गा छूटकर घर के फर्श पर दौड़ने लगा। मुर्गा देखकर ढीपू जोर-जोर से ताली बजाने लगा। लेकिन यह सब देखकर मां को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने ढीपू को दो चांटे रसीद कर दिए । ढीपू जोर जोर से रोने लगा। ढीपू के पापा ने जब ढीपू के रोने की आवाज सुनी तो वह भी वहां आ गए। मां ने जब ढीपू की शिकायत पापा से की तो पापा ने ढीपू से पूंछा ..बेटा तुम जलेबी और ब्रेड की जगह इस मुर्गे को क्यों ले आए ? इसे तो हम लोग खाते ही नहीं है । वह सुबकते हुए बोला.. पापा मैं इसे खाने के लिए नहीं लेकर आया। मैंने तो उसकी जान बचाई है ,कुछ अंकल से काटने वाले थे ।

    मैं जलेबी, ब्रेड नहीं खाऊंगा। इसके साथ खेलूंगा। पापा आज मैं नाश्ता नहीं करूंगा ।आपके पैसे दोबारा खर्च नहीं करवाऊंगा। मेरी टीचर कहती है कि जीवों पर दया करो। दीपू की बात सुनकर पापा ने उसे अपने गले से लगा लिया। मां उस की समझदारी पर बहुत खुश हुई । खुशी से उसकी आंखें भर आई । उसने भी गुस्सा छोड़ दीपू को अपने गले से लगा लिया । सचमुच एक छोटे से बालक ने आज अपने कर्म से बड़ों की आंखें खोल दी ।।

                            


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