Dr Sanjay Saxena

Comedy

4.5  

Dr Sanjay Saxena

Comedy

मेरे पास बीबी है

मेरे पास बीबी है

4 mins
24


मेरे घर के आगे अचानक से रुकी गाड़ी ने मेरे मन में उत्साह भर दिया कि शायद मेरे टटपूजिए मकान में आज यह गाड़ी वाला आकर मेरी इज्जत बढ़ा जाए। वैसे तो आप आस पड़ोस को छोड़ो घर की मुर्गी यानी मेरी बीवी की नजरों में भी मेरी कोई इज्जत ना थी। इज्जत तो साहब.. पद और पैसे वालों की जागीर है। हम जैसे झोलाछाप तो घर का गुजारा चला लें यही बहुत है। उस पर पुश्तैनी घर। कभी मरम्मत तक करने की हिम्मत न जुटा सके । कभी कभार चार-पांच सालों में कुछ रंगाई पुताई मां की पेंशन से हो जाए ...यही बहुत था हमारे लिए।

खैर घर की ओर बढ़ते साहब को निहारा तो देखते ही रह गए । अरे ...यह तो अपना छोटू है...मेरा भाई.... जब से बाहर पढ़ने गया ....कभी लौट कर आया ही नहीं ...और अब तो इसके ठाट बाट देखते ही बनते हैं । मन हुआ गले से लगा लूं ...पर गेट खुलने और पैर छुलाने का इंतजार था । पीछे शायद उसकी पत्नी भी खड़ी थी।

गेट खोलकर जैसे ही वह हमारे पास आया तो बोला.. बड़े मां कहां है ...??

मैंने कहा ...छोटे ...यह क्या ... न आदर ...न सम्मान... न उठना बैठना... ऐसा भी क्या....???

वह बोला ...मुझे मां से मिलना है.... घर के बंटवारे को लेकर...!!

मैंने कहा ... लेकिन छोटे अभी तो मां जिंदा है। तूने बंटवारे के बारे में भला सोचा भी कैसे ...? तू इतना बड़ा आदमी बन गया ...अच्छा है....! पर तुझे मां के मन का तो ख्याल रखना चाहिए ।

वह मुझ पर बिगड़ते हुए बोला... हां... मैं बड़ा आदमी बन गया...! तुझे बड़ा बनने से किसने रोका था...?? मैंने मेहनत की... पढ़ा लिखा... इसलिए आज मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, फैक्ट्रियां हैं ,खूबसूरत बीवी है.... तेरे पास क्या है...?? दवाइयां का झोला....??

उसके तल्ख शब्दों ने मुझे निरुत्तर कर दिया। मुझे दीवार फिल्म का डायलॉग याद आने लगा। मेरा मन हुआ कह दूं ....मेरे पास मां है ...पर मेरी जुबान पर उसकी असभ्यता के कारण ताला लग चुका था ।।

तभी शोर शराबा सुन मेरी पत्नी बाहर निकल आई और बोली... ऐ...देवर जी... अपना बड़प्पन दिखाना किसी और को। तुम्हारे भैया से सिर्फ मेरे अलावा कोई उल्टा सीधा बोले ...यह मुझे मंजूर नहीं...! उसने मेरा हाथ पकड़ अपने पीछे करते हुए कहा ...क्या कह रहे थे...? तेरे पास क्या है...? मैं बताती हूं इनके पास क्या है...?

इनके पास है... जाहिल गंवार बीवी और बीवी के पास है चार लुच्चे लफंगे भाई और एक क्रिमिनल बाप ..!! अब बताओ क्या करोगे इनका...?? कहो तो फोन करके बुलाऊं और दिखाऊं ...!!

तभी पीछे से बूढी मां बोली... बहू इतना क्यों बिगड़ती हो.. आखिर इसका भी तो हक है.. इस मकान पर...

मकान गया तेल लेने... आपके जिंदा रहते हिस्सा लेना तो छोड़ इसके बारे में सोच कर भी दिखाएं...? सारी गाड़ी बंगला कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते काटते बिक जाएगी।

हां ...हां... मेरे पास है ...तो बेच भी दूंगा... तुम क्या बेचोगी ...अपनी इज्जत....???? चार तारीख में ही फैसला हो जाएगा और फिर तुम इसके झोले में जिंदगी काटना। खुद तो कुछ कहता नहीं...? जोरू को आगे कर देता है ...लड़ने के लिए....!!

चार तारीख तो तब पड़ेगी जब तारीख तक तारीख करने वाले पहुंच पाएंगे... ? यह सीधे हैं... इसलिए ही सब इनको बेवकूफ समझते हैं... इन्हें तो लटकते नारों को बांधने तक का तमीज नहीं... इसलिए इनके लिए ट्राउजर लेने पड़ते हैं । लेकिन इनका सच्चा और नेक दिल कोई नहीं देखता। अब भला चाहो तो यहां से निकल जाओ। वरना...??

वरना... क्या कर लोगी ...! मैं तुझे देख लूंगा..!!

तभी झुन्नु ने हाथ में पकड़े बर्तन को जोर से फेंक कर दे मारा । ले देख... क्या कर लूंगी ...

छोटे के सिर से खून बह निकला। जिसने मेरे मन को द्रवित कर दिया... कि आखिर है तो यह मेरे अपनों का ही खून..! मैं जोर से चिल्लाया... झुन्नू यह तूने क्या किया..? अरे ठहर जा झुन्नू...ठहर जा .....!!

तभी झुन्नू मेरे पास आई... क्या हुआ ...जो इतनी तेज चिल्लाए...?? फिर कोई डरावना सपना देखा...!! लगता है तुम्हारे दिलों दिमाग पर मैं ही छाई रहती हूं... क्यों करते हो इतना प्रेम मुझसे...?? उसने कमरे की बत्तियां बंद कर दी और मुझे गले लगा बिस्तर पर लेट गई प्यार की थपकी देने।

     



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Comedy