* गौ माता *
* गौ माता *
जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही संजू को हीरा से प्यार हो गया। हीरा अभी कुछ ही दिनों पहले उसके घर आई थी। सांवली सलोनी मगर... तीखे नैनो वाली हीरा... संजू के मन को कुछ यूं भाई... कि उसने कुछ ही दिनों में उसे अपना बना लिया और उसे अपना दिल दे दिया। घर के लोगों को इसकी भनक तक न हुई। जब भी वह कॉलेज से आता बैग पटक कर... चुपचाप उससे मिलने चला जाता..!
बेचारी मां कहती ही रहती... संजू हाथ धो ले ...तेरे लिए खाना लगा देती हूं... तू थका हारा आया है ....थोड़ी देर विश्राम कर ले... फिर अपने काम करना ...!!
पर जब तक मां रसोई में खाना लगाने जाती... संजू... हीरा के पास निकल जाता..! मां बेचारी उसे ढूंढती रहती.. पर वह न मिलता...!
यह सिलसिला अब प्रतिदिन का सा होने लगा था। संजू और हीरा का प्रेम एक तरफा नहीं था। हीरा भी उससे उतना ही प्रेम करती जितना संजू उसे करता। वह तब तक भोजन भी चैन से ना करती जब तक उसे संजू की एक झलक न मिल जाती ।उसकी भी दशा प्रेम रोगियों वाली ही थी । कहते हैं इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते ...तो एक दिन मां को भी संजू के प्रति दिन के बदले व्यवहार से शक हो गया। उसने सोचा.... आज मैं स्वयं सच्चाई जान कर ही रहूंगी। तब संजू के बापू को सारी बात बताऊंगी। कहीं लड़का हाथ से ना निकल जाए । हाथ से निकलने से मुझे याद आया बालकों का जीवन उनका अपना नहीं होता... बल्कि पुराने मां-बाप... उनकी डोर अपने हाथों में रखते थे । खैर..मां भी उस डोर को पकड़कर आखिर उस जगह पहुंच ही गई जहां संजू हीरा को गले लगाए बातें कर रहा था।
ओह ..हीरा... आई लव यू.... इतना कहकर उसने उसका माथा चूम लिया..! मां यह सब देखकर दंग रह गई। संजू को मां के देखने की तनिक भी भनक न हुई.... क्योंकि मां तो मां है... जमाने का तमाम तजुर्बा उसके साथ है..!
संजू ने हीरा से कहा.... सच-सच बता हीरा... क्या तू भी मुझसे इतना ही प्रेम करती है...??
हीरा ने उसकी आंखों में आंखें डालीं और लजाते हुए... अपना सिर हिला दिया...!! फिर क्या था हीरा की हां से संजू के बदन में बिजली सी कौंध गई...! उसने उसे अपनी बांहों में भरते हुए गले लगा लिया..!
हीरा उसके गले लगी उसके चेहरे पर प्यार से जीभ फिराने लगी... मानो उसके प्रेम प्रदर्शित करने का यही तरीका था ..! थोड़ी देर गले लगने के उपरांत संजू ने कहा.... हीरा मैंने सुना है... कुछ दिनों में तू मां बनने वाली है...? पर तूने तो मुझे कुछ न बताया...! वह तो मैंने पड़ोस की आंटी को कहते सुना कि कुछ दिनों में बाद हीरा के बच्चा होने वाला है।
वह कुछ भावुक होकर बोला... सुन हीरा... यह अच्चा.. बच्चा तो ठीक है... पर तू मुझे न भूल जाना..! अगर तूने मेरे प्यार में जरा भी कटौती की तो मैं फिर तुझसे रूठ जाऊंगा और तेरे पास कभी ना आऊंगा..!
हीरा उसकी बातों को टकटकी लगाए सुनती रही। मां भी दोनों की करतूतों को दूर से निहारती रही । थोड़ी देर में संजू बोला... देख हीरा.... मैं जा रहा हूं..... फिर आऊंगा तुझसे मिलने.. मां इंतजार कर रही होगी ..!अगर उसे पता चला तो वह हमारे प्रेम की दुश्मन हो जाएगी और फिर तुझे यहां से जाना पड़ेगा। यह कहते हुए उसने हीरा के माथे को प्यार से कई बार चूमा । मां संजू को वापस आता देख वहां से निकल ली।
संजू के घर आते ही उस पर बरसी ..कहां चला जाता है तू रोज-रोज... तेरा खाना ठंडा हो जाता है..! अब तू कोई बच्चा नहीं है... बड़ा हो रहा है... समझदार बन ...
संजू ने मां की बात को अनसुना कर दिया और चारपाई पर आराम से खाना खाकर लेट गया। वह हीरा के बच्चे के बारे में सोचने लगा। कितना प्यारा होगा। मैं उसके साथ खूब मस्ती किया करूंगा। खूब प्यार दूंगा उसे..! वह भी तो मेरा ही होगा ... जब हीरा मेरी है तो...!
कुछ दिन यूं ही बीते। कुछ दिनों बाद हीरा के बच्चा हुआ। पूरा घर उसकी सेवा में लगा था और संजू उसके बच्चे को एकटक निहार रहा था... तभी अचानक से चिल्लाया.... सुल्तान... हां.. हां.. यह मेरा सुल्तान है... मेरा सुल्तान.. यह कहकर उसने उस बालक को गले से लगा लिया..! तभी सुल्तान ने सिर हिलाया... उसकी तंद्रा भंग हुई..! देखा तो घर के बाहर एक बछड़े कोउसने गले लगाया हुआ था। घर के सामने खड़ी गाय और उसके बछड़े को देखकर आज उसे अपनी हीरा और सुल्तान याद आ गए..! वह उन्हें एकटक देखता रहा फिर सोचने लगा..... कि ...यह भी तो किसी की हीरा और सुल्तान होंगे... किंतु आज यह लावारिसों की तरह भटक रहे हैं...! वीरान और सुनसान सड़कों पर... अपने संजू की तलाश में ...जो शायद इनके नसीब में नहीं है...
