गलतफहमी
गलतफहमी
“ बताइए, मुझे बच्चे नहीं हुए, इसमें मेरा क्या कसूर है? रोज-रोज के ताने से मैं तंग आ गई हूँ| हमारी शादी के मात्र तीन साल ही हुए हैं। आपकी माता जी को लगता है जैसे युग बीत गया...| एक तो ऑफिस का टेंशन, वहाँ से थके- हारे घर आओ, यहाँ, घर में अनगिनत काम मुँह बाये खड़ी रहती हैं। ऊपर से तुम्हारी माताजी, मौका मिलते ही राग अलापना शुरू कर देती हैं - ‘हे भगवान, पोता-पोती का सुख कब नसीब होगा ?! आजकल की कामकाजी लड़की .. न जाने क्या सब उल्टा-पुल्टा सोंचते रहती है !’ सुनते-सुनते मेरे कान पक गये !"
" यह सब जानते हुए भी आप हमेशा खामोश रहते हैं, मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता! अभी जाकर उन्हें समझाइए कि आपकी फैमिली प्लानिंग क्या है ! ”
“ओह ! सरला ... ! तमीज से बातें करना सीखो। मेरी माँ है तो तुम्हारी भी माँ हुई न ? ! उन्हें ऊँचे स्वर में जवाब देना तुम्हें शोभा नहीं देता|”
“अच्छा जी, बड़ा पाठ पढ़ाने लगे।माँ हैं आपकी, मुझे वो हर वक्त सासु-माँ ही दिखती हैं। हरेक बात के लिए मुझे ही दोषी ठहराती ...." तभी सासु-माँ को अपनी ओर आते देख, भयातुर मेरे शब्द मौन हो गये। लेकिन मन निर्भिक सोचता रहा-‘ घर में आज महाभारत होकर ही रहेगा।'
“अरे...बहू, लड़ना बंद करो। मैंने सारी बातें सुन लीं है। यह सच है कि मैं तुम पर ताना कसती रही| परंतु,यदि तुम्हें अभी बच्चे नहीं चाहिए तो मुझे कोई हड़बड़ी नहीं है| तुम दोनों ही मेरे प्यारे बच्चे हो।” सासु माँ की मीठी बातों ने मुझे चौंका दिया।
" फिर आप पोता -पोती का रट क्यों लगाए रहती हैं...? बहुत टेंशन हो जाता है।" मैंने झल्लाकर पूछा। "सुनो ध्यान से, एक तो कैरियर के चलते तुमलोगों ने देर से शादी की, उस पर से यदि अधिक उमर में तुम्हें बच्चे होंगे....तो कितनी समस्यायें होगीं ! कुछ पता है?"
अपने हाथ की पत्रिका खोलकर, बहू को दिखाते हुए उसने गंभीरता से कहा, " पकड़ो ... पढो इस आलेख को --- ‘बड़ी उम्र में गर्भाधारण’। फिर भी नहीं समझ आये .. तो... नेट पर सर्च कर लेना। गृहस्थी के मामले में अभी तुमलोग बहुत कच्चे हो
नम आँखें लिए सासु माँ ने अपने दोनों हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में ऊपर उठा दिये। यह देख, आज पहली बार मुझे अहसास हुआ कि ... सासु-माँ का दूसरा रूप ...माँ ही है।
