Aprajita 'Ajitesh' Jaggi

Tragedy

5.0  

Aprajita 'Ajitesh' Jaggi

Tragedy

घर वापसी

घर वापसी

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"ये राधे भी बिलकुल जिद्दी है, ठीक तुम्हारी तरह।" पत्नी ने हँस कर पति से कहा। 

"अब क्या गलत कर गया वो, कुछ गलत किया भी है बेचारे ने, या बस यूँ ही उसे याद करने और उसके बारे में बातें बनाने का बहाना ढूंढ रही हो।" पति ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। 

"बहाना क्यों चाहिए जी, हमारा बेटा है। जब चाहे याद कर सकते हैं उसे।" पत्नी गोल गोल ऑंखें कर बोल पड़ी।

फिर बोली- "वो तो हमारी बात नहीं माना। शादी करके ही जाता तो आज कम से कम बहू की पायल की रुमझुम तो सुनाई दे रही होती हम बुड्ढे बुढ़िया को। कितनी प्यारी है सगुन। बहू बन आ जाएगी तो घर में रौनक लगा देगी।"

पति ने झूठ -मूठ का गुस्सा दिखा चुहुल की- 

"तुम होगी बुढ़िया, हम तो बूढ़े नहीं हैं। हम और हमारा दिल तो जवान है, हम तो आज अभी रौनक ला दें घर और तुम्हारे चेहरे दोनों पर। बस एक इशारा कर दो।"

"धत तुम भी न, बेटे की शादी हो जाए तो पोता पोती होने में देर न लगे। कुछ तो अपनी उम्र का लिहाज करो।" 

पत्नी शर्मा कर बोली। यहाँ वे दोनों भविष्य की कल्पनाएं बुन रहे थे और मीलों दूर उनके बेटे की घर वापसी का निर्णय हो चुका था। 

गोली दिल को चीर उनके बेटे को शहीद कर चुकी थी। 

अब बस ताबूत में बंद हो तिरंगे से सज धज कर घर पहुंचना बाकी था। 


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